" स्कूल जल्द ही खुले "
आज कल सभी लोग टीवी देखते हैं,
टीवी के बाद नित खेलते हैं |
मैं टीवी में निक देखना पसंद करता हूँ,
कार्टून देख मैं खूब हँसता हूँ |
कभी मोटू -पतलू तो कभी शिवा,
कभी समोसे तो कभी मेवा |
यूँ कार्टून देखकर दिन कटता है,
घर बैठे दिमाग फटता है |
बिना स्कूल और दोस्तों के दिन फीका,
याद आते है मस्ती करने का तरीका |
पेंसिल के लिए लड़ना याद आता है,
ये मेरा इसमें तेरा क्या जाता है |
बहुत दिन हो गए दोस्तों से मिले,
ऐ मेरे भगवान स्कूल जल्द ही खुले |
कवि : गोविंदा कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता गोविंदा के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं। अभी अपना घर संस्था में रहकर कक्षा 4 में पढ़ते हैं और बहुत दिमाग लगाना अच्छा लगता है | कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |
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