गुरुवार, 5 जून 2025

कविता : " आँधी "

" आँधी "
 आँधी  आई जोर - जोर से ,
डाले टूटी है झुकोर से ,
उड़ा घोसला , अंडे फूटे ,
किस्से दुःख कहेगी , 
अब यह चिडिंया कहा रहेगी , 
आँधी  आई जोर - जोर से ,
गिरे पत्ते , टूटे अंडे ,
रह गए घोसला खाली। 
कवि : गया कुमार, कक्षा : 5th,
अपना घर।  

बुधवार, 4 जून 2025

कविता : " मेरी एक इच्छा थी "

" मेरी एक इच्छा थी " 
बचपन में बहुत इच्छा थी ,
पर बढ़ती उम्र में घटती चली गई। 
डॉक्टर, पुलिस, इंजीनियर में जाना था। 
पर जिंदगी कुछ  चीजों में अटकी रह गई 
सपनो के बारे में ख्याल ही आना बंद हो गया 
मंजिल से भटकर दिल ने मुस्कुराना भी छोड़ दिया 
बीच में आवाज आई थी की ,
चलो एक बार और कोशिश कर एक और बार 
पर उस समय दिल के साथ - साथ 
मन और तन ने भी मुँह मोड़ लिया। 
बचपन में बहुत इच्छा थी ,
पर बढ़ती उम्र में घटती चली गई। 
कवि : गोविंदा कुमार, कक्षा : 9th, 
अपना घर. 

सोमवार, 2 जून 2025

कविता : " युद्धभूमि के राजा "

 " युद्धभूमि के राजा " 
वीरो का वीर है, तू  ,
युद्धभूमि का राजा है , तू 
धरती - आसमान में तेरा ही नाम ,
जब - जब युद्ध में जिसने तुझे ललकारा 
तब - तब उसको अपनी शक्ति से हराया। 
वीरो का वीर है , तू। 
हर वक्त प्रजा के साथ रहता।,
हर मुशीबतों का समाधान निकल ले जाता। 
तीरो जैसी रफ़्तार है , तेरी ,
कर्ण जैसी अवतार है , तेरी। 
तेरी एक आवाज से।,
आशमा भी प्रसन्न हो उठता है 
हर दिशा में तेरी ही जय जय कर होता 
वीरो का वीर है तू 
युद्धभूमि का राजा है , तू। 
कवि : अमित कुमार, कक्षा : 11th, 
अपना घर।