बुधवार, 18 मई 2011

कविता : किरणें

किरणें 

निकलती  हैं पूरब से किरणें ,
छिपती हैं पश्चिम में किरणें ....
न जाने हैं यह कैसी किरणे ,
आसमान में भी छा जाती हैं किरणें ....
इन किरणों में है रोशनी एकत्र ,
जो सुबह से दोपहर तक फैलती सवत्र .....
निकलती हैं पूरब से किरणें ,
छिपती हैं पश्चिम में किरणें ....

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 


मंगलवार, 17 मई 2011

कविता : वही है भगवान

 वही है भगवान
जिन्हें अपनों की परवाह नहीं ,
दूसरों से चाहत नहीं ...
इन्साफ की परवाह नहीं ,
वह अपना हिन्दुस्तान नहीं ...
जिसे अपने पेट की परवाह हीं नही ,
अपनी बीबी से लगाव नहीं ....
और अपने बच्चों से प्यार नहीं , 
वह एक सच्चा इंसान नहीं ....
जिसे सभी से प्यार हो ,
हर एक से लगाव हो ....
और सभी को सम्मान दे ,
 वह है एक सच्चा इंसान ....
वही है इस युग का भगवान ,

लेखक : अशोक कुमार , कक्षा : 9, अपना घर  

बुधवार, 11 मई 2011

कविता - भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार 
अपना देश , प्यारा देश ,
राजा ,कलमाड़ी पर नहीं चलता कोई केश ,
मंत्री ,नेता नहीं करते इस पर विचार.....
अन्ना ,जैसे अच्छे लोग देश को अच्छा बनाते हैं,
देश में ऐसे कुछ लोग भी हैं ....
जो देश को बर्बाद करते हैं ,
देश में दिन दहाड़े होता हैं ,घोटाला.....
नेता ,मंत्री नहीं कोई bolane vala  ....
lekhak -mukesh kumar 
kaksha  -9 apna ghar, kanapur