सोमवार, 30 अप्रैल 2018

कविता : वायु में गन्दगी

 " वायु में गन्दगी " 

हो रही है वायु गन्दगी, 
फैल रही है लाखों बीमारियाँ | 
कोई नहीं देता वायु पर ध्यान, 
ले लेता है लाखों लोगों की जान |  
हम पेड़ हजारों लगाएंगे, 
लाखों जिंदगियाँ बचाएंगे | 
वायु में गन्दगी नहीं फैलाएंगे, 
वातावरण को स्वच्छ बनाएंगे | 
फिर से आराम की साँसे लेंगे, 
जिंदगी को खूबसूरती से जियेंगे | 

नाम : संजय कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय :  संजय कुमार जो की झारखण्ड के रहने वाले हैं | संजय बहुत ही अच्छी कविता लिखते हैं पढ़ने में थोड़ा कमजोर हैं फिर भी बहुत कोशिश करते हैं | हमेशा संजय के चेहरे पर ख़ुशी रहती  है | 

रविवार, 29 अप्रैल 2018

कविता :भगत सिंह

" भगत सिंह" 

 जो था इस देश का शान,
जिससे है यह देश महान | 
आओ हम उसे याद करें, 
उसे जगाने का कुछ प्रयास करें | 
जो न घरों में बसता है, 
जो सिर्फ दिल में बसता है | 
आओ उसे कुछ याद दिलाए, 
उसके नाम के कुछ दिए जलाए | 
जब था यह देश गुलाम, 
छोड़ दिया इसने खान - पान | 
देश को आज़ाद करवाने की ली ठान, 
इसी कारण यह देश है महान | 
जो था इस देश की शान,
उसे करते हैं सतत प्रणाम | 
जिसने काम किया जैसे सिंह,
वो था वीर भगत सिंह | 

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कविता : गर्मी का दिन

" गर्मी का दिन " 

गर्मी का दिन है आया,
पसीना ने हमको भिगाया | 
रात को मच्छर करते परेशान, 
सुबह किरण पर देता हूँ ध्यान | 
जीवन भर करता  रहूंगा प्रणाम, 
माँ -बाप का प्यार है सबसे महान | 
जीवन भर वो काम आए ,
गर्मी भी उससे दूर भाग जाए | 
सपनों में दुनियाँ ऐसे बसाए,
जीवन भर हम साथ निभाए | 

नाम : ओमप्रकाश , कक्षा : 7th ,अपना घर 

शनिवार, 28 अप्रैल 2018

कविता : मेरी पुकार

" मेरी पुकार "

हे प्रभु तू सुन मेरी पुकार, 
फिर से बना दे खूबसूरत संसार | 
इंसानों के अंदर भर दे प्यार, 
ताकि हर इंसान बन जाए यार | 
फूलों की खुसबू को बढ़ा, दे 
 चाहे उसमें चार चाँद लगा दे | 
तोड़ने पर न पहुंचे दुःख ,
काँटों में खिलकर भी रहे खुश | 
इस संसार को ऐसा बना दे ,
सोचूं तो दिल बहला दे | | 

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल ने 2013 से  शुरू किया था और आज एक अच्छे कविकर बन गए हैं | 

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

कविता : गर्मी

" गर्मी "

चीखती है जिंदगी हमारी, 
गर्मियों की चलती हवाओं में | 
चल रही है जिन्दगी हमारी,
इस सूखे एक बूँद पानी में |  
नहीं चलती थी ऐसी हवाएं ,
आज से पहले किसी ज़माने में | 
क्यों किया  मानव ने ऐसा काम, 
जो सहना पड़ रहा ४० का तापमान | 
ये गर्मी की हवाएं, होठो की मुस्कान,
यूँ ही चुरा ले जाती है |  
अगर हसना भी चाहे तो,
पेट में दबी सी रह जाती है | 

नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं नितीश हर गतिविधी में हिस्सा जरूर लेते हैं | मन से  बहुत चंचल और दयालु हैं | 

सोमवार, 16 अप्रैल 2018

कविता : भगवान की आशा गरीबों की आँखों में

" भगवान की आशा गरीबों की आँखों में " 

भरोसा  कर के जी रहा,
गम के आँसूं पी रहा | 
एक मंदिर ,एक सड़क, 
एक दिल ,एक धड़क | 
एक पूस की झोपडी 
की सलांखों में, 
क्योंकि भगवान की आशा
 गरीबों की आँखों में | 
ज़ुल्म सहना, 
थम कर रहना ,
मुँह से कुछ न कहना | 
हर बार गुजारिश कर, 
हर मुसीबतों में,
भगवान की आशा, 
गरीबों की आँखों में | | 

नाम : देवराज ,कक्षा : 8th ,अपना घर 


रविवार, 15 अप्रैल 2018

कविता : एक छोटी सी कोशिश हमारी

" एक छोटी सी कोशिश हमारी " 

हर छोटी सी  कोशिश हमारी,
मंजिल को कामयाब बनाती है | 
जो की आगे चलकर एक,
बड़ी मिशाल बन जाती  है | 
अपने मंजिल को पाने के लिए,
हर एक कोशिश काम आता है | 
और हर कोशिश का परिणाम,
जो बहुत ही खुशहाल होता है | 
अपने कठिनाइयों को पार करने में, 
हर एक साहस काम आता है | 
जो बहुत ही बेमिशाल होता है, 
हर छोटी सी  कोशिश हमारी | 
मंजिल को कामयाब बनाती है || 

नाम : कुलदीपकुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं कुलदीप जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | कुलदीप कविताओं के साथ डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं | 

कविता जीना है हमें

" जीना है हमें "

फूलों की मुस्कान जैसा, 
खुले आसमान के जैसा | 
किसानों की शान जैसा, 
एक नए सपने के जैसा | 
हमें जीना है यहाँ | |  
पानी की चलती धारा,
की तरह बहना है हमें | 
आसमान की खुली हवाओं, 
की तरह बहना है हमें | 
इसी तरह सब कुछ करके,
जीवन में जीना है हमें | | 

नाम , अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं अखिलेश कुमार जो की बिहार के नवादा जिले से यहाँ रहने और पढ़ने के लिए आए हुआ हैं | अखिलेश कवितायेँ बहुत ही अच्छी लिखते हैं | बड़े होकर एक महँ फुटबॉलर बनना चाहते हैं | 

मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

कविता : दोस्ती रंग लाती है

" दोस्ती रंग लाती है " 

दोस्ती  भी क्या रंग लाती हैं,
दोस्तों की भी याद आती है | 
दोस्ती ऐसा ज़ख्म दे जाती है, 
दूसरों को प्यार , हमें रुलाती है | 
दोस्ती नींद और चैन ले जाती है, 
लेकिन दोस्ती का फ़र्ज़ निभाती है | 
जीवन के सुख और दुःख में, 
दोस्ती है जीवन के हर पल में | 
दोस्ती वह चीज है जो कभी, 
दुकानों में नहीं मिला करते | 
दोस्ती जो मन से करते हैं ,
वो औरों से कभी नहीं डरते | 

नाम : सार्थक कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह कविता सार्थक ने दोस्त के शीर्षक पर लिखी हैं| वास्तव में सार्थक को दोस्ती करना बेहद पसंद है | सार्थक हमेशा अपने दोस्तों की हर एक मुसीबत में साथ देते हैं चाहे वह पढ़ाई में हो या दुःख दर्द में हो | सार्थक पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | 

कविता : लोगों की भरमारी

" लोगों की भरमारी "

ये दुनिया है कितनी प्यारी
जहाँ है लोगों की भरमारी | 
कुछ से लोग होते हैं अमीर,
तो कुछ से लोग होते हैं गरीब | 
जिनमें है ऊँच नीच ,
 न जाने कब होंगे एक समीप | 
खाने की हो रही है बर्बादी, 
भूखे सो रहे बहुत सी आबादी | 
न जाने कब होगा ये ठीक, 
ये दुनियाँ बहुत है नीच | | 

नाम : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप कवितायेँ लिखने के साथ - साथ डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं | कुलदीप ने २०१५ से कवितायेँ लिखना शुरू किया था और आज वह बहुत अच्छा कविता लिख लेते हैं | 

सोमवार, 9 अप्रैल 2018

कविता : आँखों के ख्वाब

" आँखों के ख्वाब " 

नन्हें आँखों के ख्वाब चूर हो गया , 
क्योंकि मैं उस लम्हें से दूर हो गया | 
प्यारी सी आँखों में ,जिसमें ख्वाब थे,
जिसमें सपने सजे थे, नींद न आने की |  
आज वो खुद से नाराज हैं, 
बात करता है सो जाने की | 
खुद को सम्भालनें में थोड़ा समय लगा,
और फिर से एक नया सपना सजा | 
जिसके रास्ते लम्बे हैं समय कम है, 
इसमें वही निकल पाता , जिसमें दम है  |  

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं देवराज कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं , पढ़ने में बहुत अच्छे हैं और खेल भी बहुत अच्छा खेलते हैं | देवराज जीवन में कुछ बनना चाहते हैं इसीलिए बहुत मन लगाकर पढ़ाई करते हैं | कवितायेँ लिखने के साथ साथ डांस भी कर लेते हैं | 

रविवार, 8 अप्रैल 2018

कविता :" ख्वाबों को सजाना चाहता हूँ "

" ख्वाबों को सजाना चाहता हूँ "

छोटे छोटे ख्वाबों को सजाना चाहता हूँ,
हर लम्हा को याद करना  चाहता हूँ | 
खुलकर मैं जीना चाहता हूँ, 
हर एक यादगार पल को | 
और यादगार बनाना चाहता हूँ, 
सबके दिलों में रहना चाहता हूँ | 
हर किसी की मदद करना चाहता हूँ,  
हर किसी को खुश रखना चाहता हूँ | 
 हर मुश्किल कार्य को करना चाहता हूँ,
नामुनकिन को मुनकिन बनाना चाहता हूँ | 

नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 8TH , अपना घर 

बुधवार, 4 अप्रैल 2018

Poem " Value of your one word "

" Value of your one word "

The value of your one word, 
might be create difference .
word will not be worthless, 
it bring a shiny appearance . 
persistence of your goal,
endeavour it till last movement .
get your resulted reward,
with full of enjoyment  .
word could be creation celebration, 
lack of sorrow only admiration .

Name : Pranjul kumar , Class : 9th , Apna Ghar 


कविता " क्या कहेंगे आप "

" क्या कहेंगे आप "

मेरे कुछ न कह सकने की, 
विवस्ता को क्या कहेंगे आप | 
मैं  कायर भी नहीं हूँ, 
मैं गूँगा भी नहीं हूँ | 
लेकिन फिर भी मैं,
कुछ नहीं कह पाता | 
मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूँ, 
फिर भी असफल हो जाता हूँ | 
मेरे इस विवस्ता को क्या कहेंगे आप | | 

नाम : संजय कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं संजय कुमार जो की झारखण्ड के रहने वाले हैं | पढ़ाई में थोड़ा कमजोर है लेकिन हमेशा परिश्रम करते हैं | कवितायेँ बहुत ही अच्छे लिखते हैं | चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती है | हमें उम्मीद है की आने वाले भविष्य में संजय बहुत अच्छे कवी बन सकते हैं | 

कविता " जीवन के मोड़ "

" जीवन के मोड़ "

जीवन के मोड़ अनजान होते हैं, 
हर नए मोड़ में हम मेहमान होते हैं | 
समझकर चलते रहना है हमको,
हर मुसीबत को सुलझाना है तुझको | 
किस मोड़ पर क्या हो पता नहीं होता,
मोड़ पर ख्वाईस और उल्लास होता | 
इस कठिन राह पर मेहनत करनी पड़ती हैं,
कठिन परिश्रम से ही प्रतिभा निखरती है | 
पल पल चौकन्ना रहना है राहगीर, 
क्योंकि तुम ही हो एक निडर महावीर | 

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर