बुधवार, 30 मई 2012

कविता :- पढाई

कविता :- पढाई
पढ़ने का ओना एक मजा है....
लेकिन हमें क्यों मिलती सजा है,
पढ़ने से मिलती है अधिक जानकारी....
पढ़ने से पता चलता है सत्य असत्य का ज्ञान,
तब हमारे समाज में बदला है विज्ञान....
किस तरह पढ़ना चाहिए एक कुशलता है,
पढ़ने से हमें मिलती सफलता है....
पढ़ने से हम सिखाते है,
हमें कैसा व्यव्हार करना चाहिए....
और सीखते है बड़े बूढों के,
सामने कैसे बैठना चाहिए....
यह सब पढ़ने का ही मजा है,
अगर पेट के लिए खाना जरुरी है....
तो मस्तिष्क के लिए पढ़ना जरुरी है,
किताबें कैसे पढ़ना है यह जान लो....
इन्ही से दोस्ती करना है यह मन लो,
नाम : मुकेश कुमार
कक्षा : 10
अपना घर

मंगलवार, 29 मई 2012

कविता :- ग्लोबल वार्मिंग

कविता :- ग्लोबल वार्मिंग 
बढ़ रहा है  ग्लोबल वार्मिंग....
नष्ट हो रही हैं जिन्दगी,
पेड़ पौधे हो रहे है कम....
पानी का स्थर गया है जम,
ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए....
खूब पेड़ लगाओ,
ग्लोबल वार्मिंग हटाओ....
मनुष्य की जिन्दगी में बढोत्तरी पाओ,
नाम : चन्दन कुमार
कक्षा : 7
अपना घर

सोमवार, 28 मई 2012

कविता :- प्रयास करो तो ऐसा

कविता :- प्रयास करो तो ऐसा 
प्रयास करो, प्रयास करो....
जिन्दगी के लिए प्रयास करो,
कुछ करने के लिए प्रयास करो....
जिन्दगी में सुधर करने का, प्रयास करो,
किसी की मदद करने का, प्रयास करो....
प्रयास के बिना जीवन है अधूरा,
अपने आप को पहचानने का प्रयास करो....
प्रयास करने से हर काम हो जाते है सरल,
प्रयास करो, प्रयास करो....
जिन्दगी के लिए प्रयास करो,
नाम : जमुना कुमार 
कक्षा : 7
अपना घर 

रविवार, 27 मई 2012

कविता :- कदम

कविता :- कदम 
एक ने बोला....
किसमें है दम,
जो आगे बढ़ाये....
अपने कदम ....।,
हर वीरों की मायें जानती है....
फिर भी अपने बेटों को सीमा पर भेजती,
जिन्होनें न मानी कभी हार....
शहीद हुए वह देश के खातिर,
उस क्रांति को और बढ़ाएं....
अपने कदम से कदम बढ़ाएं,
भ्रष्ट है देश अपना भ्रष्टाचारी से....
नेता,अफसर जेब है भरते घूंस के रुपयों से,
आओ अपने देश को मुक्त करें....
जब तक न हो देश में शांति,
तब तक करते रहो क्रांति....
क्रांति हमारी उज्जवल हो,
नव जीवन मंगलमय हो....
पूर्ण न हो जब तक अपना मुकाम,
तब तक बढ़ाएं हम अपने कदम....
नाम : आशीष कुमार 
कक्षा : 10 
अपना घर  

शुक्रवार, 25 मई 2012

कविता :- मानव

कविता :- मानव 
उन्हें क्या पता हम है मानव....
इन्हें पता है हम है दानव,
सबका ईश्वर एक है....
अल्लाह लेलो राम लेलो,
सबका लक्ष्य एक है....
साथ रहो सब मानव शक्ति,
देश ने हमें पुकारा है....
उन्हें क्या पता हम है मानव,
इन्हें पता है हम है दानव....
नाम :- जमुना कुमार 
कक्षा :- 7  
अपना घर 

गुरुवार, 24 मई 2012

कविता :- आ गई गर्मियों की छुट्टियाँ

कविता :- आ गई गर्मियों की छुट्टियाँ 
आ गई छुट्टियाँ अब गर्मी की....
घूमने मौज मस्ती की है बारी, 
गर्मी में ये स्कूल की छुट्टियाँ....
लगती है सबको बहुत प्यारी,
गर्मी की इन छुट्टियों में....
सिर्फ मौज मस्ती नहीं करना हमें, 
अच्छे अच्छे कुछ काम करें....
तो कुछ बात करें,
अब गर्मी की छुट्टियों में....
गरीब बच्चों को पढ़ाऊँगा,
ऐसे और कुछ कम करके....
देश को आगे बढ़ाऊँगा,
नाम : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

कविता :- इंसान

कविता :- इंसान 
इस इन्सान को कड़ी धूप में....
निकलना मुस्किल पड़ता है,
बस इन्सान को ऐसी और....
कूलर में सोने का मन करता है,
इस कड़ी धूप को तो....
किसान ही सह सकता है,
जिसे न तो कूलर की....
हवा नसीब होती है, 
जिसे कूलर और ऐसी की....
हवा नसीब होती है,
उस इंसान से जाकर पूछो.... 
क्या बाहर की धूप को,
झेलना आसान होता है....
नाम :जीतेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर

मंगलवार, 22 मई 2012

कविता :- खिले फूल

कविता :- खिले फूल
फूल हैं डाली-डाली.... 
माली तोड़े हाली-हाली,
वन उपवन में खिलते फूल....
नहीं पा रहे हँसना भूल, 
फूल पत्तियों का है अपना मौसम....
मरने जीने का उनको भी होता है गम,
फूलों में होती है तमाम विशेषता....
फूलों में होती है एकता,
फूलों से माला बनती है....
देवी देवताओं के गले में चढ़ती है,
फूल के बिना है उपवन सूना....
फूलों की डाली को मत छूना,
फूल का है अंदाज निराला....
नहीं उसे कोई मारने वाला,
फूल हैं डाली-डाली.... 
माली तोड़े हाली-हाली,
नाम : मुकेश कुमार 
कक्षा : 10 
अपना घर  

सोमवार, 21 मई 2012

कविता :- आजादी

आजादी 
आजादी क्या चीज है....
क्या इसका किसी ने बोया बीज,
ये सब क्या बकवास है....
इसका मुझे भी एहसास है,
जहाँ बोलने की न हो गल....
वंहा पर बसे राजतंत्री दल,
पूरी बात नहीं हैं सुनते....
सिर्फ हैं वो अपनी कहते,
जहाँ बोलने का हो हक़....
आजादी कहलाएगी बेसक,
जहाँ मनुष्य का न हो बोल-बाला....
वंहा जरुर होगा राजतन्त्र वाला,
नाम : सोनू कुमार 
कक्षा :11
अपना घर

रविवार, 20 मई 2012

कविता :- खतरा

खतरा 
जो कुछ है, इस धरती पर....
सब कुछ लिया मनुष्य उठाये,
उनका प्रयोग करके हम....
मिसाइल ,परमाणु बम जैसे वस्तु लिए बनाये,
इस वक्त नहीं तो, उस वक्त सही....
तृतीय विश्व युद्ध होना पक्का है,
हमें और तुम्हें कुछ नहीं हुआ है....
आने वाली पीढ़ी के लिए ये,
खतरा होना पक्का है....
जो कुछ है, इस धरती पर,
सब कुछ लिया मनुष्य उठाये....
नाम : सागर कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 

शनिवार, 19 मई 2012

कविता :- वीरों की कहानी

वीरों की कहानी 
कविता मेरी बड़ी सायानी....
पढ़ लो तो याद आ जाये वीरों की कहानी,
समझ में नहीं आता है....
इस कविता में लिखूं मैं किसकी कहानी,
भारत को आजाद करानें में....
थे  दो दल पहला नरम दूसरा गरम,
लड़े सही जमकर....
पाई आजादी खुशियाँ मनाई जमकर,
भारत को आजाद कराने में....
हो गए वतन पर निछावर,
कुछ भी न सही....
फिर भी याद करो वीरों की कुर्बानी,
नाम : हंसराज कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर

शुक्रवार, 18 मई 2012

कविता :- चले गए चन्द्रमा के संग

चले गए चन्द्रमा के संग 
चम चम करता चमक उठा यह चन्द्रमा....
फैल गए तारे अम्बर के आंगन में,
ये देख न रहा गया पवन से....
शुरू कर दिया उसने आवागमन,
इतने में मेघनाथ को आया स्वप्न....
उनसे रहा न गया शांत,
अम्बर के आंगन में कर दिया कीचड़ का भण्डार....
चमक रहे थे जो तारे,
चले गए चन्द्रमा के संग....
नाम : अशोक कुमार 
कक्षा :10
अपना घर 

गुरुवार, 17 मई 2012

कविता :- अधूरी आज़ादी

अधूरी आज़ादी 
जब-जब मिली है....
मुझे अधूरी आज़ादी,
तब-तब किया है....
मैंने समय की बर्बादी,
आज़ादी में नहीं लिया मैंने....
कई सारी किताबों का ज्ञान,
आज़ादी में ही मैंने लगा दिया....
खेलने और मस्ती में ध्यान,
जब एक दिन आज़ादी ख़त्म हुई....
तब मुझे समझ में आया,
आज़ादी में सुधरते है लोग....
आज़ादी में बिगड़ते हैं लोग,
जैसा मन में चाहोगे....
वैसा ही बन जाओगे,
नाम : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 8 
अपना घर 

रविवार, 6 मई 2012

कविता :-कुछ छुपा हुआ था

कुछ छुपा हुआ था 
इस देश में छुपी हुई थी....
उन खजानों की बोरी,
ये सब तो अंग्रेज ले गए....
हमें थमा गए कटोरी,
ये देख कर हमें बचाने....
आये कई बड़े राजा और रानी,
अंग्रेज ले गए आलीशान बंगला....
हमें थमा गए टुटा छज्जा,
छज्जे से टपक रहा था पानी....
उसमे बहे राजा और रानी,
तब अंग्रेजो ने ठानी....
करेंगे हम देश में मनमानी,
इस देश में छुपी हुई थी....
उन खजानों की बोरी,
ये सब तो अंग्रेज ले गए....
हमें थमा गए कटोरी,
नाम :सोनू कुमार 
कक्षा :10
अपना घर 

शनिवार, 5 मई 2012

कविता :-चार संभावनाओं का होता है जीवन

चार संभावनाओं का होता है जीवन 
पहले तो जिन्दगी पुस्तकों में गुजरती है....
आगे कैसे गुजरेगी,
यह किसी को पता ही नहीं है....
या नीर कमल के पखों पर,
या फिर मिट्टी के तट पर....
या पैसे और स्त्री के संग,
होते है अपने बीबी बच्चों के संग....
रहते है मां बाप के संग,
या जोगी और सन्यासियों के संग....
नरेन्द्र हमारे आदर्श होंगे,
जोगी सन्यासी होकर....
भारत भ्रमण में होंगे,
नरेन्द्र हमारे आदर्श होंगे....
हम सागर के तट पर होंगे,
नाम :अशोक कुमार 
कक्षा :9
अपना घर  

शुक्रवार, 4 मई 2012

कविता :-शिक्षा

शिक्षा 
कक्षा में मैं बैठे-बैठे देख रहा था....
अध्यापक की बातें दिमाग में घोंप रहा था,
सोंचा मैं याद कर लूँ....
अध्यापक से बात कर लूँ,
जब तक अध्यापक के हाथ में छड़ी है....
तब तो बच्चों की शामत खड़ी है,
नाम :लवकुश कुमार 
कक्षा :8 
अपना घर 

गुरुवार, 3 मई 2012

कविता :-किसी को कुछ याद नहीं

किसी को कुछ याद नहीं 
वृक्ष बड़े कोमल होते है....
ये भी मानों जैसे रोया करते है,
फर्क खाली इतना है कि.... 
ये सभी दुखों और सुखों में शामिल होते है,
इंसान की तरह नहीं कि रूठ जाते....
और किसी के यंहा जाया ही नहीं करते,
यही बड़ी इनकी खासियत की पहचान है कि....
ये किसी को दुःख देते नहीं,
इंसान भी क्या इन्सान है....
वृक्षों की उनको कोई परवाह नहीं,
जब मर्जी उनको गिरा दिया करते है....
यह उनको तो पता नहीं कि,
वृक्षों से ही यंहा इंसान है....
यह किसी इंसान को याद ही नहीं है, 
नाम :अशोक कुमार
कक्षा:9
अपना घर  

बुधवार, 2 मई 2012

कविता:-मंहगाई

मंहगाई 
मंहगाई का भईया ये जमाना....
तो क्या छोड़ दें खाना खाना,
लेकिन अब ऐसा ही हो रहा....
मानव मंहगाई का बोझा ढो रहा,
वायरस की तरह फैलती है, मंहगाई....
इसी कारण भारत में गरीबी आई,
नेता तो हो गए हैं, भ्रष्टाचारी....
परेशान हैं, इससे सब नर-नारी, 
गरीबों का बचा था, सहारा आलू.... 
उसे भी खा मोटे हो गये लालू,
जनसंख्या का भी इस पर पड़ा प्रभाव....
रेसे से कैसे चलेगी गरीबों की नाव,
नाम :धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा :9 
अपना घर  
 

मंगलवार, 1 मई 2012

कविता :-वादों को पूरा करना

वादों को पूरा करना 
अब तो ख़त्म हो गई....
चुनावों की चहल पहल,
अब तो नेता बन गए हैं....
युवा अखिलेश जी,
जनता के सपने पूरा करेगें....
अपने वादों को नहीं वो भूलेगें,
कहाँ कितना खर्च करना....
उनको है लगाना हिसाब,  
अब तो ख़त्म हो गई....
चुनावों की चहल पहल,

नाम :ज्ञान कुमार 
कक्षा :8 
अपना घर