शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

कविता : जिसे मैं देख न सका

" जिसे मैं देख न सका "

क्या वो चीज है,
जिसे मैं देख नहीं सका |
आँखों के पलकों से गुजर गया,
 ये ठंडी हवा का झोका था |
जिसे मैं देख न सका | |
चन्द्रमा जैसी मुस्कान थी,
खुशियों की बौछार थी |
जिसे मैं देख न सका |
ये माँ का गोद था,
जिस पर मैं खो गया था |
जिसे मैं देख न सका | |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर



मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

poem : life

" Life "

In a dark room,
our life is locked. .
in which we strike,
when we will try to walk.

in this bad situation,
can you survive.
it's worse imagination,
a life without a goal.
it like a person sitting,
in a corner of floor wall.
in which not innovation of soul,
for example as a playing doll.

Poet : Devraj  kumar , Class : 8th , Apna Ghar




Introduction : This poem is belongs to Devraj of clas 8th .  He is such a nice guy he always try to find new things which other one thought normally . He interested in science and recently he made a speaker for their dance practice .


रविवार, 16 दिसंबर 2018

कविता : गर्मी

" गर्मी "

ये तपती हुई गर्मी,
जैसी उलग रही हो आग |
दिन पे दिन बढ़ता है पारा,
इस गर्मी में क्या करें |
ये मनुष्य भी बेचारा,
दिन भर मनुष्य करते काम |
न धूप का पता,
न गर्मी का अहसास |
सारा दिन झेलता इसकी मार,
इससे मनुष्य हो जाते परेशान |
लेकिन गर्मी कम होने का नाम न लेती,
पूरे गर्मी भर केवल गर्म हवा है देती |   

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह है नितीश जिन्होंने यह कविता लिखी हैं | नितीश मुख्य रूप से बिहार के निवासी है परन्तु अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और वह अभी तक बहुत सी कविताएँ लख चुके हैं | नितीश पढ़ लिखकर एक रेलवे डिपार्टमें में काम  करना चाहते हैं | हमें उम्मीद है की नितीश आगे चलकर एक महान कवि बनेंगे |



गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

कविता : मेरे दोस्त ये जिंदगी बड़ी

" मेरे दोस्त ये जिंदगी बड़ी "

मेरे दोस्त ये जिंदगी है बड़ी,
जिसमें बहुत चीजें हैं फसी |
कभी दुखी ,कभी ख़ुशी ,
इसी में बस ये दुनियाँ बनी |
जिसे किसी ने ना सुनी,
वो कहानी भी है यहीं बनी |
छूट न जाए ये साथ कहीं,
सोच तू इस बारे में भी कभी |
मेरे दोस्त ये जिंदगी है बड़ी,
जिसमें बहुत चीजें हैं फसी |


कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर  

कविता : इसलिए रोना बुरा होता है

" इसलिए रोना बुरा होता है "

जब कोई रोता है,
चुपचाप सहन करता है |
अपने आँसुओं को पी जाता है,
इसलिए रोना बुरा होता है |

अपने भीगे ग़मों को सहता है,
सफलता न मिलने पर हारता है |
अपने सपनों का गला घोटता है,
उम्मीद न होने पर मर जाता है |
इसलिए रोना बुरा होता है | |

अपने को गरीब कहना,
 ख्वाबों को न देखना |
जल्लाद की जिंदगी जीना,
साँस चलते हुए भी जिन्दा रहना |
इसलिए रोना बुरा होता है | |

आसमां से आगे जाना छोड़ देते है,
समाज को गलत ठहराते हैं |
चाँद पैसों के लिए,
मासूमों की जिंदगी छीन लेते है |
इसलिए रोना बुरा होता है | |

मंजिल मिलने पर गुरूर करते हैं,
अपने दोस्तों को ही नहीं पहचानते हैं |
खुदगर्ज की जिंदगी जीते हैं,
देश के लोगों को भूल जाते हैं |
हर बात पर झूठी सलाह देते हैं,
इसलिए रोना बुरा होता है | |

कवि : विशाल कुमार , कक्षा : 9th,  अपना घर


बुधवार, 12 दिसंबर 2018

कविता : होली

" होली "

होली आई होली ,
लेकर रंगों की झोली |
रंग बिरंगे रंग लेकर,
आई यारों की टोली |
फाल्गुन का महीना आ गया,
होली का खुमार ज़ोरों छा गया |
होलिका जलेगी आज,
करेंगे होली का आगाज़ |
हुलर -गुलद करते हुए,
घूम गई सारी बस्ती की टोली |
लेकर रंग बिरंगें रंगों की झोली,
आई देखो फाल्गुन की होली |

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह कविता कक्षा 8th के विद्यार्थी अखिलेश कुमार के द्वारा लिखी गई है | अखिलेश अपना घर के छात्र हैं और वह बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | अखिलेश पढ़लिखकर रेलवे डिपार्टमेंट में जाना चाहते हैं | अखिलेश कवितायेँ बहुत ही अच्छी लिखते हैं |

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

Poem : When someone challenges you

" When someone challenges you "

When someone challenges you,
when life really strikes you.
either it is time of extremity and
your group haven't unity.
if it is a bad situation,
either there is no one teach you lesson.
then don't give everything
and let's open your wings.
and think every things in my fever,
and don't say the bad situation never.
let it to come and ever say ever
until you have to reach the point
don't think for many coins.

Poet : Devraj kumar , class : 8th, Apna Ghar



Poet introduction : this poem belong to Mr. Devraj Kumar from class 8th . really it is marvelous poem and in this poem Devraj wants to tell about our bad situation when life strikes you . Devraj take interest in science ( Chemistry) and write poems. An enthusiast boy that can bring a big change in present life compare to his past life . He is golden brick that come from a normal brick kiln .

बुधवार, 5 दिसंबर 2018

कविता : साल की पहली बरसात

" साल की पहली बरसात "

कर रहे थे वर्षों से इंतज़ार,
कब आएगी साल की पहली बरसात |
देखते रहते थे हम आसमान को,
कहीं दिख जाए काले घटा हमको |
हुई अचानक एक ऐसी घटना,
पड़ा मुझे छज्जे के निचे छुपना |
आ गई साल की पहली बरसात,
बूंदों की हुई जमीं से मुलाकात |
देखा जब काला घटा का रंग,
जैसे लग रहा था बरसात जाएगा तुरंत |  
सुनहरी - सुनहरी जब बुँदे बरसे,
पानी के लिए अब नहीं तरसे |
तब जाके हमको सुकून मिली,
बारिश के संग कुछ बूंदें गिरी |
चरों तरफ हरियाली अब छाई,
मुरझाए हुए घास की मुस्कान खिली |
कर रहे थे वर्षों से इंतज़ार,
कब आएगी साल की पहली बरसात |

                                    कवि : नितीश कुमार : कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह कविता नितीश कुमार के द्वारा लिखी गई है बिहार राज्य के निवासी हैं और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे है | इस कविता के माध्यम से यह बताना चाहते हैं की साल की पहली वर्षा की कीमत कितनी होती है सूखे हुए पत्तों को क्या लगता है जब वह पहली बरसात में पानी की बूंदें उनके पत्तियों में पड़ती हैं |  



मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

कविता : उदास

" उदास "

क्या करूँ आज बहुत उदास हूँ ,
उदास के कारण सबसे नाराज़ हूँ |
पता नहीं यह उदासपन कहाँ से आता है,
उदासपन पूरे मन को खोखला कर जाता है |
प्यारी सी हँसी को रुला देती है,
मन में जो चलता है सब भुला देती है |
जहाँ उदास है वहाँ गम है,
जहाँ गम है वहां आँखें नम है |
उदासपन होने से हम नहीं है,
मन तो है पर ख़ुशी कम है |
उदास , नाराज़ कभी नहीं होना है,
अपने मन को कभी नहीं सोने देना है |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं | प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है |  

रविवार, 2 दिसंबर 2018

कविता : एक दिन मुझे उड़ना है

" एक दिन मुझे उड़ना है "

एक दिन मुझे उड़ना है,
आकाश से बातें करना है |
रंग- बिरंगे पक्षी को पकड़ना है,
आसमान में  आज़ाद रहना है |
बारिश की बूंदों में खेलना है,
अपनी हर ख्वाईश को पूरा करना है |
अपने ख्वाबों को पर देना है,
उन्हीं परों से आसमान में उड़ना है |  
जीवन में जितने भी दुःख हैं,
उन्हीं दुखों को ख़ुशी में बदलूंगा |
कुछ ऐसा करके दिखाना है,
जिससे देश का भला हो सके |
अपने हक़ के लिए लड़ना है,
एक दिन मुझे उड़ना है |

कवि : रविकिशन  , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं रविकिशन जो की बिहार के निवासी हैं और वर्तमान समय में अपना घर रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | रविकिशन के परिवार में बहुत से आर्थिक समस्या है उन हालातों से निकलकर वह पढ़ाई कर रहा है यह उसके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है की वह पढ़ाई कर रहा है और पढ़ लिखकर रेलवे में काम करना चाहते हैं | रविकिशन को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |

आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं

" आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं "

आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं,
जिसमें कोई भेदभाव न होता |
हर कोई हंसी और ख़ुशी से जीता,
कोई हिन्दू और  मुश्लिम न कहलाता |
आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं | |

जिसमें कोई गरीब और अमीर न हो,
जाती धर्म पर कभी भी बात न हो |
जीवन और एक दूसरों में प्यार हो,
बस ऐसा ही जीवन चाहते हैं |
आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं | |

भ्रष्टाचार और दंगों  से मुक्त हो,
ऐसा एक अपना मुल्क बनाते हैं |
जहाँ जीने और मरने की आज़ादी हो,
लोगो में देश के लिए देशभक्ति हो |
जहाँ खाने के लिए एक दूसरे के घर जाते हैं,
आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं |

कविता : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जिसने यह कविता लिखी हैं इस कविता के माध्यम से यह अहसास दिलाना चाहते हैं एक ऐसा मुल्क बनाए जिसमे सब जन एक हो कोई मतभेद न हो | प्रांजुल जीवन में एक महान इंजीनियर बनना चाहते हैं | पढ़ लिखकर अपने परिवार की मदद करना चाहता है |


कविता : एक नई शुरुआत

" एक नई शुरुआत "

हर दुःख और दर्द को भूलना होगा,
हर उस याद को मिटाना होगा |
जिस याद में तुम खोए हुए हो,
बीते हुए हर पल को भूलना होगा |
क्योंकि वह जीने नहीं देती है,
पुरानी यादें सिर्फ दुःख देती है |
कभी - कभी ख़ुशी भी देती है,
तो कभी मरने भी नहीं देती है |
मत जिओ दुःख और दर्द के साथ,
क्योंकि इससे सफलता नहीं मिलता |
सफलता उसमें मिलती है,
जिसमें खुशियाँ और सरल रास्ते हो |
बीते हुए कल के बारे में मत सोचना,
क्योंकि वह बीते हुए कल के बारे में बताता है |
सोचना सिर्फ आने वाले कल के बारे में,
क्योंकि कई नए रास्ते तुम्हारे लिए इंतज़ार कर रही है |
जिसमें तुम अपनी नई जिंदगी में,
एक नई शुरुआत कर सकते हो |
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर




कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं और अभी पढ़ाई अपना घर संस्था में रहकर कर रहे हैं | नितीश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | नितीश पढ़ लिखकर एयरफोर्स में जाना  चाहता है | नितीश को टेक्नोलॉजी से बहुत प्रेम है |

शनिवार, 1 दिसंबर 2018

कविता : मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ

" मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ "

मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ,
मैं आसमान को छूकर दिखाऊँगा |
मुझे पढ़ने की सारी उपलब्धियाँ नहीं
मिली तो फिर क्या हुआ,
मैं कैंडल से पढ़कर
अपने जीवन में रौशनी ला दूँगा |
मैं छोटे से जाति से हूँ तो क्या हुआ,
मेहनत के बल पर सब कर दिखाऊंगा |
मुझे अपने ख्वाबों को सजाना है,
हर गरीब के जीवन को रोशन करना है |
मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ,
उड़न के बल पर आसमान में लहराऊंगा |
मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ,
मैं अपनी पहचान बनाकर दिखाऊंगा |

                                                                                                                   कवि : सार्थकुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं पर वर्तमान काल में अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | सार्थक को क्रिकेट खेलना बहुत अच्छा लगता है और वह एक स्पोर्ट्स मैन बनने के लिए दिन भर अभ्यास करता रहता है | सार्थक कुछ बनकर अपने परिवार वालों को उस जिंदगी से बाहर कर उन्हें एक अच्छी जिंदगी देना चाहता है |

शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

कविता : मनुष्यता को जगाओ

" मनुष्यता को जगाओ "

क्या सोचना क्या करना है,
यह तो सब व्यक्ति को पता है |
क्या गलत है क्या सही है,
यह तो मनुष्य को पता है |
सिर्फ अंधों और पागल को छोड़कर,
अनपढ़ और निर्जीव वास्तु को छोड़कर |
फिर ये हमारी दुनियाँ समझदार क्यों नहीं,
आपस में मनुष्यता और भाईचारा क्यों नहीं |
भ्रष्टाचारी और गरीब भूखे लोग क्यों हैं, 
इतना काला खौफनाक जिंदगी क्यों है |
भूखे नंगे लोगो के जीवन में अँधेरा क्यों है,
मनुष्य - मनुष्य फिर अलग क्यों  हैं |
जागो मनुष्य अपनी मनुष्यता को जगाओ,
पृथ्वी पर आए हो तो कुछ कर दिखाओ |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है | विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और वह अपनी प्यारी -प्यारी कविताओं एकत्रित कर उन्हें एक किताब में प्रकाशित करवाना चाहता है | विक्रम एक रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं |

गुरुवार, 29 नवंबर 2018

कविता : तुम भी लिखो

" तुम भी लिखो "

अब चीजें मुझे समझ में आई,
जब दो कदम आगे चलकर देखा |
मैनें पीछे मुड़कर देखा की,
पापा आप मुझे बुला रहे थे,
हर गलतियों का कसर निकल रहे थे |
तब मुझे गुस्सा आता था,
कभी घर से भाग जाने का
मन भी करता था |
दूसरे बच्चों की किस्मत देख
खुद को कोसता था,
तो कभी सब को
बुरा भला कहता था |
किस्मत ने भी क्या साथ निभाया,
मुझको अपना यार बनाया |

परिवार से परेशां होकर,
मैनें मरने की ठाना पर |  
समय ने गठनी शुरू की नई कहानी,
बहुत कठिनाइयों के बाद खड़ा हूँ आज |
जरा आप भी सोचो अपनी जिंदगी को,
लिखो डायरियों के पन्नों के बीच
शायद वो आपको आने वाले समय में
दे आपको नई संगती

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कक्षा आठ के विद्यार्थी देवराज के द्वारा लिखी गई है | देवराज मूल रूप से बिहार के निवासी हैं पर वर्तमान काल में देवराज अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | देवराज को डांस करना बहुत पसंद है और कुछ नया सिखने की बहुत ललक है | देवराज विज्ञानं दुनिया को बहुत पसंद करते हैं |

बुधवार, 28 नवंबर 2018

कविता : इस दुनियां के बीच

" इस दुनियां के बीच "

बड़ी सी इस दुनियां के बीच,
कुछ तो है मेरे लिए खास |
मिलेगा की नहीं मिलेगा,
फिर भी आगे बैठा हूँ आस |
बड़ी सी इस दुनियां के बीच | |
कहीं न जाए वो खो,
मेरी एक भूल से अनोखी न जाए हो |
जिसकी मुझे बरसों से है कामना,
मुझे डर सा लगा रहता है |
कहीं बुझ न जाए मेरी ये आस,
जिसका है मुझे बरसों से विश्वास |
बड़ी सी इस दुनियां के बीच,
कुछ तो है मेरे लिए खास |


कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है | समीर को कविता लिखना बहुत पसंद है और समीर एक अच्छे कविकर बनना चाहते हैं | समीर को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है और क्रिकेट में विराट कोहली को अपना गुरु मानते हैं | समीर अपना घर में रहकर अपपनी पढ़ाई कर रहे हैं | चेहरे पर हमेशा ख़ुशी रहती हैं |

मंगलवार, 27 नवंबर 2018

कविता : मनुष्यता की आशा

" मनुष्यता की आशा "

बढ़ती इस दुनियां में कुछ ढूँढ रहा हूँ,
लोक मनुष्यता का कुछ आश |  
सरल से स्वभाव को,
मन का आज़ाद हो |
दिल का हो स्नेह बहार,
हौशलों से उड़े आसमान से परे,
कुछ कर जाए वे ऐसा |
किसी को भी मालूम न हो,
उस कारनामा का पता न हो |
परिणाम के बारे में  ऐसा को तैसा,
पर एक हो इस जैसा |

कवि : विक्रम कुमार कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है | विक्रम कक्षा आठ का विद्यार्थी है और इसने कक्षा चार से कविता लिखनी शुरू की थी | विक्रम को कवितायेँ लिखना और लोगो को शिक्षा की बातें बताना बहुत अच्छा लगता है |


"फूल "
मखमल सी डाल पर खिलता हूँ,
हर एक अजनबी से मिलता हूँ |
चाँद और सूरज की रौशनी झेलता हूँ,
काटों की दुनियां में भी खुश रहता हूँ |
पंखुड़ियाँ मेरी झर जाती हैं,
जमीं पर गिरकर बिखर जाती हैं |
फिर भी मैं उदास नहीं होता हूँ,
मैं हर खुशनशीब के पास होता हूँ |
सारी सुंदरताओं का एक निचोड़ है,
मेरे सभी तनों में मोड़ है |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर



बुधवार, 21 नवंबर 2018

कविता : धरती को स्वच्छ बनाएँ

" धरती को स्वच्छ बनाएँ "

आओ इस धरती को स्वच्छ बनाएँ,
हरे भरे पेड़ लगाकर इसे बचाएँ | 
 आओ  हाथ इसमें लगाओ,
हर यादगार दिन में पेड़ लगाओ | 
 सभी भाई बहन के साथ,
आओ इस मौके को बनाए खास | 
दो चार पेड़ लगाओ घर के आसपास,
जो बना दे हर दिन खास | 
जिंदगी का बदल दो नज़ारा,
जिससे चमक जाए यह जग सारा | 
आओ इस धरती को स्वच्छ बनाएँ,
हरे भरे पेड़ लगाकर इसे बचाएँ | 

कवी : संतोष कुमार , कक्षा : 5th ,  घर 

कवी परिचय :  यह कविता कक्षा पॉँच में पढ़ने वाले संतोष की है जो की बिहार के रहने वाले हैं | संतोष को फुटबॉल खेलना बहुत पसंद है और वह बड़ा होकर एक फुटबॉल का खिलाडी बनना चाहता है | 

कविता : उन्हें सिखाओ

" उन्हें सिखाओ "

दोस्त उसे बनाओ,
जो दोस्ती के काबिल हो | 
पढ़ाई का ज्ञान उसको दो ,
जो पढ़ाई में नासमझ हो | 
अच्छे राह पर उसे चलना सिखाओ, 
जिसको सही गलत के राह न पता हो | 
उड़ना उसे सिखाओ, 
जो कोशिश करने लायक हो | 
कला उसे सिखाओ,
जिसमें सीखने की चाहत हो | 
सहायता उसकी करो, 
जो जरूरत मंद हो | 

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सार्थक  द्वारा लिखी गई है जो की  बिहार के रहने वाले हैं और अभी कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | सार्थक को खेल में बहुत रूचि है और वह बड़े होकर स्पोर्ट में जाना चाहतें हैं | 

गुरुवार, 15 नवंबर 2018

कविता : मन की बात

" मन की बात "

चलते चलते कहीं खो न जाऊँ,
भटकते - भटकते कहीं सो जाऊँ | 
इस ज़माने  का एक अलग दस्तूर है,
तुम्हें याद करके भुला न पाऊँ |
जब मैं ये सोचता हूँ रातों में,
 अकेले खो जाता हूँ बातों में | 
ऐसी गहरी - गहरी रातों में,
कहीं मैं डूब न जाऊँ | 
 लोग मुझे कहते हैं पागल सा,
 सुनता रहता हूँ इस दुनियाँ की बातें | 
मैंने तो समझा लिया अपने मन को,
लेकिन इस दिल की धड़कन को
मैं रोक न पाऊँ | 

नाम :  विशाल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता विशाल कुमार की है जो उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और अपना घर रहकर अपनी पढ़ाई  कर रहे हैं | विशाल को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और कुछ अद्भुद से कार्य करना बहुत पसंद है | पढ़लिखकर एक रेलवे इंजीनियर बनना चाहते हैं | 


बुधवार, 7 नवंबर 2018

कविता : छोटा चूहा

" छोटा चूहा "

छोटा चूहा छोटा चूहा,
है मोटा सा छोटा चूहा | 
अपनी पैनी दाँतों से,
पूरे ज़ोर और मेहनत से | 
कपड़े को कुतरता है,
छुपकर झाँकता है खोलों से | 
छोटे है पंजे, मोटा है पेट,
छोटा है घर, पतला सा गेट | 
बिल्ली के  डर से भागता है, 
घर में अपने को शेर समझता है | 

कवि : प्रांजुल कुमार ,कक्षा : 9th  अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल की है  छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और अपनी कविता के माध्यम से लोगो को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करते हैं | प्रांजुल पढ़ लिखकर  इंजीनियर बनना चाहते हैं | 

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

कविता : लहर उठना चाहती हैं

" लहर उठना चाहती हैं "

लहर उठना चाहती हैं, 
अपने अद्भुद भावों को
 प्रकट करना चाहती हैं | 
लहरें कुछ दिखाना चाहती हैं, 
मनुष्य को अच्छे सच्चे 
रास्ते पर चलना सिखाती हैं | 
लहरें अपने सन -सन आवाज़ों से
सबको समझाना चाहती  है, 
लहरें अपने लहरों से खेलना चाहती है | 
लहरें समुद्र की सैर करना चाहती हैं,
अपने अरमान से भव्य 
आकाश छूना चाहती हैं | 
लहरें कुछ कहना चाहती हैं,
लहरें उठना चाहती हैं  | 

नाम : संजय कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता  संजय कुमार की है जो की झारखण्ड के निवासी हैं और अपना घर में  रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं | संजय पढ़ाई करने के साथ ही साथ कविता भी लिखना सीख रहे हैं, संजय हमेशा अपने पढ़ाई के लिए म्हणत करते रहते हैं |   

शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

कविता : बुखार, सर्दी और जुखाम

" बुखार, सर्दी और जुखाम "

बुखार, सर्दी और जुखाम 
परेशान करे दिनभर ,शाम | 

कर न पाए कोई भी काम, 
कर दे हमेशा यह बदनाम | 
बुखार, सर्दी और जुखाम, 
परेशान करे दिनभर शाम | 
न तुम स्कूल जा पाओ ,
न चैन से कुछ खा पाओ | 
ये मौसम है बहुत खतरनाक,
कभी जुखाम में बहता है नाक |  
खा न पाओ एक पपीता,
समीर ने बनाई यह कविता | 
जैसे कोई पकडे हो कान,
सर्दी से बचना नहीं है आसान | 
बुखार, सर्दी और जुखाम, 
परेशान करे दिनभर शाम | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह समीर की कविता है जिसका शीर्षक है बुखार सर्दी औरजोखम | इस कविता से यह सीख मिलती है की सर्दी को कभी भी हलके में नहीं लेना चाहिए | समीर को गीत गाने का बहुत शौक है और क्रिकेट खेलने का भी शौक है | 

गुरुवार, 25 अक्तूबर 2018

कविता : खुशियाँ फिर आएंगी

" खुशियाँ फिर आएंगी "

अपने घर भी खुशियाँ आएँगी,
अपने घर भी रंग छाएँगी | 
बस धैर्यता का साथ चाहिए,
बस थोड़ा विश्वास भी चाहिए | 
हर वो ख्वाब पूरे होंगे , 
हम खुशियों के रंग में झूमेंगे | 
अपने सपनों को सच कर पाएँगे,
हम एक नई दुनियाँ बनाएँगे | 
जिसमें चन्द्रमा बच्चों को कहानी सुनाएंगे 
बच्चे अपने दोस्त के लिए ताली बजाएँगे | 
अपने घर भी खुशियाँ आएँगी,
अपने घर भी रंग छाएँगी | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जिसने यह कविता लिखी है और देवराज बिहार का रहने वाला है जो अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर  रहा है | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है साथ ही साथ डांस करना और चित्र बनाना बहुत अच्छा लगता है | 

बुधवार, 24 अक्तूबर 2018

कविता: हवा

" हवा "

सर - सर चलती हवा, 
फर - फर आती हवा | 
कपडे उड़ा ले जाती हवा, 
आसमान में छोड़ आती हवा | 
गर्मी में ढूढ़ते लोग, 
चले जाते हवा की ओर | 
न मिलता हवा उनको,
थक जाते गर्मी में वो | 
तब मिलता हवा उनको, 
तब लेते चैन की साँस वो | 
सर - सर चलती हवा, 
फर - फर आती हवा |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप के परिजन साल में अधिक समय कानपुर में रहते हैं काम करने के लिए | कुलदीप को कवितायेँ लिखने के आलावा डांस और खेलना खूब पसंद है | 

मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018

कविता : मन करता है सागर बनकर

" मन करता है सागर बनकर "

मन करता है सागर बनकर,
दूर तलाक तक मैं लहराऊँ | 
मन करता है हवा बनकर, 
घने बगिया को छू आऊँ | 
मन करता है चंदा बनकर, 
अंधियारे को दूर भगाऊँ | 
मन करता है तारा बनकर, 
एक नया संसार बनाऊँ | 
मन करता है सूरज बनकर,
किरण की नयी उम्मीद जगाऊँ | 
मन करता है एक इंसान बनकर, 
इस धरती में मानवता के बीज उगाऊँ | 

कवि : कामता कुमार , कक्षा :7th , अपना घर



 कवि परिचय : यह हैं कामता कुमार जो की बिहार के एक नवादा जिले के एक गांव के रहने वाले हैं इस समय कामता अपना घर में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं | सच में कामता मानवता के बीज बोन के लिए प्रयत्न करते  हैं | कामता को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक है | 

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018

कविता : " यही तो विज्ञानं है "

" यही तो विज्ञानं है " 

अच्छे कामों से ही नाम होती है,
आसमान में ही उड़ान होती है | 
माँ के चरणों में ही जहाँ होती है,
ऐसे पुरुष ही महान होते हैं | 
जो हम जमीं में एक बीज बोते हैं,
वो हज़ार पेड़ों के सामान होते हैं | 
दूसरों को सदा नमन करो,
वही तो सम्मान होती है | 
जो अपने दिमाग को सही से प्रयोग करे 
वही बंदा ही बुद्धिमान होता है | 
और चीजों को सही से पहचानना 
यही एक महान विज्ञानं होती है | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं | देवराज को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | देवराज अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को प्रेरित करते हैं | देवराज एक महान डांसर बनना चाहते हैं | 

मंगलवार, 16 अक्तूबर 2018

कविता : क्या है

"  क्या है "

क्या कोई ऐसी दुनिया है,
जहाँ खुशियाँ हर बच्चों के लिए हो |
क्या कोई ऐसी चिड़िया है,
जो हम बच्चो के लिए गाती हो | 
क्या वो दादी अभी भी है,
जो बच्चों को लोरी सुनाती हो | 
क्या वो हवा अभी भी स्वच्छ है,
जिससे हर नवजात शिशु जिन्दा हो | 
क्या  वो समाज भी है,
जिसमें हम आज़ादी से रह सके | 
यह सभी से पूछता हूँ,
क्या यह अभी भी है बच्चों के लिए | 
यह बार - बार  पूछता हूँ, 
क्या यह अभी भी है बच्चों के लिए | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढाई पूरा कर रहे हैं | देवराज को गतिविधियों में हिस्सा लेने में बहुत मजा आता  है | देवराज एक डांसर बनना चाहता है | देवराज को विज्ञानं में बहुत रूचि है | 

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2018

कविता : डर

" डर "

डर शब्द से क्या डरना,
यह तो मन का भय है | 
मंजिल से यह दूर है रखता,
हर कदम को है लड़खड़ाता | 
मुश्किलों का यह बांध बनाता,
हर एक ख़ुशी को चर है बनाता |
डर नई उम्मीदों को है रोकता,
नए जीवन को प्रकाश नहीं है  देता |
डर शब्द से क्या डरना,
यह तो मन का भय है | 

नाम " राजकुमार , कक्षा " 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं राजकुमार जो की हमीरपुर के रहने वाले हैं और आजकल अपना घर में रहकर अपनी शिक्षा को पूरी कर रहे हैं | राज को राजनीती में बहुत रूचि है | वह नेताओं के बारे मैं बहुत पढ़ता है | राज की कविताओं क एक सार्थक अर्थ होता है | 

शनिवार, 6 अक्तूबर 2018

कविता : हौशलों के उस सागर में

" हौशलों के उस सागर में "

हौशलों के उस सागर में,
लहरें चलती रहती हैं | 
छोटे से नाव साहस से,
मंजिल की ओर चलती है  
तन छोटा है तो क्या ,
साहस बड़ा होना चाहिए | 
बड़ी मंजिल है तो क्या,
पाने का जज्बा होना चाहिए 
पैर थक जाते हैं पर ,
साहस को मत थकने देना | 
जितनी भी कोशिश हो ,
मंजिल को पाकर ही दम लेना | 



नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अभी अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल पढ़ने के साथ ही साथ कवितायेँ भी बहुत लिखते हैं और चित्रकला भी बहुत बनाते हैं | प्रांजुल एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | 

मंगलवार, 25 सितंबर 2018

कविता : कौन थे भीमराव अम्बेडकर

" कौन थे भीमराव अम्बेडकर "

जब मैं बैठा माँ से हटकर,
पूछा उनसे एक सवाल डटकर | 
कौन है भीमराव अंबेडकर,
सोचने लगी वह कुछ देर बैठकर | 
चुपके से खिसक लिया वहां से,
माँ बैठी थी जहाँ पर | 
गया मैं पुस्तकालय के अंदर, 
दिखा मुझे ज्ञान का समंदर | 
एक किताब उठाकर देखा,
उनके बारे में था लिखा | 
समझ में आया उसको पढ़कर, 
कौन थे भीमराव अम्बेडकर  | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं और अभी अपना घर में रहकर अपनी पढाई कर रहें हैं | देवराज  अच्छे होनहार बालक हैं उसको सभी गतिविधियों में रूचि है और वह सभी में भागीदारी लेता है |  कवितायेँ लिखने के  साथ डांस करना बहुत पसंद है | बड़े होकर एक रसायन के शिक्षक बनना चाहते हैं | 

शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

कविता : आसमां को छूकर आऊँगा

 " आसमां को छूकर आऊँगा "

मैं  सूरज की रौशनी बनकर, 
उजाला धरती पर पहुँचाऊँगा | 
जो मैंने कुछ बनने के सपने देखे थे, 
वह मैं जीवन में सच कर दिखाऊँगा | 
जितनी भी बाधाएँ आएँगी,
हर पल साहस दिखाऊँगा | 
निडर होकर उस बाधा को, 
मुकाबला कर दिखाऊँगा |  
जोश और साहस को जगाऊँगा, 
जमीं आसमां को छूकर आऊँगा | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th ,  अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं विक्रम जो की बिहार के रहने वाले हैं और अभी में रहकर अपनी पढ़ाई कर  | विक्रम की कवितायेँ हमेशा हम सभी को प्रेणना देती हैं हमें कभी भी जल्द ही हार नहीं माननी चाहिए | विक्रम एक कविकार बनना चाहते हैं | 

बुधवार, 19 सितंबर 2018

कविता : हंस लो हसने वालों

" हंस लो हसने वालों,"

हंस लो हसने वालों, 
करो घृणा करने वालों | 
पर दिल का दुःख नहीं,
समझ पाओगे पैसा वालों | 
दुःख की धरा को लेकर मैं निडर रहता हूँ, 
जुल्म करो या सितम 
इस मिटटी की शरीर को लिए रहता हूँ | 
कब तक हुक्म चलाओगे,
समाज को बेवकूफ बनाओगे | 
चारो तरफ है पैसा का धंधा, 
पैसे के लालच में लोग है अँधा | 
जरूर उठेगा कभी अच्छा,
कानून भारत का डंडा | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा :8 , अपना घर 


कवि परिचय : यह है विक्रम जो की बिहार के रहने वाले हैं और अभी अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | विक्रम को समाज से जुडी बुराइयों को ख़त्म करने के लिए उससे जुडी कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | 

शनिवार, 15 सितंबर 2018

कविता : चंद्रशेखर आज़ाद

" चंद्रशेखर आज़ाद "

चंद्रशेखर आज़ाद की थी यह क़ुरबानी, 
खूनों से भरी थी तालाब और नदियों का पानी | 
अंग्रेज़ भारतवासियों को लटका रहे थे, 
मौका मिलने पर धीरे से टपका रहे थे | 
 भारतवासियों में से निकला एक हीरो, 
अंग्रेज़ों को पटक -पटक कर दिया ज़ीरो | 
अब बताइये आप वो कौन थे हीरो, 
वरना आप भी है  देशभक्ति में ज़ीरो| 
चंद्रशेखर आज़ाद की थी यह क़ुरबानी, 
खूनों से भरी थी तालाब और नदियों का पानी | 

कवि : अकीबुल अली , कक्षा : 4th , अपना घर

कवि परिचय : यह  अकीबुल अली जो की असम के रहने वाले हैं अपना घर में रहकर कक्षा 4 की पढ़ाई कर रहे हैं | अकीबुल अली की यह पहली कविता है जो देश के एक महापुरुषके जीवन पर  लिखी है और वैसे   दूसरी कविता है | अकीबुल को गतिविधियों में भाग लेना बहुत अच्छा लगता है और अपने दिमाग का बहुत प्रयोग करते हैं | 


कविता : हिंदुस्तान में पली बड़ी है हिंदी

" हिंदुस्तान में पली- बड़ी है हिंदी "

हिंदुस्तान में पली -बड़ी है हिंदी,
देश के हर गली में है हिंदी | 
जिह्वा के हर कण में है हिंदी,
मातृभाषा के हर शब्द में है हिंदी | 
मातृभाषा रूपी भाषा है हिंदी, 
शब्दों को जानने की  अभिलाषा है हिंदी | 
देश की शान बढ़ाता है हिंदी, 
जन -जन  पहचान बनाता है हिंदी | 
हिंदी की लालिमा को जानों,
हिंदी के अक्षरों को पहचानों | 
यह तो हिंदी भाषा का बहार है, 
इस भाषा में शब्दों का भंडार है | 
हिंदी में बिंदी लगाए रखना,
हिंदी भाषा की शान बढ़ाए रखना | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले है और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | यह कविता प्रांजुल ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में लिखी है जिससे की हम अपने देश की मातृभाषा को कभी नहीं भूले बल्कि इसकी चर्चा और दूसरों तक फैलाए | 

रविवार, 9 सितंबर 2018

कविता : शिक्षा ग्रहण

 " शिक्षा ग्रहण "

शिक्षा ग्रहण करनी है तो, 
पहले विद्यार्थी बनना पड़ेगा | 
ज्ञान ग्रहण करनी है तो,
पहले ज्ञानी बनना पड़ेगा | 
ज्ञान का समंदर बहाना है तो, 
पहले समंदर बनना पड़ेगा | 
कुछ नया सीखना है तो, 
पहले गुरु बनना पड़ेगा | 
गुरु की जिज्ञासा लेकर, 
तुमको आगे बढ़ना पड़ेगा | 
और कुछ सीखना है तो, 
पहले किताब पढ़ना पड़ेगा | 
शिक्षा ग्रहण करनी है तो, 
पहले विद्यार्थी बनना पड़ेगा | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह है समीर जो की इलाहबाद के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | समीर कवितायेँ लिखने के साथ साथ अच्छे गीत भी गा  लेते हैं | समीर एक संगीतकार बनना चाहते हैं और इसके लिए वह म्हणत करता है | 

गुरुवार, 6 सितंबर 2018

कविता : ये खुला आसमान है अपना

" ये खुला आसमान है अपना "

ये खुला आसमान है अपना ,  
जिस पर सजाना है सपना |
हर एक दिन हो अपना ,  
जिस पर हक़ हो अपना | 
जीने और मरने की हो आज़ादी ,  
जाति धर्म में नहीं करेंगे बर्बादी |
जिस जहाँ में कुछ कर सकते है ,  
एक दूजे के साथ रह सकते है |
मन में सदा जिज्ञासा हो ,  
एक ऐसा अपना जहां हो | 
जिस पर सपने अपने हो ,  
एक ऐसा जहां हो | 
जहां तुम और हम हो | | 

कवि : प्रांजुल कुमार,   कक्षा : 9th ,  अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की कक्षा 9th के छात्र है और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल को कविताएं लिखने का बहुत शौक है | यह बड़े होकर एक महान व्यक्ति बनने  के साथ -साथ एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | 

बुधवार, 5 सितंबर 2018

कविता : बारिश का दिन आया

" बारिश का दिन आया "

पहले काले  बादलों ने डराया ,  
फिर पानी खूब बरसाया | 
बारिश का दिन आया ,  
बूंदों का भंडार लाया | 
गर्मी का तापमान गिराया ,  
मेंढक भी खूब टर्र - टर्रया | 
किसानों का भी मन बहलाया ,  
बंजर जमीं को खूब भिगाया | 
बारिश का यही है माया , 
कहीं धुप और कहीं छाया | 

कवि : कामता कुमार ,   कक्षा : 7th ,   अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं कामता जो की बार के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। कामता को एक दूसरों की मदद करना बहुत अच्छा लगता हैं | कामता बड़े होकर कुछ होनहार काम करना चाहते हैं | 

मंगलवार, 4 सितंबर 2018

कविता : कल का भविष्य हैं हम

" कल का भविष्य हैं हम "

हम मज़दूर हैं तो क्या हुआ ,  
कल का भविष्य हैं हम | 
मेरी सफलताओं को ,  
कदम चूमेगी एक दिन | 
हौसला और जज्बा को ,  
कम होने नहीं देंगे हम | 
जब तक मंजिल तय न हो जाए ,  
तब तक कोशिश करते रहेंगे हम | 
मुश्किलों से नहीं घबराएंगे ,  
हर संकटों को पार कर जाएँगे | 

कवि : नितीश कुमार  ,  कक्षा : 8th  ,  अपना घर 

                                                                              


कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | नितीश को टेक्नोलॉजी में बहुत रूचि है | नितीश को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता हैं और अपनी कवितायेँ के मद्धम से दूसरों को जागरूक करते हैं | 

सोमवार, 3 सितंबर 2018

कविता :पाँच उँगलियाँ मिलने से

" पाँच उँगलियाँ मिलने से "

पाँच उँगलियाँ मिलने से , 
एक हाथ बन जाता है |
हर जन लोग मिलने से , 
एक समाज बन जाता है |
एक दूसरे का साथ दो तो , 
वह  सहारा बन जाता है |
पहाड़ के बीच झरना निकलने से , 
एक किनारा बन जाता है |
मन में जिज्ञासा भर लो तो , 
वह जिज्ञासु कहलाता है |
अच्छे कर्म करने से ही , 
वह महान बन जाता है | 

कवि : प्रांजुल कुमार  ,  कक्षा : 9th  ,  अपना घर 

                                                                               
 
कवि परिचय : ह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल बड़े होकर एक  इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं और अच्छे से पढ़ाई करके दूसरों की मदद करना चाहते हैं | 

रविवार, 2 सितंबर 2018

कविता : खेल नसीब का

" खेल नसीब का "

अजीब है खेल नसीब का ,  
टूटता है सपना मज़दूर का | 
मासूमियत से भरा चेहरा है,  
यह बात बहुत ही गहरा है | 
उस घर ने सबको मजबूर बना दिया,  
पैदा हुआ सबको  मज़दूर बना दिया | 
वहाँ भी सपना सजा दिया,  
आखिर में आँसुओं को मिटा दिया | 
यह बात है एक गरीब का,  
अजीब है खेल नसीब का | 
टूटता है हर सपना मजदूर का | | 

कवि : अखिलेश कुमार ,  कक्षा : 8th , अपना घर

                                                                                      


कवि परिचय : यह है अखिलेश कुमार जो की एक मजदूर के नसीब के बारे एक कविता के माध्यम से उनके नसीब को दर्शाया है | अखिलेश पढ़ाई में बहुत ही अच्छे हैं | अखलेश को गणित में बहुत ही रूचि है | 

कविता : खुदा सम्मान है

" खुदा सम्मान है "

खुदा नहीं इस जहान में,  
नहीं तेरी इन्द्रियों के ज्ञान में | 
वो सदा तुम्हारे साथ है,  
आदर और सम्मान में | 

खुदा खुद को जानता है, 
अपने घर को पहचानता है | 
जहाँ आदर और सम्मान है,  
वहीँ उसका विश्राम है | 

खुदा को कहीं खोदा नहीं जाता, 
खुदायी को कहीं खोजा नहीं जाता | 
क्योंकि खुदा खोदने की चीज़ नहीं,  
और खुदायी खोजने की चीज़ नहीं | 

वो है सबके अंदर,  
बकरी हो या बन्दर | 
कवि : हंसराज कुमार  , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं हंसराज कुमार अपना घर के पूर्व छात्र है जो की घाटमपुर के रहने वाले हैं | हंसराज अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं | हंसराज ने बहुत सारी रोचकभरी कविताएँ लिखी हैं | 

शनिवार, 1 सितंबर 2018

कविता : चाँद

" चाँद "

बैठ बिस्तर पर चाँद निहारता, 
उसकी किरणों को आँखों में भरता | 
अंधियारे को दूर मैं करता, 
सभी में एक उम्मीद भरता | 
गोल मटोल है इसका आकार, 
देख तो मन में आया विचार | 
क्यों न इसको समझा जाए, 
इसके बारे में उत्तर पाए | 
शीतल करता हैं मन को ये, 
चमककर भी न जलता है ये | 

कवि परिचय : प्रांजुल कुमार ,  कक्षा : 9th ,  अपना घर 

                                                                                   

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहें हैं | प्रांजुल ने अपनी कविता में चाँद के बारे में बताया है की हमें हमेशा जिज्ञाशु रहना चाहिए | प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | 

कविता : रक्षाबंधन

" रक्षाबंधन "

रेशम का यह डोर,  
जो तूने बाँधी है बहना |
हर एक एक कदम पर,  
खुशियाँ तुझको ही है देना|
मैं जमीं पर भी रहकर,  
तुम्हें आसमां में उड़ाना सिखाऊँगा |
हिम्मत से मैं तुम्हें आगे,  
आगे चलना सिखाऊंगा |
हर मुश्किलों में साथ,  
मेरा साथ देना होगा |
इस रेशम की डोर की,  
कीमत मैं जरूर चुकाऊँगा |
हमेशा खुश तू रहना,  
मुबारक है तुमको
रक्षाबंधन बहना | | 

कवि : देवराज कुमार,  कक्षा : 8th ,   अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं | देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं |