गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

कविता : इसलिए रोना बुरा होता है

" इसलिए रोना बुरा होता है "

जब कोई रोता है,
चुपचाप सहन करता है |
अपने आँसुओं को पी जाता है,
इसलिए रोना बुरा होता है |

अपने भीगे ग़मों को सहता है,
सफलता न मिलने पर हारता है |
अपने सपनों का गला घोटता है,
उम्मीद न होने पर मर जाता है |
इसलिए रोना बुरा होता है | |

अपने को गरीब कहना,
 ख्वाबों को न देखना |
जल्लाद की जिंदगी जीना,
साँस चलते हुए भी जिन्दा रहना |
इसलिए रोना बुरा होता है | |

आसमां से आगे जाना छोड़ देते है,
समाज को गलत ठहराते हैं |
चाँद पैसों के लिए,
मासूमों की जिंदगी छीन लेते है |
इसलिए रोना बुरा होता है | |

मंजिल मिलने पर गुरूर करते हैं,
अपने दोस्तों को ही नहीं पहचानते हैं |
खुदगर्ज की जिंदगी जीते हैं,
देश के लोगों को भूल जाते हैं |
हर बात पर झूठी सलाह देते हैं,
इसलिए रोना बुरा होता है | |

कवि : विशाल कुमार , कक्षा : 9th,  अपना घर


कोई टिप्पणी नहीं: