गुरुवार, 20 जून 2024

कविता :"गहराइयाँ "

"गहराइयाँ "
गहराइयाँ अब बढ़ रही है ,
हर राज को छुपा रही है | 
शामे ढल रही है ,
कुछ तो खो रही है | 
गहराइयाँ अब बढ़ रही है ,
ढूढ़ती आँखों में आँसू | 
होती सिसकियाँ बेकाबू ,
हालात अब बदल रहे है | 
बंजारे बन चल रहे है ,
गहराइयाँ अब बढ़ रही है | 
दूरियां खुद से ही बढ़ रही है ,
बढ़ती हुई उम्मीदों को रोक रही है | 
गहराइयाँ अब बढ़ रही है ,
कवि :साहिल कुमार, कक्षा :8th 
अपना घर 

गुरुवार, 13 जून 2024

कविता: " घर की राह है थोड़ा "

"घर की राह है थोड़ा "
 घर की राह है थोड़ा  
गर्मी है मुँह मोड़ा | 
पाँच  दिन की बात है 
और घर जाने  की बात है | 
जाने को बेतहाशा हो रहा हूँ 
धीरे धीरे तैयारी भी कर रहा हूँ | 
घर की राह है थोड़ा 
गर्मी है मुँह मोड़ा | 
अकेले काटना  होगा ये 
पॉँच  दिन बिना किसी के बिन | 
पाँच  दिन की बात है 
घर जाने की इंतजार है | 


कवि : पंकज,कक्षा :9th   
 अपना घर 

बुधवार, 12 जून 2024

कविता:" फूल भी कितने अच्छे "

 " फूल भी कितने अच्छे "
ये फूल भी कितने अच्छे है 
ये फूल भी कितने अच्छे है | 
इन्हें देखते ही 
हम लोग खुश हो जाते है | 
पर जिस फूल को देखकर 
खुश होते है 
उसे ही पैरों के नीचे कुचल देते है | 
जब उसे कुचलना ही था 
तो उसे देखकर खुश क्यों हो जाते है | 
ये फूल भी कितने अच्छे है 
ये फूल भी कितने अच्छे है | 
कवि :अमरबाबू ,कक्षा :6th 
अपना घर 

मंगलवार, 11 जून 2024

कविता :"जिंदगी "

"जिंदगी "
जिंदगी में जीना आसान नहीं होता ,
जिंदगी कि हर एक कठनाईया झेलना होगा | 
गिर -गिर कर चलना सीखा ,
जिंदगी में हर एक कठनाईयो  को झेलना सीखा|  
मरकर और मार खाकर लड़ना सीखा ,
जिंदगी में जीना आसान नहीं होता | 
जिंदगी कि हर एक कठनाई से लड़ना सीखा, 
गिर-गिर कर चलना सीखा | 
मरकर और मार  खाकर लड़ना सीखा, 
कवि :रोहित कुमार ,कक्षा :7th 
अपना घर 

सोमवार, 10 जून 2024

कविता:"मेरा देश "

"मेरा देश "
मेरा देश है प्यारा ,
जीत के अंत तक कभी न हारा | 
मेरा देश है प्यारा ,
यह हिंदुस्तान हमारा| 
मेरा देश है प्यारा ,
गोलियों कि बरसा |
कभी अंग्रेजी हुकूमत कि अरसा, 
देश के शहीदों कि अस्त से |
उदय हुई खुशियाँ जवानों कि रक्त से, 
होठों पर था दम भरा नारा |
जीत के अंत तक कभी न हारा , 
मेरा देश है प्यारा |
                                                                                                                           कवि :संतोष कुमार ,कक्षा :9th                                                                                                                                                       अपना घर 

रविवार, 9 जून 2024

कविता :"घर की छुट्टिया "

"घर की छुट्टिया " 
जा रहा हूँ मैं घर इस बार 
और सब कहते है 
वहां पर मजे करोगे 
पर घर जाकर पता चलता है 
कि किया होगा वहां पर हाल 
ऊपर से ये तेजी गर्मी 
कर देगा लोगों को परेशान 
ये पांच दिन की छुट्टिया 
जा रहा हूँ घर इस बार 
सारी चीजें हमें पता है 
कि किया होगा वहां पर हल 
इस गर्मी को झेलना 
मुश्किल हो जाएगा 
हो जाएगा बुरा हाल 
घर पे जो मेहनत करते है 
वो मेहनत नहीं है आसान 
कर -करके हो जाते परेशान 
फिर भी काम छोड़ते नहीं 
क्योकि हम लोगों का यही है काम 
इस पांच दिन कि छुट्टिया में 
जा रहा हूँ घर इस बार 
परिवार को हाथ बटाऊगा 
ताकि थोड़ा मिले आराम 
क्योकि हमेशा मेहनत करते रहते है 
मौका ही नहीं मिलता है करने का आराम 
इस पांच दिन की छुट्टिया में 
जा रहा हूँ घर इस बार 
कवि :नवलेश कुमार ,कक्षा :दस 
अपना घर 















   

गुरुवार, 6 जून 2024

कविता: "राहों पर चलना सीखा दिया "

 "राहों पर चलना सीखा दिया "
ना चाहते हुए भी उसने हमें बताया 
बार -बार कह कर हमसे वह काम करवाया 
रोज डाटना ,रोज कहना 
कह -कह कर थक जाना 
पर हार ना मानकर वही चीज 
बस गया नस-नस में 
फिर हमने भी ठान लिया 
अब कहने का मौका ही नही देना  है 
कहने से पहले ही वह काम कर लेना है 
पर अब दुबारा कहने का मौका  ही नहीं देना है 
ना  चाहते हुए भी उसने हमें बताया 
बार -बार कह कर हमसे वह काम करवाया 
कवि : गोविंदा कुमार, कक्षा :8th 
अपना घर  

बुधवार, 5 जून 2024

कविता :"चिड़िया "

"चिड़िया "
चहक -चहक कर आती चिड़िया 
 फुदक -फुदक कर जाती चिड़िया 
फुर्र से वो उड़ जाती चिड़िया 
कभी नहीं वो जल्दी आ पाती चिड़या
दाना चुग कर ही आती चिड़िया 
अपने बच्चों को भी दाना चुगती चिड़िया 
नन्हे -नन्हे बच्चे के साथ 
खुश हो जाती चिड़िया 
कवि :अजय कुमार,कक्षा :5th 
अपना घर