ग्रामीण महिला और अधूरे सपने
एक अदद जहाँ घूमने की आजादी मिल जाए अगर ।
सपनो की दुनिया बसाने की एक राह मिल जाए अगर ।।
अपने न भी हो तो कम से कम अपनों का साया मिल जाए अगर ।
रिस्तो का परिवार न सही बस जिंदगी जीने का एक बहाना मिल जाए अगर ।।
भूखे पेट को भोजन न सही कम से कम अन्न का एक दाना मिल जाए अगर ।
चार दीवारों का आसियान न हो बस रहने का एक ठिकाना मिल जाए अगर ।।
रेशमी कपड़ो का ताना बना न सही कम से कम तन ढकने को एक टुकड़ा कपड़ा मिल जाए अगर ।
सोना चांदी का आभूषण न हो बस एक चुटकी सिन्दूर का सहारा मिल जाय अगर ।।
दर्द से करहाती देह को दावा न सही कम से कम हाल पूछने वाला कोई मिल जाए अगर ।
मान सम्मान की माला न सही बस स्वाभिमान को जगाने वाला कोई मिल जाए अगर ।।
सुख सौंदर्य न सही कम से कम बहते आसुओ को पोछने वाला कोई मिल जाए अगर
एक अदद जहाँ घूमने की आजादी मिल जाए अगर ।
सपनो की दुनिया बसाने की एक राह मिल जाए अगर ।।
एक अदद जहाँ घूमने की आजादी मिल जाए अगर ।
सपनो की दुनिया बसाने की एक राह मिल जाए अगर ।।
अपने न भी हो तो कम से कम अपनों का साया मिल जाए अगर ।
रिस्तो का परिवार न सही बस जिंदगी जीने का एक बहाना मिल जाए अगर ।।
भूखे पेट को भोजन न सही कम से कम अन्न का एक दाना मिल जाए अगर ।
चार दीवारों का आसियान न हो बस रहने का एक ठिकाना मिल जाए अगर ।।
रेशमी कपड़ो का ताना बना न सही कम से कम तन ढकने को एक टुकड़ा कपड़ा मिल जाए अगर ।
सोना चांदी का आभूषण न हो बस एक चुटकी सिन्दूर का सहारा मिल जाय अगर ।।
दर्द से करहाती देह को दावा न सही कम से कम हाल पूछने वाला कोई मिल जाए अगर ।
मान सम्मान की माला न सही बस स्वाभिमान को जगाने वाला कोई मिल जाए अगर ।।
सुख सौंदर्य न सही कम से कम बहते आसुओ को पोछने वाला कोई मिल जाए अगर
एक अदद जहाँ घूमने की आजादी मिल जाए अगर ।
सपनो की दुनिया बसाने की एक राह मिल जाए अगर ।।
नाम : के .एम भाई
अपना घर , कानपुर