शनिवार, 31 अगस्त 2019

कविता : फूल

" फूल "

मन करता है फूल बन जाऊँ,
हर जगह मैं खिल जाऊँ |
स्वर्ग सी धरती में मैं खिलूँ
कुर्बान शहीदों पर मैं चढ़ूँ |
घर की शोभा मैं ही बढ़ाऊँ,
खुशबू की महक चारों ओर फैलाऊँ |
क्यारी में रौनक बढ़ाऊँ,
सभी को अपनी ओर खींच लाऊँ |
मंदिर हो या मस्जिद पर,
हर जगह मैं मिल जाऊँ |
मन करता है फूल बन जाऊँ,
हर जगह मैं खिल जाऊँ |

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी है | सार्थक इस कविता के जरिए अपने मन की इच्छा को व्यक्त करना चाहा है जिसमें उन्होंने कल्पना की है कि काश मैं फूल होता | सार्थक की यह कविता बहुत ही प्रेरणा से भरी है |  

गुरुवार, 29 अगस्त 2019

कविता : पानी की बूँदें

" पानी की बूँदें "

ये पानी की बूँदें गिरती हुई कहती हैं,
क्या मैं ही हूँ या पूरी दुनियां ऐसी है |
मैं एक बून्द की तरह गिरती है,
शरण न मिलने पर यूँ ही फिरती है |
धूल में मिलूँगी या यूँ ही बून्द रहूंगी,
यदि लक्ष्य पूरा हुआ यह बात सबसे कहूँगी |


कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | प्रांजुल को नै चीजें सिखने में बहुत रूचि है | प्रांजुल पढ़ाई के साथ - साथ गतिविधियों में भी अच्छा है |

बुधवार, 28 अगस्त 2019

कविता : ऊँचे

" ऊँचे "

ऊँचे है ये कितने ऊँचे हैं,
सीधे हैं ये कितने सीधे हैं |
पर ये है कितने फीके,
इनसे हमको भी है सीखना,
कठिनाइयों से है लड़ना |
बस उनको तो है सिर्फ पढ़ना,
ये हैं हिमालय
बस आप से इतना है कहना |

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | समीर कवितायेँ किसी भी विषय पर लिखते हैं | समीर एक बहुत ही नेक छात्र है |

सोमवार, 26 अगस्त 2019

कविता : राखी का पर्व

" राखी का पर्व "

राखी का पर्व है भी बहनों का,
सम्बन्ध है यह रक्षा बंधन का |
भाइयों के कलाइयों में बांधकर,
चली जाती है रक्षा माँगकर |
ख़ुशियों का त्यौहार है,
रक्षाबंधन सा का एक त्योहार है |
प्यारे हाथों से मिठाई खिलाए,
रक्षा सूत्र बांध जाए |
राखी का पर्व है भी बहनों का,
सम्बन्ध है यह रक्षा बंधन का |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक" राखी का पर्व" है | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | कुलदीप को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है | कुलदीप नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |

रविवार, 25 अगस्त 2019

कविता : मन करता है पक्षी बनूँ

" मन करता है पक्षी बनूँ "

मन करता है पक्षी बनकर,
खुले आसमान में उड़ जाऊँ
हर एक पल  को मैं,
अपनी यादों में बसाऊँ |
हरी भरी सी डालियों पर,
मैं अपनी चहचाहट सुनाऊँ |
अपने को साबित करने को,
हर मुश्किल को पार कर जाऊँ |
खुले आसमान में पंख फैलाकर,
अपनी परेशानियों को मैं बतलाऊँ |
तूफान हो मुसीबत का पहाड़,
डट कर सामना मैं करूँ |
मन करता है पक्षी बनकर,
खुले आसमान में उड़ जाऊँ |

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक "मन करता है पक्षी बनूँ है" | सार्थक को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | सार्थक अपने मन के भावों को कविता के माध्यम से व्यक्त करता है | सार्थक इण्डियन आर्मी में भर्ती होना चाहते हैं |
 

शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

कविता : मुस्कुराते फूल

" मुस्कुराते फूल "

हवाओं में हिलती हुई
वह फूल जो कुछ कहना चाहती है |
अपनी सजी हुई टहनियों को लेकर,
हवाओं के साथ खेलना चाहती है |
खुशबु से तन को महकाना चाहती है
आस पास पेड़ पौधों से कहकर,
अपनी खुशबू से मन को बहलाना चाहती है |
यह फूल के पौधे हवाओं से खेलना चाहती है | |

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | सुलटन को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | सुल्तान क्रिकेट बहुत अच्छा खेलते हैं | सुल्तान को स्केटिंग चलना पसंद है |


गुरुवार, 22 अगस्त 2019

कविता : बूँदे भी कुछ कहना चाहती है

" बूँदे भी कुछ कहना चाहती है "

ये बूँदे भी कुछ कहना चाहती है,
कुछ बताना चाहती है |
और कुछ सुनना चाहती है,
जब मैं गिरूँ इस धरती पर,
तो मुझे एक सरोवर में बचा लेना |
या फिर तुम अपनी एक पात्र में,
मुझे थोड़ी सी जगह दे देना |
ऐसा बस लिए कुछ कर देना,
मेरे अस्तित्व को ख़त्म मत कर देना |

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता बिहार के निवासी नितीश के द्वारा लिखी गई है जो की कवितायेँ लिखने में महारथ हाशिल किए हुए हैं | नितीश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और कवितायेँ लिखते भी हैं | नितीश पढ़लिखकर अपनी परिजन की सेवा करना चाहते हैं |

बुधवार, 21 अगस्त 2019

कविता : मेरे देश के शहीदों

" मेरे देश के शहीदों "

मेरे देश शहीदों ने,
करवाया हमें आज़ाद |  
दुश्मनों से लड़कर,
किया उनके परिवारों को बर्बाद |
हम लोगों को मिली है आज़ादी,
आज़ादी को मत करना बर्बादी |
चाहे मेरे शहीदों के सामने,
खड़ी कर दो सेना
लेकिन शहीदों के मरने के बाद
देश को अपने झुकने मत देना |
तभी मेरे इस देश का झंडा,
हर जगह में फहराया जाएगा |
मेरे देश को आज़ाद कराने में,
जिन्होंने दिया है बलिदान |
उन शहीदों को आज,
भी याद किया जाएगा |

कवि : महेश कुमार  कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता महेश के द्वारा लिखी गई है जो की कक्षा ५ के विद्यार्थी है | महेश को कवितायें लिखने का बहुत शौक है | कवितायेँ लिखने के साथ ही साथ खेल और चित्र बनाने में भी रूचि है | महेश एक बहुत ही अच्छा छात्र है |

मंगलवार, 20 अगस्त 2019

बाल सजग: कविता : मैं क्या बनूँ

बाल सजग: कविता : मैं क्या बनूँ: " मैं क्या बनूँ " मैं क्या बनूँ, इस सवाल ने सताया | मैं क्या करूँ, किसी ने नहीं बताया | फिर मैं परिवार वालों से पूछा,...

कविता : बूँद

" बूँद "

जब भी पानी बरसता है,
फिर बूँद जरूर बरसता है |  
बूँद -बून्द से ही खेती है,
जिसकी जरूरत हमको सदा होती है |
बूँद -बूँद से बना है यह संसार,
बिना बूँद नहीं होगी बड़ा पार |
बूँद चीज है जो कभी मर नहीं सकती,
बूँद के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती |
बूँद से ही जीते हैं संसार,
बूँद -बूँद से ही भरा है ये संसार |

कवि , मंगल कुमार , कक्षा : 3rd , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता एक छोटे से कवि जिसकी कविता लिखने की नई शुरुआत हुई है और कविता ी शुरुआत एक बूँद कविता से की है | मंगल मध्य प्रदेश के निवासी है जो की कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं |  

सोमवार, 19 अगस्त 2019

कविता : बलिदान

" बलिदान "

बलिदान देकर अपनी जान,
दिया हमें स्वतन्त्र जहान | 
न भूलेंगे हम उनके प्राण,
जो दिया है हमको शान |
दिन - रात उन्होंने लड़ी लड़ाई,
तब जाकर हमें मिली रिहाई |
संघर्ष भरा था हर समय,
सोच में डूबा था हर नयन |
वीर हुए इस देश में बहुत सारे,
जिन्होंने दे दी जान वतन के हवाले |
स्वतन्त्र दिवस हमने मनाया,
श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया |  

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8TH , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी है | कुलदीप ने यह कविता उन शहीदों के लिए लिखी है जो देश को आज़ाद कराते कराते शहीद हो गए हैं | शहीदों को यद् करना हमारा कर्त्तव्य होना चाहिए | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |  

रविवार, 18 अगस्त 2019

कविता : एक ख्वाईश

" एक ख्वाईश "

मेरी भी एक ख्वाईश है,
तुम चाहे इसे ज़िद समझो |
या फिर कोई अरमान समझो,
किसी का न था साथ |
मैं थी अकेली मासूम भोली और डरी,
हवा के खिलाफ थी |
बादल ने गरजते हुए दस्तक दी,
मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ही न रहा |
फिर मैंने लम्बा सफर तय किया | |

कवि : राज कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

शनिवार, 17 अगस्त 2019

कविता : बदला सा हूँ

" बदला सा हूँ "

मैं थोड़ा बदला सा हूँ,
पहले थोड़ा ठीक था |
पर मैं थोड़ा पतला हूँ,
क्योंकि मैं थोड़ा बदला हूँ |
मेरे भाषण में अंतर आया है,
सोच में गहरी छाया है |
जिम्मेदारी की अहसास तो है,
पर निभाने का समय नहीं है |
मैं बहुत बार गिर कर संभला हूँ,
क्योंकि मैं थोड़ा बदला सा हूँ |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी गई है जो की बैहर के नवादा जिले के निवासी है | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | देवराज को नई चीजों के बारे में जानकारी एकत्र करने में बहुत मज़ा आता है | देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छा है | देवराज को कवितायेँ बहुत लिखते हैं |

शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

कविता : फूल बन जाऊँ

" फूल बन जाऊँ "

मन करता है फूल बन जाऊँ,
सुन्दर सी महक फैलाऊँ |
महान व्यक्तियों के लिए,
मैं सुन्दर सी माला बन जाऊँ |
एक घर के लिए मैं साया बन जाऊँ,
मैं उन लोगों के लिए सहारा बन जाऊँ |
क्यारियों और बगीचों के लिए,
सुन्दर सा सजावट जाऊँ |
मंदिर , मस्जिद दोनों के लिए के,
रंग बिरंगे फूल बन जाऊँ |
मन करता है फूल बन जाऊँ,
सुन्दर सी महक फैलाऊँ |

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | सार्थक को क्रिकेट खेलना का बहुत शौक है | सार्थक पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | साथक एक आर्मी बनना चाहते हैं | एक फूल बनने की कल्पना की है |

गुरुवार, 15 अगस्त 2019

कविता : चेहरे की मुस्कान

" चेहरे की मुस्कान "

चेहरे की मुस्कान,
यु ही बनाए रखना |
हर मंजिल मेंहर दिक्कत में,
यूँ ही बचाये रखना |
रुकावटें लाखों आए,
मगर तुम पीछे मत हटना |
मिल कर लड़ेंगें हम,
बस तुम यूँ ही मुस्कराते रहना |
चेहरे की मुस्कान,
यूँ ही बनाए रखना |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | कुलदीप को डांस करना बहुत पसंद है |

बुधवार, 14 अगस्त 2019

कविता : मैं मुसाफिर

" मैं मुसाफिर "

कड़क धुप की गर्म हवाओं में,
चलता रहता हूँ मैं मुसाफिर |
न छाँव और न ही थकान, 
महसूस करता हूँ मैं आखिर |
उस लक्ष्य को मुझे पाना है,
बिना रुके लक्ष्य को है जाना |
चाहे हो जितनी बाधाएँ ,
हर मुसीबतों को तर जाएँ |
हर कदम को संभल कर रखना,
हर बाधाओं को परखना |
आखिर लक्ष्य तक जाना है,
यह संदेशा सभी को बताना है |

कवि : प्रांजुल कुमर , कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखे का बहुत शौक है और वह बहुत सी कवितायेँ भी लिख चुके हैं | पढ़ लिखकर एक अच्छे इंजीनियर बनना चाहते है |

मंगलवार, 13 अगस्त 2019

कविता : सागर बन जाऊँ

" सागर बन जाऊँ "

मन करता है सागर बन जाऊँ,
सन्देश देने वाली लहरें बन जाऊँ |
ऐसे उठूँ कि गिर न सकूँ,
लोगों को जीना सिखाऊँ |
पानी की तरह रहना सिखाऊँ,
मैं उन सभी से यह बात कह पाऊँ |
मन करता है सागर बन जाऊँ,
सन्देश देने वाली लहरें बन जाऊँ |
काश सभी को सन्देश पसंद आए,
मेरी बातें लोगों के दिल को छू जाए |  
काश मैं एक संदेशा कहलाऊँ,
मन करता है सागर बन जाऊँ |

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के निवासी हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ लिख भी चुके हैं | कवितायेँ लिखने के आलावा क्रिकेट खेलना और संगीत में भी बहुत रूचि है |

रविवार, 11 अगस्त 2019

कविता : मैं क्या बनूँ

" मैं क्या बनूँ "

मैं क्या बनूँ,
इस सवाल ने सताया |
मैं क्या करूँ,
किसी ने नहीं बताया |
फिर मैं परिवार वालों से पूछा,
फिर  भी मुझको कुछ न सूझा |
दिमाग में आने लगे विचार,
क्या पढ़ना लिखना है बेकार |
पर मुझे लगा कुछ होगा यार,
जिससे हो जाएगी नौका पार |
इस सवाल ने कितना सताया,
मैं किस लायक हूँ,
मुझे किसी ने नहीं बताया |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 9TH , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी गई है ,जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं परन्तु वर्तमान समय में कानपुर के 'आशा ट्रस्ट 'नामक संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | देवराज की यह कविता अपने पर आधारित है | देवराज को कुछ भी सिखने में बहुत रूचि है |

कविता : मौसम

" मौसम "


बदल रहें हैं मौसम आज,
फिर भी सभी हैं खास |
बदरी छा रही है पल पल में,
सुनहरी धूप खिल रही है कण कण में |
बादल भी कभी रोने लगते हैं,
सारी गन्दगी धुलने लगती है |
बसंत ,नई कली को जन्म देती,
तपती धूप पेड़ों का दम हर लेती |
गर्मी में भी बारिश की होती है आस,
बदल रहे मौसम ,फिर भी है खास |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा :  10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | प्रांजुल के कविताओं का शीर्षक प्रकति से मिलता - जुलता होता है | पढ़ लिखकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं 

गुरुवार, 8 अगस्त 2019

कविता : छुट्टी हुई

" छुट्टी हुई "

छुट्टी हुई , छुट्टी हुई,
स्कूल से आज छुट्टी हुई |
चार को स्कूल खुलेगा,
उसी दिन कॉपी , किताब मिलेगा |
फिर मैं स्कूल जाऊंगा,
स्कूल में पहले प्रार्थना करूँगा |
फिर दूसरा पीरियड लगेगा,
उसके आगे पता पता नहीं है |
फिर समय हो जाऊँगा,
तो मैं घर आ जाऊँगा |

कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता नवलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | कानपुर के अपना घर संस्था में रहकर कक्षा ५ में पढ़ाई करते हैं | नवलेश को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है | पढ़ाई के प्रति बहुत सिरियस रहता है |

बुधवार, 7 अगस्त 2019

कविता : एक कण हूँ मैं

" एक कण हूँ मैं "

बचपन से धूप में तपता रहा हूँ मैं,
धूल के कणों से खेलता रहा हूँ मैं |
पर मुझे आज एक मौका मिला है,
जो बहुत ही मुश्किल से मिला है |
इतने बड़े संसार में,
इस बड़े परिवार में |
शायद एक कण हूँ मैं | |
छोटे चीजों से खेलना पसंद करता हूँ,
उन्हें हाथों में रखकर देखना पसंद करता हूँ |
उसे एक सुनहरी जगह रखकर,
करीब से समझना पसंद करता हूँ मैं,
क्योंकि शायद मैं एक कण हूँ |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिला के रहने वाला है | देवराज को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | इस कविता का शीर्षक है " एक कण हूँ मैं "जो की परिवार में सदस्य के महत्व को दर्शाता है |

सोमवार, 5 अगस्त 2019

कविता : डर है मुझे

" डर है मुझे "

रंग के त्योहारों में,
एक अनोखे नज़ारों में,
खुद को मुझे खोने का डर है |
डर है मुझे उन चीजों से,
जो मुझे आकर्षित करती है |
डर है मुझे उन शक्षों से,
जो अपने बातों में दूसरों को गुमराह करते हैं  |
नयी हसीन बाज़ार में,
एक कहीं दुनिया के आढ़ में |
खुद को मुझे खोने का डर है,
डर है मुझे रंगीन चेहरे से |
डर है मुझे हसीन पहरे से,
मुझे डर है खुद को खोने का |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक " डर है मुझे " | देवराज ने यह कविता समाज को देखकर लिखी है की आज के युग में लोग आकर्षित होकर खुद खो देते हैं | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | देवराज एक इंजीनयर  बनना चाहते है |

रविवार, 4 अगस्त 2019

कविता : प्यारी माँ है तू

" प्यारी माँ है तू "

धूप की तपती कहर है तू,
दोनों हाथों में स्वर्ग का आनंद है तू |
वह प्यारी माँ है तू,
छाती से दूध पिलाने वाली माँ है तू |
हर दर्द को समझने वाली,
हर मुसीबत से निपटने वाली |
एक प्यार का समुन्दर की लहरों का,
भरा हुआ जलासय है तू |
वह नाज़ुक से पैर को सराहने वाली,
गिर जाने पर दौड़ कर उठाने वाली |
मेरा सारा जहान तू है,
मेरी माँ है तू |


कवि : विक्रम  कुमार , कक्षा: 9TH , अपना घर

कवि परिचय : यह है विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है जिसका शीर्षक है मेरी प्यारी माँ है तू | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | विक्रम रोचक भरी कवितायेँ भी लिखते हैं | विक्रम एक  नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | आशा है की यह कविता सबके मन को भाएगी |

शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

कविता : हौशला

" हौशला "

मुझमें भी वह हौशला है,
मेरे भी कुछ ख्वाइश हैं |
मैं अपने को साबित कर सकता
पेन और कॉपी के सहारे |
अपना उज्जवल भविष्य लिख सकता हूँ,
उसको सबके सामने पढ़ सकता हूँ |
सुनहरे अक्षरों का ज्ञान हममे भी है,
गहराई में जाने की क्षमता हममे भी है |
तैरते हुए समुन्दर को पार करना है,
अब किसी से नहीं डरना है |   

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक हौशला है | हौशला सभी में होता है लेकिन उसे दिखाने में झिझकते हैं |
सार्थक को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | सार्थक बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | सार्थक एक आर्मी ऑफिसर बनना चाहते हैं |

गुरुवार, 1 अगस्त 2019

कविता : सावन की पहली बारिश

" सावन की पहली बारिश "

सावन की पहली बारिश ऐसे आया,
जैसे अँधेरे कोठरी में कोई मुशाफिर आया |
सुनशान जगह में कोई नया जीवन लाया,
हरे हुए लोगों का जोश बढ़ाया |
पूरे तरफ हरियाली ही छाई है,
लगता है कोई रौनक लाई है |
प्रकति ने अपना जलवा बिखेरा है,
जिसके कारण सबसे अच्छा सबेरा है |
ये सावन कुछ अलग से आया है,
जो सबको कुछ ज्यादा भाया है |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता देवब्रज के द्वारा लिखी गई जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं और कानपूर के अपना घर नामक संस्था में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | देवराज को कवितायेँ लिखने के आलावा डांस करना है | देवराज एक साइंटिस्ट बनना चाहते हैं |