सोमवार, 29 अप्रैल 2024

कविता: "विशवास "

 "विशवास "
मै क्यों हर पल रुक जाता हूँ ,
न चाहकर भी मै डर जाता हूँ | 
सारी चीजे मालूम है मुझको ,
पर अंदर से हिचकिचाता हूँ | 
हर वक्त सोचा है उनको ,
पर क्यों कुछ कह नहीं पाता हूँ | 
मै क्यों हर पल रुक जाता हूँ ,
मरती आशाओ में डूब जाता हूँ | 
मै क्यों हर पल रुक जाता हूँ | 
न चाहकर भी मै डर जाता हूँ,
कवि :बिट्टू कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर 

रविवार, 28 अप्रैल 2024

कविता: "आज़ाद देश "

"आज़ाद देश "
कौन कहता है भहरात देश आजाद है?
लोगो के जीवन में खुद का सहारा है | 
बच्चों के लिए न ही अच्छी शिक्षा ,
और न ही बराबर अधिकार है | 
कौन कहता है ये देश आजाद है?
अमीरों से भी ज्यादा ,
जंहा तक गरीबों की संख्या ज्यादा है | 
उन लोगो को मिलता सम्मान है ,
मेहनत तो कर के देखो | 
मेहनत करना भी न आसान है ,
तो कौन कहता है, भारत देश आजाद है?
अभी भी जाती के प्रति छुवा -छूत होता है | 
निचले जाती के लोगो को,
न मिलता बराबर अधिकार है|    
कौन कहता है भारत देश आजाद है?
कवि: नवलेश कुमार ,कक्षा :10th 
अपना घर 

शनिवार, 27 अप्रैल 2024

कविता:"मौसम "

"मौसम "
सुनहरे मौसम ये बता रहा है ,
बारिश में भीगना जो आनंद है | 
बादलों में चिड़ियों को उड़ना आजादी है ,
हवनों में इधर से उधर बात करना | 
सुनहरे मौसम ये बता रहा है,
रिमझिम बारिश में नहाना | 
सभी लोग के साथ नाचना, 
आनंद से यूँ रहना | 
सुनहरे मौसम ये बता रहा है,
कवि: शिवा कुमार , कक्षा :8th 
अपना घर 

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

कविता :"मौसम "

"मौसम "
अब मौसम को क्या बताना ,
कभी कड़क गर्मी और धूप से मंडराना | 
कभी काले बदलो से सूर्य  ढक ले जाना ,
बारिश की मौसम का अब न कोई ढिकाना | 
अब मौसम को क्या कहना ,
चलती और बहती झरनो को सुखा देना | 
प्रकृति में गर्मी से उथल -पुथल  होना ,
बारिश मौसम का अब न कोई ढिकाना | 
अब मौसम को क्या कहना ,
कभी कड़क गर्मी और धूप से मंडराना 
| कवि :गोविंदा कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर 

गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

कविता:"खेल "

"खेल " 
खेल के मैदान में ,
हार -जीत का फासला बना रहता है | 
जो मंजिल बुना  है तूने ,
उस कोशिश में लगा रहना पड़ता है | 
आत्मा और अपने ये धीरज रखो ,
संघर्ष का रास्ता बहुत लम्बी होती है| 
उस पर कदम से  कदम मिलकर चलना उचित है ,
तूने तो अब बुनियाद रचना शुरू किया है | 
अब तो दूर सागर पार जाओगे ,
खेल के मैदान में | 
हर -जीत का फासला बना रहता है,
कवि :नीरू कुमार , कक्षा :8th 
अपना घर 

बुधवार, 24 अप्रैल 2024

कविता :"नींद "

 "नींद "
सोया था मैं न जाने कहाँ ,
सपना खोया था मेरा जंहा | 
सबकुछ छूटता जा रहा है,
मेरा लक्ष्य मुझसे रूठता जा रहा है | 
मै ढूंढ रहा हूँ अपने आप को ,
वही फूर्ति और ऐहसास को | 
मै पूरा जोर लगा दूंगा ,
अपने सपने को अपना बना लूंगा | 
सोया था मै न जाने कंहा ,
सपना खोया था मेरा जंहा | 
कवि :कुलदीप कुमार , कक्षा :12th 
अपना घर 

रविवार, 21 अप्रैल 2024

कविता :"अकेला "

"अकेला "
शुक्र है की मैं अकेला मुस्कुराता हूँ ,
हर वक्त हर समय ख्यालो में खोया रहता हूँ | 
नहीं है कोई खौफ किसी का ,
अकेला हूँ अकेला रह लेता हूँ | 
जीने को नहीं चाहिए कुछ इस जंहा से ,
सोच की बस एक राह में रहता हूँ | 
अकेला हूँ अकेला रह लेता हूँ ,
खुद से कोई खता नहीं मुझे | 
दूसरों से कोई गिला नहीं मुझे ,
अकेला हूँ अकेला रह लेता हूँ | 
कवि :साहिल कुमार , कक्षा :8th 
अपना घर 

शनिवार, 20 अप्रैल 2024

कविता:"छुट्टी "

"छुट्टी "
हाय दिन भर सोना हो गया ,
यह छुट्टी नहीं अब रोना हो गया | 
सुबह शाम बस खुद में खो गया ,
न जाने किसने जगाया और सो गया | 
मेरा मन हर सपने में मचलता गया ,
न  जाने कब सूरज भी ढलता गया | 
जो सोया फिर सबकुछ खोया ,
पाने के लालच में मन को ढोया | 
हाय दिन भर सोना हो गया ,
यह छुट्टी नहीं अब रोना हो गया | 
                                                                                                                        कवि :कुलदीप कुमार ,कक्षा :12th
                                                                                                                                                          अपना घर  

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024

कविता:" आंबेडकर जयंती "

" आंबेडकर जयंती "
आज बात कर रहे है उनका ,
जिसने भारत देश को स्वतंत्र बनाया | 
गरीबों के हक़ के लिए आवाज उठाया ,
और उन लोगो को सही सम्मान दिलाया | 
दलितों के लिए नवदीप जलाया ,
समाज में नया परिवर्तन लाया | 
और नीच जाती के लोगो को उच्च जाती तक पहुँचाया ,
लोकतंत्र देश के लिए बड़ा योगदान निभाया | 
                                                                                                                         कवि :नवलेश कुमार ,कक्षा :10th
                                                                                                                                                          अपना घर  

गुरुवार, 18 अप्रैल 2024

कविता :"आंबेडकर जयंती "

"आंबेडकर जयंती "
जिस जगह से मैं  गुजरूं ,
वह जगह अपवित्र हो जाता | 
जिस कुंआ का पानी मैं पिया ,
वह कुंआ का पानी अपवित्र हो जाता | 
हर कदम और हर जगह पर ,
छुवा -छूत से लड़ना पड़ता | 
इस समाज  में हर कठिनाइयों  को सहना पड़ता ,
जब एक ने आवाज इस पर उठाई | 
हजारो की संख्या के साथ लोग है आए ,
हर एक चीजों से हम सब को आजाद है कराया | 
छुवा -छूत और जात -पात से ,
इस समाज से छुटकारा है दिलाया | 
जिस जगह से मैं गुजारूं ,
उस जगह पर चैन से सो सकूं | 
                                                                                                                       कवि :संजय कुमार , कक्षा:12th
                                                                                                                                                      अपना घर 
  
                                                                                    






 

बुधवार, 17 अप्रैल 2024

कविता : "मुसाफ़िर "

 "मुसाफ़िर "
हम मिसफ़िर बनकर | 
निकल पड़े अनोखी राह की तलाश में,
न तपती धूप की परवाह | 
न आंधी और तूफान की ,
और न वह डरावनी रातों की | 
 हम सब निकल पड़े ,
ढलते सूरज की ओर | 
चमकते लालिमा को देखकर ,
टिमटिमाते तारो को देखकर| 
बहती शीतल हवाओं में ,
 हम सब निकल पड़े| 
                                                                                                                     कवि : अमित कुमार , कक्षा :10th 
                                                                                                                                                      अपना घर