"वक्त"
वक्त के साथ -साथ इंसान भी बदल जाता है ,
गरीब को सहारा देना |
कोई नजर ही कान्हा आता है ,
मरते गिड़गिड़ाते दूप में तपते|
है वो नादान मानव ,
मगर सब नजरअंदाज कर देते है |
जैसे कोई दानव ,
वो गरीब बच्चा दिन भर रोता है |
मगर हर बुरे इंसान के पास भी,
अच्छा दिल होता है|
आज कल दौलत ही सब कुछ बन गया है ,
यही पर उनका वक्त ही थम गया है |
कवि :मंगल कुमार , कक्षा :8th
अपना घर