शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

कविता : मार्क्स

" मार्क्स "

आज -कल मैं क्या बताऊँ,
दोस्त मैं अब किसे बनाऊँ |
ख़राब मार्क्स आए तो किसे बताऊँ,
औरों से मैं अपने मार्क्स छुपाऊँ |
अच्छे मार्क्स से मैं ख़ुशी पाऊँ,
ख़राब मार्क्स  दुखी हो जाऊँ |
दूसरों के मार्क्स को मैं चिल्लाऊँ,
औरों के मार्क्स मैं बताऊँ |
कोई मजाक उड़ाए तो सुन न पाऊँ | |

नाम : अजय कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर



गुरुवार, 30 जुलाई 2020

कविता : कोरोना

" कोरोना "

कोरोना आया कोरोना आया ,
साथ में अपने बीमारी  लाया |
कोरोना ने सब लोगो को कर दिया परेशान ,
कोरोना से  लड़ना है जंग।
कोरोना आया कोरोना आया ,
साथ में अपने बीमारी लाया।
कोरोना से बच के रहना है ,
कोरोना दे जंग लड़ना है।
कोरोना आया कोरोना आया ,
साथ में अपने बीमारी  लाया।

                                                                                        कवि : रोहित कुमार , कक्षा : 3rd , अपना घर

कवि परिचय : यह कवित जिसका शीर्षक " कोरोना " रोहित के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | यह कविता वर्तमान परिस्थियों को देखकर लिखी गई है | रोहित को कवितायें लिखना बहुत अच्छा लगता है | उम्मीद है रोहित भविष्य में और भी अच्छी कवितायेँ लिखेंगें |

बुधवार, 29 जुलाई 2020

कविता : भारत माता की पुकार

" भारत माता की पुकार "

क्या हम भी कभी खुल कर जी पाएंगें,
या फिर कम उम्र में ही जिंदगी बिता देंगें | 
क्या हम भी किसी को अपना हाल बता पाएँगें,
या फिर दिल की बात दिल में ही छिपाएँगे | 
क्या हम भी कभी खुले आसमान में घूम पाएँगें,
आजादी के गीत खुल कर गा पाएँगें |
 क्या हम भी कभी अपने घर -परिवार से मिल पाएँगें,
या फिर दूर से ही आँखों में आँसूं बहाएँगें | 
शरहद पर बस आजादी के गीत गाता हूँ ,
घर को हमेशा अलविदा कहकर आता हूँ | 
भारत माता को यूँ ही पुकारता हूँ,
अपने दोस्तों का हौशला बढ़ाता हूँ | 

कवि : सुल्तान  , कक्षा : 6th , अपना घर


मंगलवार, 28 जुलाई 2020

कविता : कोरोना

" कोरोना " 

कोरोना ने दुनियां में डाला डेरा,
जीवन पड़ गया खतरे में तेरा -मेरा |
जगह -जगह इसकी चर्चा,
जिनको हो गया कराया खर्चा |
चौपट हो गया इसके चकर में,
 कोई दवा नहीं है टक्कर में |
सभी वैज्ञानिक लगे हुए है,
दवा खोजने के चक्कर में 
देश दुनियाँ सब पीछे हैं 
कोई नहीं हैं टक्कर में | 

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " कोरोना "  लिखी है जो की बिहार के रहने वाले हैं | अखिलेश को कवितायेँ लिखना  अच्छा लगता है | अखिलेश एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | अखिलेश को कहानियाँ पढ़ना अच्छा लगता है |

सोमवार, 27 जुलाई 2020

कविता : शिव के भक्त

" शिव के भक्त "

बम -बम भोले की बोल गूंज रही है
चारो ओर शिव की भक्त ढोल रहे है |
चढ़ा है शिव का नशा इन पर,
बोल रहे है बम -बम चारो धाम घूमकर | 
सावन की इस महिमा में भांग बाँट रहे,
हर गलियों शिव तांडव नाच रहे | 
होश -हवाश खो  बैठे हैं सारे भक्त,
दौड़ रहा है उनमें शिव का रक्त | 
रख रहे सावन का व्रत,
डूबे हुए हैं सारे शिव के भक्त | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " शिव के भक्त " कुलदीप  लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीपने सावन को देखकर यह कविता शिव भक्तों पर  लिखी है | कुलदीप पढ़ लिखकर नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | 

रविवार, 26 जुलाई 2020

कविता : कुछ बूंदें गिरा दे

" कुछ बूंदें गिरा दे "

जरा बादल  से कुछ बूँदें गिरा दो,
चलती हवाओं की सन सनाहट सुना दो | 
जान आफत में फंसी है,
नहीं दिखती चेहरे पर कोई हँसी है | 
साथ में लेकर समुद्र की लहरे सुना दे,
बंद घरों से उन्हें बाहर बुला दे | 
चहकती चिड़ियों की आवाजे सुना दे,
बदलते रूप की महिमा दिखा दे |
कुछ इस तरह मौसम बना दे,
जरा बादल से कुछ बूँदें गिरा दे | 

कवि :सनी कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक "  कुछ बूंदें गिरा दे" सनी के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | सनी ने यह कविता मौसम को देखकर लिखी है | सनी को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं |


शनिवार, 25 जुलाई 2020

कविता : कोरोना से जंग

" कोरोना से जंग "

कैसे बचेगी सबकी जान,
हम सभी हैं एक ही इंसान | 
सभी लोग कर रहे हैं,
कोरोना वायरस को नमस्कार | 
 साफ - सफाई को कर रहे बहिष्कार,
लोगों में मच रहा है हाहाकार| 
अब घडी बदल रही,
किए हुए पर पश्चाताप कर रहे | 
कोरोना वायरस का कहर और बढ़ रहा,
लोग बचने के लिए बेबस हो रहे हैं |
 अब सफाई की राह अपनाने लगे,
 बचने की अब तरकीब सोचने लगे |
एक साथ जुट होने लगे हैं,
कोरोना को खत्म करने में लगें हैं | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " कोरोना से जंग " समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं |समीर को गीत गाने का बहुत शौक है | 



शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

कविता : चन्दा मामा

"  चन्दा मामा "

अँधेरी रात में आसमान निहारा,
दिखा मुझको एक चाँद प्यारा |
खड़ा अकेला आसमान में,
चमकता रहता है रातों में
कर रहा है रातों को उजाला,
पूरे आसमान में अकेले ही डेरा डाला |
अकेला बस खड़ा रहता रात भर,
करता रहता भ्रमड़ रात भर | 
सभी इसको यूँ ही मामा  कहते,
अकेले अंधियारे में किसी से नहीं डरता | 
अँधेरी रात में आसमान निहारा,
दिखा मुझको एक चाँद प्यारा |

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " चन्दा मामा " है अखलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | अखिलेश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | इसके आलावा कहानियाँ पढ़ना भी लिखना अच्छा लगता हैं |


सोमवार, 13 जुलाई 2020

कविता : बारिश के दिन

" बारिश के दिन "

इस बारिश में नहाने का मन करता है
बस छत में यूँ ही झूमने का मन करता है
बारिश की बूँदों को भरना चाहता हूँ,
उन बूँदों को फिर प्रयोग करना चाहता हूँ |
बारिश में मेरा मन और भी तंदुरुस्त होता है,
जो सोचूँ वो काम अपने आप करने लगता है |
बारिश में नहाने का मन करता है | |
बारिश की बूँदें मुझे निराली लगती है,
चारों ओर बस हरियाली ही दिखती है |
बारिश के बाद ही हर कली खिलती है,
फिर उन कलियों में भँवरा मंडराती है |
बारिश का मौसम सुहावना होता है,
हर जीव  के लिए अनजाना होता है |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर

शनिवार, 11 जुलाई 2020

कविता : जब मैं सोता हूँ

" जब मैं सोता हूँ "

जब रात में सोता हूँ,
खुद को अकेला मैं पाता हूँ |
न जाने सब कहाँ चले जाते हैं,
मैं सिर्फ अकेला ही रह जाता हूँ |
सपने में बहुत लोग आते हैं
पर वे सब एक पुतले होते हैं |
उनसे बातें करने की इच्छा होती है,
पर उनसे बातें ही नहीं हो पाती |
सपने को साकार होते हुए देखता हूँ,
पर उत्साह बढ़ाने के लिए कोई नहीं होता है |
सपने की दुनियाँ ही निराली होती है 
छोटी पर बहुत अच्छी होती है | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

गुरुवार, 9 जुलाई 2020

कविता : काले बादल

" काले बादल "

काले - काले बादल आया,
साथ में अपने बारिश लाया | 
रिमझिम - रिमझिम बरसता,
नदी -तालाब को भर देता | 
खेतों में हरियाली लाता,
प्रकृति को यूँ ही खुश कर जाता | 
देख इसको मन मुस्काता,
फिर इसको जी भर देखना चाहता |
काले - काले बादल आया,
साथ में अपने बारिश लाया | 

कवि : शिवा कुमार, कक्षा : 4th , अपना घर

बुधवार, 8 जुलाई 2020

कविता : टिमटिमाते तारे

" टिमटिमाते तारे "

आसमान में सितारे,
लगते हैं कितने प्यारे | 
एक जगह टिमटिमाते,
औरों को भी बुला लाते | 
रात को जी भर जगमगाते,
सुबह होते ही पता नहीं 
कहाँ चले जाते | 
अब वो भी लगने लगे हैं प्यारे,
बनने लगे सभी के दुलारे | 
पूरे जगत में इसकी महिमा फैली है,
लगता है भरी हुई प्रकाश की थैली है | 

कवि : अप्तर अली , कक्षा : 3rd , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " टिमटिमाते तारे " है अप्तर के द्वारा लिखी गई है जो की असम के रहने वाले हैं | इस कविता में तारों के बारे मैं बताया है की रात में तारे जब टिमटिमाते हैं तो कितने अच्छे लगते हैं | अप्तर को  कविता लिखने का बहुत शौक है अभी - अभी कविता लिखने  की शुरुआत की है | उम्मीद है की आगे चलकर और भी अच्छी कवितायेँ लिखेंगें | 

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

कविता : हिंदुस्तान

" हिंदुस्तान "

मुझे गर्व है की मैं उस देश का वासी हूँ,
जिसकी मेरी माँ भी दासी है | 
जिसकी मिट्टी हजारों वीरों के 
बलिदान से बनी है,
जिसकी कण -कण भी उनके एफ्तों सनी है | 
जो पवित्र होकर भी खामोश है,
बैरों को भी बनाया दोस्त है | 
जिसने दुनिया को पाली है,
भटकते हुए को भी संभाली है | 
जिसकी संस्कृति दुनिया में पवित्र है,
जो सबसे अलग और विचित्र है | 
वो दुनिया में एक है,
पर इसके नाम अनेक हैं | 
जिससे महान है हर एक जवान,
उसका नाम है हिंदुस्तान | | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " हिंदुस्तान " देवराज के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | देवराज को विज्ञानं में बहुत रूचि है और तरह - तरह के प्रयोग करते रहते हैं | इसके साथ - साथ डांस करना भी अच्छा लगता है |

सोमवार, 6 जुलाई 2020

कविता : मौसम बना दे

" मौसम बना दे "

जरा बादल से कुछ बूँदें गिरा दे,
चलती हवाओं की सन-सनाहट सुना दे | 
जान आफत में फँसी है,
नहीं दिखती कहीं चेहरे पर ख़ुशी | 
साथ में लेकर समुद्र की लहरें सुना दे,
चहकती चिड़ियों की आवाज सुना दे | 
छल-छल कर झरने बरसे,
पेड़ -पौधे जानवर भी न तरसे | 
कुछ इस तरह मौसम बना दे,
जरा बादल से कुछ मौसम बना दे | 

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 
कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक "मौसम बना दे " सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | सुल्तान को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और साथ ही साथ चित्रकला में भी रूचि रखते हैं |