शनिवार, 25 जुलाई 2020

कविता : कोरोना से जंग

" कोरोना से जंग "

कैसे बचेगी सबकी जान,
हम सभी हैं एक ही इंसान | 
सभी लोग कर रहे हैं,
कोरोना वायरस को नमस्कार | 
 साफ - सफाई को कर रहे बहिष्कार,
लोगों में मच रहा है हाहाकार| 
अब घडी बदल रही,
किए हुए पर पश्चाताप कर रहे | 
कोरोना वायरस का कहर और बढ़ रहा,
लोग बचने के लिए बेबस हो रहे हैं |
 अब सफाई की राह अपनाने लगे,
 बचने की अब तरकीब सोचने लगे |
एक साथ जुट होने लगे हैं,
कोरोना को खत्म करने में लगें हैं | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " कोरोना से जंग " समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं |समीर को गीत गाने का बहुत शौक है | 



1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और सामयिक।
आप अन्य ब्लॉगों पर भी टिप्पणी किया करो।
तभी तो आपके ब्लॉग पर भी लोग कमेंट करने आयेंगे।