शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

कविता : चन्दा मामा

"  चन्दा मामा "

अँधेरी रात में आसमान निहारा,
दिखा मुझको एक चाँद प्यारा |
खड़ा अकेला आसमान में,
चमकता रहता है रातों में
कर रहा है रातों को उजाला,
पूरे आसमान में अकेले ही डेरा डाला |
अकेला बस खड़ा रहता रात भर,
करता रहता भ्रमड़ रात भर | 
सभी इसको यूँ ही मामा  कहते,
अकेले अंधियारे में किसी से नहीं डरता | 
अँधेरी रात में आसमान निहारा,
दिखा मुझको एक चाँद प्यारा |

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " चन्दा मामा " है अखलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | अखिलेश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | इसके आलावा कहानियाँ पढ़ना भी लिखना अच्छा लगता हैं |


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