" चन्दा मामा "
अँधेरी रात में आसमान निहारा,
दिखा मुझको एक चाँद प्यारा |
खड़ा अकेला आसमान में,
चमकता रहता है रातों में
कर रहा है रातों को उजाला,
पूरे आसमान में अकेले ही डेरा डाला |
अकेला बस खड़ा रहता रात भर,
करता रहता भ्रमड़ रात भर |
सभी इसको यूँ ही मामा कहते,
अकेले अंधियारे में किसी से नहीं डरता |
अँधेरी रात में आसमान निहारा,
दिखा मुझको एक चाँद प्यारा |
कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " चन्दा मामा " है अखलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | अखिलेश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | इसके आलावा कहानियाँ पढ़ना भी लिखना अच्छा लगता हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें