शनिवार, 29 जुलाई 2023

कविता :"बारिश "

"बारिश "
 रिमझिम -रिमझिम बारिश आई | 
गर्मी से अब रहत पाई 
यंहा -वंहा हरियाली आई | 
पेड़ -पौधों में खुशियाली आई 
हम भाइओ की मस्ती छाई |  
सावन की महीना आई 
भाइओ ने प्रेम जगाया | 
सावन का महीना आया 
कवि :गोपाल  कुमार ,कक्षा :6th 
अपना घर 

बुधवार, 26 जुलाई 2023

कविता :"सपना "

"सपना "
सपने में आता है वह ख्याव | 
जंहा है खुशियों का स्वाद 
पानी की बूंद है वंहा | 
हवाओ से  मरा है जंहा 
हर पल सुहाना होता है | 
संगीत भी तराना होता है 
फूंलों की महक है | 
समुद्र की लहरों की झनक है 
सपनो में आता है वह ख्याव | 
जंहा है खुशियाँ का स्वाद 
कवि :नीरू कुमार ,कक्षा :7th 
अपना घर 

सोमवार, 24 जुलाई 2023

कविता :"चिड़िया "

"चिड़िया "
 चिड़िया रानी बड़ी सयानी | 
हर रंग की है प्यारी प्यारी 
दाना चुगना इनका काम | 
उड़े है ऊँचे आसमान 
ची -ची करते दिन भर | 
सबसे प्यारे होते है इनके पर 
लाल गुलाबी हरे पीले | 
हर पेड़ों  पर है ये झूले 
चिड़िया रानी बड़ी सयानी | 
हर रंग की है प्यारी -प्यारी 
कवि :कुलदीप कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 
 

रविवार, 23 जुलाई 2023

कविता :"संघर्ष "

"संघर्ष "
 जीवन में एक पल पाया हूँ | 
संघर्ष से आगे बढ़ने को 
इस मौके को हौसलों से सजाया हूँ | 
जीवन में एक सितारा बनने को 
छोड़ चुका हूँ अपना घर दुवार | 
जीवन में कुछ पाने के लिए 
जीवन में एक पल पाया हूँ | 
कुछ बड़ा करने को
सपनो की दुनिया को सजाने को | 
जीवन में एक पल पाया हूँ 
दूसरों की मदद करने को | 
संघर्ष से आगे बढ़ने को  
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

बुधवार, 19 जुलाई 2023

कविता:"अनोखा "

"अनोखा "
 सब सोचते है कुछ  अनोखा कर जाऊ | 
अपने भारत देश नाम रोशन कर जाऊ 
सफलता की हर एक सीढ़ी पर | 
संघर्ष के  राह छोड़ जाऊ 
उगते सूरज की तरह | 
एक रोशनी का दीप बनकर बिखर जाऊ 
बहती नदिंया के लहरों में दिशा बन जाऊ |  
समुद्र तक छोड़ने  उसका साथी बन जाऊ 
सब सोचते है कुछ अनोखा कर जाऊ | 
टूटे रिश्ते में एक प्यार बन जाऊ 
सब लोग भाई चारा से रहे | 
ऐसा एक देश बन जाऊ 
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

मंगलवार, 18 जुलाई 2023

कविता: "दोस्ती "

"दोस्ती "
 दोस्त उसे बनो जो दोस्ती के काबिल हो | 
जो जरूरत पड़ने पर हर वक्त हाजिर हो 
जिस पर बिना शक किये | 
भरोसा करने पर वाजिब हो 
दुःख के पथ हो या खुसी के घडी | 
जिसको सिर्फ तुम्हारी फ़िक्र हो पड़ी 
सुख के वक्त तो ऐसा लगे जैसे | 
किसी पौधे पर हो गुलाब की काली 
उसकी या हमरी आँखे नम न हो | 
एक दूसरे की ख़ुशी देखकर गम न हो   
दोस्तों की ऐसी दोस्ती हो | 
जिसका प्यार कभी काम न हो 
कवि :सार्थक कुमार। कक्षा 12th
अपना घर 

सोमवार, 17 जुलाई 2023

कविता :"बारिश "

"बारिश "
 रिमझिम रिमझिम बारिश हो रही  है|  
रुकने का नाम नहीं ले रही है 
बादल बने है काले घने | 
उमड़ उमड़कर साथ में आ  रहे है 
चारो ओर अँधेरा है छाई | 
बन रही है घटा आज 
लगता है बारिश होने वाली है | 
कुछ बूंद गिरने शुरू हो गए 
धीरे धीरे बदल भी गरजने लगे|  
रिमझिम रिमझिम बारिश हो रही है 
कवि :नितीश कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर  

रविवार, 16 जुलाई 2023

कविता :"मंजिल "

"मंजिल "
 मै मंजिल की रह में निकला हूँ | 
सारी कठिनाई से लड़ता हूँ 
कभी उदास होता हूँ | 
तो  गिर कर संभालता हूँ 
सारी हिम्मत को इक्क्ठा कर | 
अपने लक्छ्य की ओर एक कदम मै बढ़ता हु न 
तब जाकर मै थोड़ा सुकून सा पाता हूँ | 
कभी बड़े भाई  मदद से 
खुद को मोटिवेट करता हूँ | 
मै मंजिल की राह में निकला हूँ 
सारी कठिनाई से लड़ता हूँ | 
कवि :सार्थक कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

सोमवार, 3 जुलाई 2023

कविता :"गर्मी की छुट्टी "

"गर्मी की छुट्टी "
 गर्मी की छुट्टी हो गई ख़त्म | 
दो दिन के बाद स्कूल जायेंगे हम 
45 दिन तक नहीं मिले अपने दोस्तों से | 
लेकिन अब मिलेंगे प्रति दिन उनसे 
क्यूँकि अबसे स्कूल जायेंगे हर एक दिन | 
अभी परीक्षा आने में है 21 दिन 
रहकर घर में हो गए है बोर | 
स्कूल जांयेंगे तो होगा थोड़ा सा सोर 
फिर से होगा पढ़ाई जम के स्कूल में | 
छुट्टियों  में किया मस्ती हमने रूम में 
होगा अब अगले छुट्टी का इंतजार | 
जायेंगे घूमने अबकी नदी के पार 
गर्मी की छुट्टी हो गई ख़त्म | 
दो दिन के बाद स्कूल जारहे हम 
कवि :पंकज कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर