रविवार, 31 मई 2020

कविता : साल

" साल "

जनवरी , फरवरी मार्च आएगा,
पतझड़ और बसंत ऋतु लाएगा |
अप्रैल , मई ,जून आएगा,
गर्मी को साथ में लाएगा | 
जुलाई , अगस्त सितम्बर आएगा,
पानी का भवंडर आसमान में छाएगा | 
अक्टूबर , नवम्बर , दिसम्बर आएगा,
सर्दी को साथ में लाएगा | 
पूरा साल बस यूँ ही निकल जाता है,
कब क्या हुआ कहा नहीं जाता | 
बच कर रहना इन बिगड़ते मौसम में,
मत फसना बिमारियों के चुंगल में | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता नितीश के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक " साल " है | इस कविता में नितीश ने एक साल के बारे में बताया है की कैसे एक साल इतने जल्दी निकल जाता है | नितीश को कविता लिखना बहुत अच्छा लगता है |

शुक्रवार, 29 मई 2020

कविता : महामारी

" महामारी "

लोगों के आँखों में आँसूं देकर,
मैनें डॉक्टर की सलाह माँगी है | 
इस दुनियाँ को बचाने के लिए,
अपनी जान को जोखिम में डाली है | 
लोगों के दुःख दर्द को महसूस किया 
अपनी जिंदगी छोड़ और की जिनदगी जिया | 
लोग तड़प कर बीमारी से मर रहें हैं,
सब चुप है पर कुछ नहीं कर रहे |
इस महामारी में जाति धर्म है 
इस बार केवल एक दूजे के लिए मर्म हो | 
लड़ना है इस महामारी से अगर,
मिल जुलकर चलना होगा हर डगर | 

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बैहर के नवादा के रहने वाले हैं |  सुल्तान को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | वर्तमान समय को देख इस कविता का शीर्षक " महामारी " दिया है |
 

कविता : गर्मी में बेहाल

" गर्मी में बेहाल "

इस गर्मी में हालत है ख़राब,
दुनियाँ वाले हो जाएगें बेहाल | 
पेड़ - पौधे हो गए सूखे,
कुछ लोग बैठे हैं भूखे | 
हवाएँ भी रुख मोड़ लिया,
गर्मी को हमसे जोड़ दिया | 
पंखें कूलर सब हो गए बेकार,
गर्मी से सब हो गए बेकार | 
बाहर जाना हो गया बंद,
बच्चे हो गए तंग |
इस गर्मी में हालत है ख़राब,
दुनियाँ वाले हो जाएगें बेहाल | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " गर्मी में बेहाल " कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | डांस करना भी बहुत अच्छा लगता है | 

बुधवार, 27 मई 2020

कविता : एक दूजे के लिए मर्म हो

" एक दूजे के लिए मर्म हो "

 मुझे वहाँ जाना है,
जहाँ कलियाँ बेझिझक खिलती है | 
मुझे वहाँ जाना है,
जहाँ दो राहे एक साथ मिलती है  |
उस डगर की तलाश में चलूँगा, 
हर मोड़ में अपने पद रखूँगा | 
 तोड़ दूँगा उस बंधे हुए जंजीरों को,
खोल दूँगा बंधें हुए आशियाना को | 
मुझे वहाँ जाना है,
जहाँ जाति धर्म न हो | 
मुझे वहाँ जाना है,
जहाँ केवल एक दूजे के लिए मर्म हो |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " एक दूजे के लिए मर्म हो " प्रांजु के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | विज्ञानं में बहुत रूचि रखते हैं |

सोमवार, 25 मई 2020

कविता : जून की गर्मी

" जून की गर्मी "

जून की लहलहाती गर्मी,
थोड़ा सा भी नहीं है नरमी | 
प्यास लगता बाररम बार,
शरीर ऐसे हो गए गरम 
जैसे लगा हो बुखार | 
सभी परेशां घूम रहे हैं,
घर बैठे ऊब रहे हैं  |
अलग से गरम गरम हवाएँ चलती,
पसीना टपके ऐसा जैसे
 की कोई बर्फ पिघलती | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | देवराज को creativity में बहुत रूचि है | देवराज को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | डांस करना भी अच्छा लगता है |

शनिवार, 23 मई 2020

कविता : डब्बा हो गे बंद

" डब्बा हो गे बंद " 

अब हो चुका लिखते -लिखते बोर,
अब चाहता हूँ मचाना शोर | 
एक ही चीज़ बार -बार लिखना,
एक ही चीज़ बार - बार पढ़ना | 
सोच का डब्बा हो गया बंद,
अब करना है हमें दंग | 
नींद का डब्बा खुला है हर दम,
करता है हमें हर जगह तंग |
कोरोना से नहीं लगता अब डर,
लगता है फालतू बैठा हूँ घर के अंदर | 
जीना है जब इस दुनियाँ,
डर नहीं हमें किसी कोरोना से | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं |

शुक्रवार, 22 मई 2020

कविता : तबाह है हम

" तबाह है हम "

कोरोना के वजह से तबाह है हम 
इस मुसीबत से बेवजह है हम 
इस महामारी में परेशां है हम 
झेलने पड़ रहे है अनेक गम | 
खाने को तरस रहे हैं 
गाँव की गली जाने के लिए तरस रहे हैं | 
अपनों को आंखें देखने के लिए तरस रहीं हैं 
नहीं तो कहीं आँसुओं की धाराएँ बह रहीं हैं | 
इस महामारी से तबाह हैं हम 
कुछ नहीं तो बर्बाद हैं हम

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सनी के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | सनी को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | सनी को खेलकूद में बहुत रूचि है और बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते  है |

कविता : हवा कुछ कहना चाहती है

" हवा कुछ कहना चाहती है "

हवा मुझे कुछ कहना चाहती है,
इस मौसम को बदलना चाहती है | 
इस लहरता हुआ मौसम को,
अब ठीक करना चाहती है | 
जो कुछ भी बेकार थी,
उसे अब बदलना चाहती है | 
हवा मुझे कुछ कहना चाहती है,
कब से बेरहम थी वह बहती हवा | 
सब देखते हुए भी कुछ नहीं कहती हवा,
हवा मुझे कुछ कहना चाहती है | 

कवि : बिट्टू कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " हवा कुछ कहना चाहती है " बिट्टू के द्वारा लिखी गई है | बिट्टू कविता बहुत अच्छी लिखते हैं | कविता लिखने  के आलावा चित्र बनाना बहुत अच्छा लगता है | बिट्टू बिहार के रहने वाले हैं |

बुधवार, 20 मई 2020

कविता : माँ का प्यार

" माँ का प्यार "

आज ये क्या समय आ गया है,
माँ बेटे से अलग हो गई है | 
बेटा माँ से अलग हो गया है,
कई सालों का प्यार जुदा हो गया है | 
आज उसे घर आने के लिए 
देने पड़ जाते हैं इम्तिहान,
जहाँ प्यार से रहते थे 
खेत और खलियान | 
तो उन्हें गाँव में अकेला छोड़ दिया,
जाता है चौदह दिन के लिए 
फिर भी जी लेते हैं 
अपने हौशला को लिए | 
आज ये क्या समय आ गया है,
माँ बेटे से अलग हो गई है | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर ने इस कविता जिसका शीर्षक " माँ का प्यार " कोरोना से होने वाले समय के बारे में लिखा है | समीर को कवितायेँ लिखा बहुत अच्छा लगता है |


मंगलवार, 19 मई 2020

कविता : जिंदगी की जंग

" जिंदगी की जंग "

जिंदगी की जंग 
खूब लड़ेंगें हम,
जिंदगी की जंग जीत लेंगें हम | 
हमें यकीन है  ये बदलेगा मौसम
आंखें नम होगी न होगें,
दिल कोई गम  न होंगें |
जिंदगी के जंग जीत लेंगें हम,
लोग सारे साथ होंगें | 
साथ होंगें सातों रंग,
जिंदगी जंग जीत लेंगें हम | 
चारो तरफ़ गुलाल होंगें,
न होगी दिये की रोशनी,
जिंदगी के जंग जीत लेंगें हम | 
कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | देवराज को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छी लगती है और साथ ही साथ डांस करने का भी बहुत शौक है | देवराज को कुछ नया सीखना अच्छा लगता है |

कविता : विश्वास की किरणें

" विश्वास की किरणें "

विश्वास की किरणें हर जगह होती है,
बस आप विश्वास करके तो देखो |
हर दुखी इंसान आप से बुरा हो सकता है,
बस आप उसके सामने मुस्कुरा के तो देखो |
इस जिंदगी में हमारे बहु किरदार है,
बस वो सारी निभा कर तो देखो |
पता है जीवन में दुःख की घड़ियाँ हैं,
पर वो दुःख घडी को भी तुम ख़ुशी में बदल सकते हो| 
बसथोड़ा इसके बारे में सोच करके तो देखो,
विश्वास की किरणेंहर जगह होती है | 
बस आप विश्वास करके तो देखो,
जितना भी दुखी हो पर एक बार मुस्कुरा के तो देखो | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | समीर एक बहुत अच्छे संगीतकार भी है और रोचक बात है की वह अपने गीत खुद लिखते हैं |

सोमवार, 18 मई 2020

कविता : चींटी और दुकानदार

" चींटी और दुकानदार "

भरा हुआ था चीनी से दुकान,
नींद में खोया हुआ था पहलवान | 
एक चींटी आ पहुंची दुकान,
बोली लेने आई हूँ चीनी 
और भरना है अपना मकान | 
यूँ सुन मांगने लगा पैसे दुकानदार,
बोली मैं तो लेने आई हूँ उधार | 
इतने में इंकार किया चीटीं को,
चींटी लगीं अब रोने को | 
बदला लूँगी कहकर चली गई,
पलटन ले आई अपनी दोस्तों की | 
दुकानदार लगा था बस सोने में,
चींटी लगी थी चीनी ढोने में | 
अचानक नींद खुली दुकानदार की,
तब तक बहुत देर हो चुकी थी | 
ख़त्म हो गई सारी चीनी की इमारते,
दुकानदार रह गया हाथ मलते | 

कवि : पिन्टू कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता पिन्टू के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | पिंटू को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और चित्र कला बनाना अच्छा लगता है | इस कविता का शीर्षक "  चींटी और दुकानदार " है | उम्मीद है पिंटू और भी कवितायेँ लिखेंगें | 

शनिवार, 16 मई 2020

कविता : काश मैं भी चिड़िया होता

" काश मैं भी चिड़िया होता "

काश मैं भी चिड़िया होता,
खुले आकाश की सैर कर पाता | 
पंख फैला दुनिया घूम आता,
काश मैं भी चिड़िया होता | 
नई -नई चीजें देख पाता,
नभ के तारे को संगीत सुनाता | 
पहाड़ों को भी मैं छू  आता,
 काश मैं एक चिड़िया होता | 
मेरे सुनहरे पँख होते,
जो मन में आता वो खाते | 
काश मैं एक चिड़िया होत,
खुले आकाश में घूम पाता | 

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक " काश मैं एक चिड़िया होता " है | इस कविता में एक चिड़िया बनने की इच्छा को प्रकट किया है | सुल्तान को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और साथ ही साथ चित्र कला में भी रूचि रखते हैं |

कविता :हवा चली ठंडी -ठंडी

" हवा चली ठंडी -ठंडी "

हवा चली जब ठंडी -ठंडी 
मन को यूँ ही मोह गया,
इस गर्मी से राहत ये दे गया | 
हवा चली जब ठंडी - ठंडी 
दिन में गर्मी ने कर दिया बेहाल,
रात में भी चैन न आए फ़िलहाल | 
बस हवा के भरोसे बैठे रहते,
गर्मी काटने के पल पल को गिनते | 
चलती है जब ये ठंडी -ठंडी हवा,
ऐसा लगता है यह है एक दवा | 
हवा चली जब ठंडी -ठंडी,
लगता है जग चुकी है मण्डी | 

कवि : संजय कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक "हवा चली ठंडी -ठंडी" संजय के द्वारा  लिखी गई है जो की झारखण्ड के रहने वाले हैं और अपना घर नामक केंद्र में रहकर  अपनी पढ़ाई  करते हैं | संजय को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और अभी  तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | पढ़ाई के प्रति बहुत ही गंभीर रहते हैं और चेस खेलना अच्छा लगता है 

शुक्रवार, 15 मई 2020

कविता : काले - काले बादल

" काले - काले  बादल "

काले - काले बादल छाए,
बाद में खूब बूँदें बरसाए| 
बच्चों ने भी बहुत मौज उड़ाए,
लेकिन परिजन खूब घबराए | 
काले - काले बादल छाए,
मोर , मेढ़क खूब शोर मचाए | 
हरियाली चारो तरफ बेझिझक छाए 
पेड़ पौधों में नए पत्ते निकल आए | 
गर्मी को कर दिया बाय - बाय ,
 काले - काले बादल छाए | |

कवि : कामता कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " काले काले बादल " कामता के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | कामता को कवितायेँ लिखना अच्छा लगता है | कवितायेँ के शिक्षक छोटे होते हैं पर मेसेज बड़े होते हैं | कामता को कुछ नया सीखना अच्छा लगता है |

गुरुवार, 14 मई 2020

Poem : The Time

" The Time "

The story of time and it's unification
it's wait for none
it does not have any derivation .
in the long period of mechanical life
it doesn't with anyone .
because it is totally wise 
it is along with everyone .
even it counts the rotation of the sun
between the space and time have some ab-traction
which leads to Einstein  relation
according to the time everything is well
because before the time everyone is equal 
time never makes any differentiation . 

Poet : Devraj kumar , Class : 10th , Apna Ghar 

Poet Intro : This poem whose title name is "The Time " is being written by Devraj who belong to Bihar from a small distric called Navada . Devral loves to write poem which inspire the people and get motivated to learn something new . Instead of writing poem he also like to Dance and good in this activity .

कविता : प्यारी नींद

" प्यारी नींद "

हमको प्यारी नींद हमारी,
हमको है नींद भाती | 
हर पल वो हमें बुलाती,
हमसे कभी दूर न जाती |
सपनों की दुनियाँ में खेल खिलाती,
रोता हूँ तो वह मुझे हँसती | 
सर्दी - गर्मी से हमें फर्क न पड़ता,
सोने का बस मन है करता | 
हिलाते - डुलाते हैं हजारों लोग,
पर सोने पर न कोई दोस | 
हमको प्यारी नींद हमारी | | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " प्यारी नींद " कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप ने यह कविता अपनी इच्छा प्रकट करने के लिए लिखी है जो की सबको प्यारी होती है और वो है नींद | कुलदीप को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | 

बुधवार, 13 मई 2020

कविता : चूहे की आवाज

" चूहे की आवाज "

खिड़की के पास सो रहा था,
सपनों की दुनियाँ में खो रहा था | 
तभी मुझे एक आवाज़ सुनाई दिया,
देखा तो एक चूहा दिखाई दिया | 
सभी चूहा को माऱ रहा था,
चूहा डर से इधर -उधर भाग  था | 
मैनें पूछा चूहे का हाल,
तभी उसने मुझे कर दिया बेहाल | 
मैनें कहा अब जाओ तुम अपने घर के पास,
दुबारा मत नज़र आना मोहल्ला के आस -पास | | 

कवि : गोविंदा कुमार , कक्षा : 4th ,  अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " चूहे की आवाज " , गोविंदा के द्वारा लिखी  गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | गोविंदा को कवितायेँ लिखने में बहुत मज़ा आता है | पढ़ने में बहुत ही होशियार हैं और चेस खेलना बहुत अच्छा लगता है |

मंगलवार, 12 मई 2020

कविता : हरियाली बन जाऊँ

" हरियाली बन जाऊँ "

हरियाली को देखकर मन करता है,
खुद भी हरियाली में ढल जाऊँ | 
शान्त स्वभाव से बढ़ता रहूँ,
पानी न मिलने पर मैं सूख जाऊँ | 
हवा जब मेरे पास से गुजरे ,
शरण के लिए मेरे पास ठहरे |
नाच - नाच कर गाना गाऊं ,
मैं सबको ये पाठ पढ़ाऊँ | 
अच्छी अच्छी बातें उन्हें सिखाऊँ ,
सीना ताने आसमान को बुलाऊँ | 
मिनरल्स को दम भर खाऊं,
काश मैं हरियाली बन जाऊँ | 
शांत स्वभाव से जिंदगी बिताऊँ | | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर जी की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर के द्वारा लिखी गई यह कविता जिसका शीर्षक" हरियाली बन जाऊँ " है | समीर ने यह कविता प्रकति पर लिखी है की कैसे हमें हरियाली सुकून देती है | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |

रविवार, 10 मई 2020

कविता : सुन -सान सी गालियाँ

" सुन -सान सी गालियाँ "

सुन - सान सी दिख रही थी वह गली,
जिस पर आवाजें गूँजा करती थी | 
सन्नाटा छ गया सड़कों पर,
जहाँ गाड़ियों की सीटी बजती थी |
खामोश हो गया वह खेल का मैदान,
जहाँ बच्चे मैच का आनंद लिया करते थे |
खामोश  सी बहने लगी है नदियाँ,
जहाँ बच्चे नहाया करते थे |
खामोश बैठा रहता है खिड़की के पास,
बचा नहीं उम्मीद की कोई अब  आस |
खामोश हो गई वह दुकान,
जहाँ चाय पिया करते थे| 
सुन - सान सी दिख रही थी वह गली,
जिस पर आवाजें गूँजा करती थी |

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा :6th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं |  सुल्तान को कवितायेँ लिखने का बहुत ही शौक है | सुल्तान एक अच्छे और नेक बालक हैं | सुल्तान ने इस कविता का शीर्षक " सुन -सान सी गालियाँ " हैं |

शुक्रवार, 8 मई 2020

कविता : काश धरती पर भी होते तारे

" काश धरती पर भी होते तारे "

रात की चाँदनी अँधेरी में लटके तारे,
संसार की जगत से देखो ,लगते प्यारे |
सोच में मैं पड़ जाऊँ ये हैं कितने सारे
इसका जवाब देना मुश्किल है प्यारे |
चाँद की रोशनी , रोशनी देते तारे ,
यूँ ही आकाश में घूमते बनके बिचारे | 
काली अंधियारी की शोभा बढ़ाते,
सुबह होते ही गायब हो जाते | 
कितने सुन्दर लगते है तारे,
बैठ बिस्तर पर नजरें निहारे | 
सोच में पड़ जाता हूँ,
काश धरती पर भी होते तारे | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक " काश धरती पर भी होते तारे " है | यह कविता प्रांजुल ने कल्पना कर तारों के बारे में लिखी है | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है

कविता : बन तू महान

" बन तू महान "

सपनों को चुनना फिर उसे पूरा करना,
हर किसी के बस में नहीं होता |
अच्छे से पढाई करने का प्रण लेना,
फिर अच्छे से पढाई कर पाना |
हर किसी के बस में नहीं होता,
हर किसी इ बस में होता है बस |
अपने सपनों को मार देना,
पढाई करने के नाम पर दिखावा करना |
अरे मेरे भाई तू शायद ये भूल रहा है,
की तू अपने को ही धोखा दे रहा है |
बन जाएगा भले  ही तू महान,
फिर भी खो देगा अपने जहान 
कुछ कर दिखा इस दुनिया को
कर सकता हूँ कुछ पाने को | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर कवितायेँ लिखने के साथ - साथ गीत गाना भी बहुत पसंद करते हैं | सभी के साथ सादा व्यवहार रखने वाले समीर एक बहुत ही अच्छा और नेक बालक है |