सोमवार, 19 सितंबर 2022

कविता : " डल के ये जो शाम आई है "

" डल के ये जो शाम आई है "

 डल के ये जो शाम आई है |

देख कितने रंग लाई है ,

जगमगा उठा सारा आँगन |

लगता जैसे आया सावन ,

मन मोह लेता  है दृश्य |

मुरझाये फूल भी ,

महकेंगे अवश्य |

एक नया उमंग आई है ,

डल के ये जो शाम  आई है | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 12th 

अपना घर

रविवार, 18 सितंबर 2022

कविता : " शुरू हुआ त्यौहारों का महीना "

" शुरू हुआ त्यौहारों का महीना "

शुरू हुआ त्यौहारों का महीना  | 

शोर गूंजता  चारों ओर ,

ढोल पीटते मस्त मगन में |

मेले की वह चाट -बतासा ,

शुरू हुआ त्यौहारों का महीना  |

कुछ दिन बात दहशहरा के मेले में जाना है ,

भिन -भिन चीजों को गोर से देखना है |

मजे से मेले में आनंद उठाना है ,

शुरू हुआ त्यौहारों का महीना |

कवि : अमित कुमार , कक्षा : 8th 

अपना घर