मंगलवार, 29 सितंबर 2020

कविता : बरसात की बूंदे

" बरसात की बूंदे "

बरसात की बूंदे ,

जब टपकती   हैं | 

उसकी आवाज सुने ,

मन बहकता हैं | 

पर मै कुछ बुँदे से ,

एक ही बात पूछता हूँ | 

क्या है इसकी रोने की आवाज ,

यही बस सोचता हूँ | 

अगर यह रोने की आवाज हैं ,

यह आवाज है तो हमे | 

 कोई आसमान से फेकता हैं ,


कवि  : अखिलेश कुमार  , कक्षा  : 10th , अपना घर

 


शनिवार, 26 सितंबर 2020

कविता : साइटिस्ट बना रहे कोरोना की दवाई

" साइटिस्ट बना रहे  कोरोना की दवाई "

साइंटिस्ट  बना  रहे कोरोना की दवाई ,

लोग दुनिया में  रहकर कर  रहे लड़ाई | 

कोरोना डोक रहा है  तोप ,

हम सब बैढ़कर कर चूस रहे लाली पोप | 

कोरोना कर दिया जीना मुश्किल  ,

लोग बैठे ठोक रहे किली | 

साइंटिस्ट बना रहे दवाई ,

उसे कहते है लड़ाई | 

कोरोना  को ठोक दिया गोली ,

बच्चे मनाएगे होली | 


कवि  : नेरृ कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर

शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

कविता : ये समय कितना अच्छा हैं

" ये समय कितना अच्छा हैं "

ये समय कितना अच्छा हैं ,

अपने आप को दिखाने का मौका हैं | 

ये समय न आएगा दूबारा ,

मौका आता जीवन में सुनहरा | 

सही से करना होगा समय का प्रयोग ,

तभी चलोगे उचे पर्वत की ओर | 

सहते रहोगे हर लड़ाइयों को ,

तभी पाओगे लक्ष्य  दिन की ओर | 


कवि  : सार्थक कुमार , कक्षा : 10th ,अपना  घर

 

 

 

गुरुवार, 24 सितंबर 2020

कविता : कोरोना ज्यादा बहुत फैल चूका हैं

" कोरोना ज्यादा बहुत फैल चूका हैं "

कोरोना ज्यादा बहुत  फैल चुका हैं ,

और फैल भी रहा है | 

 न जाने कितने साल ,

 तक फैलते रहेगा  | 

कहाँ पर रुकेगा महामारी ,

कोरोना की मरीज है बहुत सारी | 

कोरोना संक्रमित लोग है ज्यादा ,

ठीक होने की संख्या  है आधा | 


कवि  : अखिलेश कुमार ,कक्षा  : 10th , अपना घर

बुधवार, 23 सितंबर 2020

कविता : जब हँसता है मौसम तो

" जब हँसता  है मौसम तो "

जब हँसता है मौसम तो ,

बूँद  बनकर आँसू टपकते हैं | 

जब गाता मौसम तो ,

तूफान बनकर झकझोर कर देते हैं | 

जब रूढ़ता है मौसम तो ,

ठिठुरे कर  सहमे हैं | 

जब मुस्कुराने लगता है मौसम।,

तो पूरे प्राकृतिक में महक छा जाती हैं | 

हवाए भी कुछ कह जाती हैं ,


कवि  : प्रांजुल कुमार  ,कक्षा  : 11th ,अपना घर

मंगलवार, 22 सितंबर 2020

कविता : सोते -सोते सोच रहा था

 " सोते  -सोते सोच रहा था "

सोते -सोते सोच रहा था ,

मै कुछ अलग और खास | 

क्या कभी खेल सकूँगा किकेट ,

अब नहीं रहा जरा भी विशवास | 

जिंदगी यूही चलती रहेगी ,

चाहे कोरोना हो जाए आर- पार | 

लगता है जरूर छिड जाएगी ,

इस कोरोना वारयस के खिलाफ जंग | 


कवि  : समीर कुमार  ,कक्षा : 10th  , अपना घर

 

 

 


सोमवार, 21 सितंबर 2020

कविता : कोरोना ने लगा लिया जाली

 " कोरोना ने लगा लिया जाली "

 कोरोना ने लगा लिया जाली ,

देश  हो रहा धीरे -धीरे खाली | 

फिर कोन मनाएगा दीवाली ,

न होगी देश में हरियाली   | 

कोरोना ने लगा लिया जाली , 

घर में नहीं मिल रहा आजादी  | 

बाहर जाओ   तो हो जाएगी बरबादी , 

 

कवि  : नवलेश कुमार  ,कक्षा  : 6th ,अपना घर

रविवार, 20 सितंबर 2020

कविता : बादलो से पानी शायद मिला न होगा

" बादलो से पानी शायद मिला  न होगा "

बादलो से पानी शायद मिला न होगा ,

मौसम का साथ शायद मिला न होगा | 

शायद सूखा पड़ गया जमीन ,

इस लिए पौधे ऊगा नहीं होगा  | 

हवाओ ने शायद मिटटी न डाली होगी ,

बहारो ने शयद न उसे संभाली होगी |

शयद आस -पास न होगी नर्मी ,

इस लिए वो पौधे उगी नहीं | 

उसे हटा कर संवार दो ,

मिटटी में जाकर गाड़ दो | 

समय बाकी है अभी,

शायद वो पौधे उग जाए कही | 


कवि  : देवराज कुमार , कक्षा  : 10th  , अपना घर

शनिवार, 19 सितंबर 2020

कविता : हमे इंतजार है उस पल का

" हमे इंतजार है उस पल का "

हमे इंतजार है उस पल का ,

जब हम भी गली में घूमेंगे | 

वही रात -दिन होगा ,

जिन गलियों में सन्नाटा छाया होगा  |

 फिर से उस गलियों में खुश्याली लौटाएगे , 

खाली  पड़ा था खेल का मैदान | 

उसमे फिर से आवाज गूंजेगी ,

हमे उस पल का इंतजार हैं | 

 

कवि : सनी कुमार ,कक्षा : 6th ,अपना घर


शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

कविता : आसमा को देखो तो

" आसमा को देखो तो "

आसमा को देखो तो ,

रंग -बिरंग देखते हैं | 

बादलो को देखो तो ,

कुछ बनते नजर आते हैं | 

 हाथी ,घोड़ा और पक्षी  वह सैर करते ,

और आसमा को देखू तो | 

पूरा संसार ढक जाता हैं ,

वही बदलो में देखू तो | 

कुछ हरकत सी नजर आती हैं ,


कवि : सनी कुमार , कक्षा  : 9th ,अपना घर

गुरुवार, 17 सितंबर 2020

कविता : समय कितना कीमती हैं

" समय कितना कीमती हैं "

समय कितना  कीमती हैं ,

आता है और गुजर जाता हैं | 

कोई समय का महत्व नहीं  देता ,

 किसी को समय कम पड़ जाता हैं | 

समय एक ऐसा चीज हैं ,

जिसको  रोक नहीं  सकते हैं | 

और न  ही पकड़ सकते हैं ,

समय के अनुसार ही | 

हम केवल चल सकते हैं ,

जिसको समय से   नहीं चलना आता हैं |

वह  पीछे  रह जाता हैं ,

समय कितना कीमती हैं | 

आता है और गुजर जाता हैं ,

 

कवि  : रविकिशन ,कक्षा : 11th , अपना घर

 


बुधवार, 16 सितंबर 2020

कविता : अब ले रहा हूँ काम अपने कहे पर

" अब ले रहा हूँ काम अपने कहे पर "

अब ले रहा हूँ काम अपने कहने पर ,

अब न होगी मरी काम में हल -चल | 

बीना बोले चलता रहेगा मेरा काम ,

अब न होगी एक पल आराम | 

एक -एक करके खत्म करुँगा ,

धीरे -धीरे लक्ष्य  को को भरूंगा | 

अब ले  रहा हूँ काम अपने कहने पर, 

अब न होगी मेरे काम में हल -चल | 


कवि  : कुलदीप कुमार , कक्षा : 9th ,अपना घर

मंगलवार, 15 सितंबर 2020

कविता : गर्मी- धीरे बढ़ते जा रहा है

 " गर्मी धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं "

गर्मी धीरे -धीरे बढ़ते जा रहे हैं ,

चारो और  पेड़ मुरझा  रहे हैं | 

कोरोना से दुख पा रहे हैं ,

गर्मी धीरे -धीरे बढ़ते जा रहे हैं | 

खुछ पौधे तैयार हो रहे हैं ,

गर्मी से हो रहे बेकार हो रहे हैं | 

एसी लिए अपना धीरज  खो रहे हैं ,

गर्मी धीरे-धीरे बढ़ते जा रहा है| 


कवि :  अजय कुमार ,कक्षा : 6th ,अपना घर

रविवार, 13 सितंबर 2020

कविता : खोया हूँ इस जहाँ पर

" इस जहाँ पर खोया हूँ "

 खोया हूँ इस जहाँ पर ,

चाँद- तारो के  पास | 

सूरज की रोशनी जैसे ,

लगते है तारे मिटमिटाते हुए | 

तारो की रोशनी देती राहत ,

सपने की दुनिया में न होती आहट  | 

खो जाता हूँ उस दुनिया में ,

सो जाता हूँ फूलो की कलियों में | 

खोया हूँ इस जहाँ पर ,

चाँद- तारो के पास | 


कवि  : महेश कुमार ,कक्षा : 6th ,अपना घर

 

 

 

 

शनिवार, 12 सितंबर 2020

कविता : ये कोरोना वायरस

 " ये कोरोना है एक वायरस "

ये कोरोना है एक वायरस  ,

जो फैला रहा देश पर आत्याचारी | 

लोगो में मच गई महामारी ,

जब  देश में कोरोना आया | 

हर मैदान और हर गली में सन्नाटा छाया ,| 

जब  से चीन ने कोरोना बटा | 

लोगो को सहना पड़ रहा मुशकिले ,

ये कोरोना है एक वायरस | 

जो  फैला रहा हैदेश में अत्याचारी,


कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

कविता : रक्षा बन्दन

" रक्षा बन्दन "

खिड़की के पास बैढे सोच ,

रहा था अच्छी सी बात | 

तभी मुझे याद आया ,

रचा बन्धन की बात | 

कलाई पर बंधेगी राखी ,

लगेगा भाई बहन है साथी |

 भाई -बहन के लिए है कितना खाश ,

भाई लगाए रहते है आश | 


कवि : अखिलेश कुमार ,कक्षा : 10th , अपना घर

बुधवार, 9 सितंबर 2020

कविता : जिसने हर दुख सुलझाया

" जिसने हर दुख  सुलझाया "

जिसने हर दुख को सुलझाया  ,

सही रास्ता पर चलना सिखाया | 

बच्चो में प्यार जगाया ,

 सभी के साथ हाथ बटाया | 

रोते हुए को हसना सिखाया ,

जिसने हर नियमो को पालन करना सिखाया | 

प्यार से हर बात बताया ,

सभी को  अच्छे रास्ते पर चलना सिखाया | 

जिसने हर दुख को सुलझाया ,

 सही रास्तो पर चलना सिखाया | 


कवि : अमित कुमार , कक्षा : 6th ,अपना  घर

मंगलवार, 8 सितंबर 2020

कविता : कोरोना तो धीरे -धीरे बढ़ते जा रहा हैं

" कोरोना तो धीरे -धीरे बढ़ते जा रहा हैं "

 कोरोना तो धीरे -धीरे बढ़ते जा रहा  हैं ,

पता नहीं ये कोरोना कब जयेगा | 

सब लोग मर रहे   हैं ,

कोरोना धीरे -धीरे बढ़ते जा रहा  हैं | 

कोरोना का दवा भी नहीं मिल पा  रहा हैं ,

कोरोना सबको मारते जा रहा हैं | 

कोरोना है एक बीमारी हैं ,

पता नहीं इस देश में क्या आया हैं | 

कोरोना से तो लड़ना है जंग ,

कोरोना तो धीरे -धीरे बढ़ते जा रहा हैं | 


कवि : रोहित कुमार कक्षा ,3rd ,अपना घर

शनिवार, 5 सितंबर 2020

कविता : कोरोना का बीमारी

" कोरोना का बीमारी "

कोरोना का बीमारी ,

बदल गया महामारी में | 

पूरे दुनिया परेशान हैं  ,

कोरोना सबकी निकली जान हैं  | 

गली -मोहल्ले बन्द  हैं ,

खाना -पीना बन्द  हैं | 

सब बेचारे बहुत परेशान है ,

कोरोना कर दिया दुनिया को खाली  | 

कोरोना का बीमारी ,

बदल गया महामारी में | 

 

कवि : कामता कुमार ,कक्षा 9th ,अपना घर

शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

कविता : रात की चाँदनी में कटके तारे

" रात की चाँदनी में कटके तारे "

रात की चाँदनी अँधेरे में लटके तारे ,

संसार की जगत से देखो लगते प्यारे | 

 सोच में पड़ जाऊँ ये है कितने तारे ,

इसका जवाब देना मुश्किल है प्यारे | 

चाँद की रोशनी -रोशनी देते तारे ,

यू ही आकाश में घूमते बनके विचारे | 

काली अधिकार  की शोभा बढ़ते ,

सुबह होते ही गयाब हो जाते है | 

कितने सुन्दर लगेट है तारे ,

 बैढे बिस्तर पर नजरे निहारे | 


कवि : प्रांजुल  कुमार ,कक्षा : 11th ,अपना घर

गुरुवार, 3 सितंबर 2020

कविता : आओ चले कुछ सोचे

" आओ चले कुछ सोचे "

आओ चले कुछ सोचे ,

हाथ पर हाथ रख कर  बैठे |

जिंदगी में है तुम्हारे पास बहुत से कार्य,

इसीलिए नहीं करना तुम कभी आराम |  

जिस दिन जग गये  उसी दिन होगी शुरुआत ,

हर दिन अपना कार्य करते रहना | 

एक दिन जरूर लोगो तक फैलेगी तुम्हरी बात ,

उस दिन तुम्हरे लिए होगा खाश | 


कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

बुधवार, 2 सितंबर 2020

कविता : सबसे प्यारा देश हमारा

" प्यारा देश हमारा "

सबसे प्यारा देश हमारा ,

दुनिया में नाम है हमारा | 

कोमल धरती है इनके पावन ,

हर मौसम लगता है सावन | 

कल -कल है हर गलियों में ,

भर -भर भरा पानी हर नदियों में | 

हर तरफ है प्रकृति का नजारा ,

अपना भारत है सबसे न्यारा | 

जहा महक रही है हर जंगल ,

अब सोच रहे है हम मंगल | 

सबसे प्यारा देश हमारा ,

दुनिया में नाम है हमरा | 

 

कवि :कुलदीप कुमार ,कक्षा : 9th , अपना घर 

मंगलवार, 1 सितंबर 2020

कविता : मौसम भी क्या महरबान है

"मौसम भी क्या मेहरबान है "

 मौसम भी क्या मेहरबान है ,

चारो ओर बारिश ही है | 

हर तरफ है हरयाली छाई ,

इस गर्मी  मौसम में परिवर्तन है आई | 

इस मौसम में इंसान है  हुआ ,

ना हो बीमारी मुझे फिर बचकर यहां वहा | 

हर वकत डर -डर के जी रहा है ,

मौसम भी क्या मेहरवान है | 

चारो और बारिश की ही शान है ,

कवि :संजय कुमार ,कक्षा : 10th ,अपना घर