" बरसात की बूंदे "
बरसात की बूंदे ,
जब टपकती हैं |
उसकी आवाज सुने ,
मन बहकता हैं |
पर मै कुछ बुँदे से ,
एक ही बात पूछता हूँ |
क्या है इसकी रोने की आवाज ,
यही बस सोचता हूँ |
अगर यह रोने की आवाज हैं ,
यह आवाज है तो हमे |
कोई आसमान से फेकता हैं ,
कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर