"मौसम भी क्या मेहरबान है "
मौसम भी क्या मेहरबान है ,
चारो ओर बारिश ही है |
हर तरफ है हरयाली छाई ,
इस गर्मी मौसम में परिवर्तन है आई |
इस मौसम में इंसान है हुआ ,
ना हो बीमारी मुझे फिर बचकर यहां वहा |
हर वकत डर -डर के जी रहा है ,
मौसम भी क्या मेहरवान है |
चारो और बारिश की ही शान है ,
कवि :संजय कुमार ,कक्षा : 10th ,अपना घर
1 टिप्पणी:
सुन्दर सृजन
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