" बादलो से पानी शायद मिला न होगा "
बादलो से पानी शायद मिला न होगा ,
मौसम का साथ शायद मिला न होगा |
शायद सूखा पड़ गया जमीन ,
इस लिए पौधे ऊगा नहीं होगा |
हवाओ ने शायद मिटटी न डाली होगी ,
बहारो ने शयद न उसे संभाली होगी |
शयद आस -पास न होगी नर्मी ,
इस लिए वो पौधे उगी नहीं |
उसे हटा कर संवार दो ,
मिटटी में जाकर गाड़ दो |
समय बाकी है अभी,
शायद वो पौधे उग जाए कही |
कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
1 टिप्पणी:
बढ़िया है।
एक टिप्पणी भेजें