सोमवार, 23 सितंबर 2019

कविता : सुहाना मौसम

" सुहाना मौसम "

यह सुहाना सा मौसम,
करता है दिल को रौशन |
ठण्डी हवाओं का झोका,
जो बनाता मन को अनोखा |
खुशबू से भरा आसमां,
जो करते मन को खुशनुमा |
हर पल जब यह बीतता,
कुछ न कुछ उन पलों से सीखता |
यह सुहाना सा मौसम,
करता है दिल को रौशन |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक कुलिप ने बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं जो की बाहत ही अच्छी हैं | कुलदीप एक नेवी अफसर बनना चाहते हैं | कुलदीप पढ़लिखकर अपने घर वालों की मदद करना चाहता है |

रविवार, 22 सितंबर 2019

कविता : राजभाषा हिंदी

" राजभाषा हिंदी "

हिंदी हमारी राजभाषा कहलाए,
पंजाबी हो या गुजराती |  
सबको हिंदी बोलना सिखलाए,
अपनी भाषा का महत्त्व बताए |
मन कहता है हिंदी बोलूं,
पर समझ में न आए कैसे बोलूं |
बोल - बोलकर सीखूं मैं,
सीख - सीखकर बोलूं मैं |
हिंदी को मैं भूल न पाऊँ,
सभी को मैं यह बात बतलाऊँ |
हिंदी को कोई भूल न जाना,
जीवन में सदैव हिंदी अपना |
हिंदुस्तान की जमीं में रहकर,
हिंदी संस्कृति का मान बढ़ाना |

कवि : महेश कुमार , कक्षा : 5TH , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता महेश के द्वारा लिखी गई है जो की बाँदा के रहने वाले हैं | कक्षा पाँचवीं से ही कवितायेँ लिखने का जूनून पैदा हो गया है | महेश पढ़ाई में बहुत अच्छा है और हमेशा कुछः नया करने की कोशिश में जुटा रहता है | महेश एक बहुत अच्छा लड़का है |

शनिवार, 21 सितंबर 2019

कविता : हिंदुस्तान से ही हिंदी

" हिंदुस्तान से ही हिंदी "

हिन्द देश के निवासी हैं हम सभी,
जहाँ हिंदी बोलते हैं हम सभी |
चाहे हो बंगाली , या फिर गुजराती
हिंदी हमें इतना ही बतलाती |
ये सारी भाषाएँ भी हिंदी ही कहलाती |
हिंदी से ही हिंदुस्तान बना है,
हिंदुस्तान से ही हिंदी |
दोनों ही एक दूसरे से बने हैं,
एक दूसरे के ही साथ चलते हैं  |

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ भी लिख चुके हैं | समीर एक हसमुख लड़का है जो की हमेशा अपने पढ़ाई के पीछे सीरियस रहता है | | समीर एक सिंगर बनना चाहतें हैं |  

कविता : हिंदी दिवस गर्व का दिन

" हिंदी दिवस गर्व का दिन "

एक बार फिर गर्व का दिन आया
पर कैसे मनाएँ हिंदी के बिन
जो अपना सम्मान है,
जो भारतवासियों की जान है |

लब्ज़ों पर यह सजती है,
पंक्तियों में यह जब अलग सा रस भरती है |
अपना महत्व बताने में,
ज़माने को सांस्कृतिक सिखाने में |
कभी पीछे नहीं हठती है,
रामायण।, महाभारत और गीता
सब इसी की उन्हें भरती है |

गली -गली जाके , हिमालय की छोटी में समाके,
बस हिंदी यह कहती है |
अमेरिका चीन या पुर्तगाल,
गगन ,सागर या हो पाताल |
या हो अंतरिक्ष में फैला अपना जाल,

अब हर कण में जलाएँगें अपनी मशाल |
हम और हमारे सपने हैं रंगीन,
एक बार फिर गर्व का दिन,
पर मनाएँ कैसे हिंदी के बिन | |

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं देवराज जिन्होंने यह कविता लिखी है | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | देवराज एक केमिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं इस उपलब्धि को पाने के लिए वः बहुत ही मेहनत करता है | देवराज एक जिज्ञासु लड़का है जिसे हर पल कुछ जानने की ललक रहती है |

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

कविता : धूप ने लिया अवतार

" धूप ने लिया अवतार "

गर्मी में हुए बेहाल,
धूप ने लिया अवतार |
पसीना भर -भर गिर रहा है,
बच्चे घट -घट पानी पी रहा है |
मन करता है तो नहा ले यूँ
ठंडा होकर हो जाए तन |
गर्मी से हुए बेहाल,
धुप ने लिया अवतार |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक" राखी का पर्व" है | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | कुलदीप को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है | कुलदीप नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |

गुरुवार, 19 सितंबर 2019

कविता : गर्मी

" गर्मी "

यह उमस  से भरी गर्मी ,
जरा सा भी नहीं कोई नरमी |
पानी के लिए प्यासी यह धरती,
एक बरसात के लिए तरसती |
न जाने लिस बात की उदासी,
पानी होते हुए भी खूब प्यासी |
पसीने की बूंदें भी बताती हैं,
कूलर , पंखें भी सताती हैं |
फिर भी मन को बैठाकर
कुछ करने की सोचते हैं
कूलर , पंखे जितना भी हो
गर्मी हम चुपचाप सह्तें हैं |

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपनाघर

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | इस कविता का शीर्षक है " महान हिंदी " जिसमें की हिंदी भाषा को दर्शाया है | हिंदी हमारी मात्रा भाषा है और पूरे भारतवर्ष में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मानते हैं इस अवसर पर प्रांजुल ने यह कविता लिखी है |

मंगलवार, 17 सितंबर 2019

कविता : हिंदी है हमारी शान

" हिंदी है हमारी शान "

हिन्द देश के हैं हम वासी,
हिंदी ही है हमारी साथी |
हर पल है कंठ पर रहना,
जो सोचूँ वो स्पष्ट कराती |
साथ - साथ है इसके चलना,
जब तक हमें है बढ़ते रहना |
मात्रा भाषा है यह कहलाती,
हिन्दी सांस्कृतिक हमें सिखाती |
जब तक है हम में जान,
न भूलेंगें हम हिंदी की शान |
हिन्द देश के हैं हम वासी,
हिंदी ही है हमारी साथी |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कुलदीप पढ़लिखकर एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने के आलावा डांस करना बहुत पसंद है |

सोमवार, 16 सितंबर 2019

कविता : महान हिंदी

" महान हिंदी "

कैसे करूँ तेरा गुणगान,
जिस देश में है तू महान |
जहाँ राज्य का नेतृत्व लेकर बैठी है
तू जुबाँ की मनचाही भाषा हिंदी है |
लिपि के द्वारा तुझे लिख तो लेता हूँ,
बिना सोचे समझे तुझे यूँ ही बोल देता हूँ |
तू एक पवित्र ग्रन्थ की तरह उभरी है,
तेरे हर एक वर्ण में लौह भरी है |
तू बदल रही है हर गली की सड़कों में,
तेरा प्रसार हो रहा है देश - विदेशों में |
हर वर्ण मन में उमंग भरता है,
क्या बोलूं यह कभी नहीं डरता है |
तू मेरे तरंग मन में साहस भरता है,
ऐ महान हिंदी , दिल तुझे धन्यवाद करता है |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | इस कविता का शीर्षक है " महान हिंदी " जिसमें की हिंदी भाषा को दर्शाया है | हिंदी हमारी मात्रा भाषा है और पूरे भारतवर्ष में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मानते हैं इस अवसर पर प्रांजुल ने यह कविता लिखी है |

शनिवार, 14 सितंबर 2019

कविता : खिलौना

" खिलौना "

यह खिलौना है मेले का,
मन करता है लेने का |
भीड़ - भाड़ लोगों के बीच में,
धक्का मुक्के और दुकान के सटीक में |
रंग बिरंगे खिलौने मन मोह लेता है,
पर क्या करूँ कोई पैसा नहीं देता |
तमाम विनती के बाद पैसे पता हूँ,
इन्ही पैसों से खिलौने को लेता हूँ |
यह खिलौना है मेले का,
मन नहीं करता किसी को देना का

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 9th , अपनाघर

कवि परिचय : यह कविता अखिलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी है | वर्तमान समय में "अपना घर" संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | अखिलेश पढ़ाई में बहुत अच्छा हैं | कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | इस कविता में उन्होंने एक खिलौने के बारे में बताया है |

बुधवार, 4 सितंबर 2019

Poem : Dazzling sound

" Dazzling sound "

While playing in the ground,
I heard a dazzling sound.
then I looked around
but not evidence I found.
I determine not to play
I informed my team,
and run along the way.
this time it was going dark outside,
I seen all but avoid.
I took up my books,
and went on the roof.

Poet : Devraj kumar , class : 9th , Apnaghar

Poet introduction : This poem is belongs to Devraj kumar who is very interested in writing poems. He basically writes the poems on recent topic which going in mind . he wants to become an engineer of chemical . He give his best efforts in his studies . I hope you would like this poem.

मंगलवार, 3 सितंबर 2019

कविता : आज़ादी का दिन

" आज़ादी का दिन "

अब आया फुल आज़ादी का दिन,
जिओ जिंदगी 370 धरा के बिन |
रोक जो था कश्मीर के जमीं पर
जो था बंधन घूमने वालों पर,
अब वह रह सकते है जिंदगी भर |
खाना हैं वहां पेट भर |
बिना किसी परेशानी और उदासी के बिन,
अब आया फुल आज़ादी का दिन |
 कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपनाघर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | समीर कवितायेँ लिखने के साथ साथ गीत भी गाते हैं | समीर एक सिंगर बनना चाहते हैं |

सोमवार, 2 सितंबर 2019

कविता : सेब

" सेब "

कश्मीर की सर जमीं पर,
उगता हूँ बर्फ जमीं पर |
ठण्ड की वजह से ख़राब नहीं हूँ,
मैं तो एक लाल रसीला सेब हूँ,
मीठा तो हूँ पर खट्टा नहीं,
कश्मीर में तो हूँ , पर लोगों के पास नहीं |
मेरी विशेषताएं कुछ ऐसी है,
काफी हद तक राजा जैसी है |
मेरे चाहने वाले इतने है की मुझे पता नहीं,
सभी मुझे कहते है ,कोई मुझसे खफा नहीं |

                                                                                                         कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | प्रांजुल को नै चीजें सिखने में बहुत रूचि है | प्रांजुल पढ़ाई के साथ - साथ गतिविधियों में भी अच्छा है |