गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

कविता :- नया साल का बहार आया

"नया साल का बहार आया"
नया साल का बहार आया।
न जाने क्या-क्या त्यौहार लाया।।
पुराने विचारो को बदलने का वक्त आया।
सभी के लिए नया साल है आया।।
सभी को इस पल का था इंतजार।
न जाने बदलाव लाने के लिए कब से था तैयार।।
ये नया साल का था त्यौहार।
 लोगो के अंदर उम्मीदों का था बहार।।
नया साल का था त्यौहार। 
 कविः - विक्रम कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है।  विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है। और वह अपनी प्यारी -प्यारी कविताओं एकत्रित कर उन्हें एक किताब में प्रकाशित करवाना चाहता है।  विक्रम एक रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं।

बुधवार, 30 दिसंबर 2020

कविता:- क्योंकि बड़े हो गए हम

"क्योंकि बड़े हो गए हम" 
हम कब बड़े हो गए। 
ये बात पता ही नहीं चला।।
ये समय कितना जल्दी गुजर गए। 
कि ये पता ही नहीं चला।।
 हमारे बचपन हमारी यादें। 
सब गुजर गए है।। 
बस रह गयी तो सिर्फ यादें।
अब यादें बनाते हैं हम।। 
क्योंकि अब बड़े हो गए हम।
बचपन की गलतिओं को।।
एक बार माफ़ कर दिया जाता था।
अब गलती की कोई माफ़ी नहीं।।
क्योंकि अब बड़े हो गए हम। 
 बचपन में खिलौने के लिए रोना।।
किसी अच्छे जगह पर जाने की जिद्द करना।
अब वो जिक्र किससे करू।।
 क्योंकि बड़े हो गए हम।
बचपन में माता-पिता से रूठकर।।
अलग बैठा जाना।
अब मै किससे रुठुंगा।।
क्योंकि अब बड़े हो गए हम। 
 कविः- नितीश कुमार, कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर, 
कवि परीचय : शांत स्वभाव के नितीश कुमार बिहार के नवादा  जिले से अपना घर में पढ़ाई के लिए आये  हैं। इन्हें कविता लिखना पसंद है।

मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

कविता :- वह मुश्किलों में भी प्रयास करता था

  "वह मुश्किलों में भी प्रयास करता था"
वह मुश्किलों में भी प्रयास करता था।
हर चीज से वो आश रखता था।।
निरंतर चलने की बात हमेश।
लोगों से कहा करता था।।
कुछ खास था उसमे।
हर परिस्थिति में रहना जनता था।।
चुनौतियों और बाधाओं से।
हस्ते हुए लड़ जाता था।।
चढ़ा था जुनून कुछ कर गुजर जाने का।
हौशलों से बुलंदियों को छूने का।।
मन में जरूर ये बात रखता था।
लक्ष्य है मेरा कर्मभूमि।।
वह मुश्किलों में भी प्रयास करता था।
हर चीज से वो आश रखता था।।
 कविः - विक्रम कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है।  विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है। और वह अपनी प्यारी -प्यारी कविताओं एकत्रित कर उन्हें एक किताब में प्रकाशित करवाना चाहता है।  विक्रम एक रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं।

सोमवार, 28 दिसंबर 2020

कविता :- सपने तो बहुत आते हैं

"सपने तो बहुत आते हैं"
सपने तो बहुत आते हैं।
क्या कभी सच हो पाते है।।
अगर उनमे से कुछ सपने।
सच हो जाये तो।।
जिंदगी का मकसद और।
रस्ते बदल जायेंगे ।।
अगर कहीं सपने बार-बार आये।
और अधूरा ही रह जये तो।।
मानों उसे पाने की चाहत बाढ़ जाएगी।   
खुद को आईने में देखने की कोशिश करेंगे।।
सपनो की दुनियाँ में मकसद और।
रास्ते अलग हो जायेंगे।।
अगर आप उलझ गए इन ख्यालो में।
तो जिंदगी के मकसद और रास्ते दोनों बदल जायेंगे।।
 आपका सपना और मकसद।
दोनों पूरा होते ही रह जायेंगे।।

कविः -शनि कुमार ,कक्षा -9th ,अपना घर,कानपुर,
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है।  ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना पसन्द है।
 

शनिवार, 26 दिसंबर 2020

कविता: - हरियाली

 "हरियाली"
जिधर भी देखूँ जहाँ भी देखूँ।
हरियाली का ही अविष्कार दिखे।।
हर वक्त हर समय सिर्फ। 
हरियाली का संसार दिखे।।
जब सूर्य की तपन आये तो। 
बस गर्मी का संचार करे।।
हर पत्ती हर डाल  पर। 
खाद्य पदार्थ बनाने का प्रयास करे।। 
कविः- समीर कुमार, कक्षा - 10th, अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय:- ये समीर कुमार है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले है। इन्हे संगीत में बहुत रूचि है। ये बड़े  गायक बनाना चाहते है। ये कविता भी अच्छी लिखते है।

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

कविता:-क्रिसमस की सबको बधाई

"क्रिसमस की सबको बधाई"
क्रिसमस की सबको बधाई। 
 सबको विश करते है भाई।।
सैंटा का करो इंतजार।
सैंटा लाएगा सबके लिए उपहार।। 
आओ सबको कह दे मैरी क्रिसमस। 
मिलकर सब लोग गाना गए।। 
धूम धाम से त्यौहार मनाये। 
कविः- अखिलेश कुमार, कक्षा -10th  अपना घर , कानपुर
 

गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

कविता:-कुछ पल होते है हमेशा खास

"कुछ पल होते है हमेशा खास"
 कुछ पल होते है हमेशा खास।
सबको होती है हर किसी से आस।।
तुम कुछ करते हो या नहीं करते।
फिर भी तुम पर सब मरते।।
तुम अच्छे हो या बुरे।
बिना परिवार के तुम हो अधूरे।।
सबको होता है अपनों पर विश्वास।
चाहें तुम बन जाओ बदमाश।।
कुछ पल होते है हमेशा खास।
सबके पास है अपना जीने का राज।।
कुछ पल होते है हमेशा खास।
सबको हर किसी से होती है आस।।
 
कविः- कुलदीप कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।  कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं।  कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं।  कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं।  इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

कविता:- मिट्टी के खिलौने

 "मिट्टी के खिलौने"
बचपन में सजाए थे जो सपने।
आज भी याद आते है मिट्टी के खिलौने।।
धरती को भेदकर जिस तरह मैंने बनाया। 
अपने छोटे हाथों से इसे सजाया।।
बचपन में आए जो विचार। 
उन्ही के अनुरूप दिया मैंने आकार।।
क्यों एक हाथ एक पैर बन जाते थे छोटे। 
क्यों वो छोटी आँखे बन जाते थे मोटे।।
 बिना पकाए युही  धूप दिखया। 
इन्ही खिलौने से बचपन बिताया ।।
 मिट्टी खिलौने अब छूटने लगे है। 
सजाये हुए सपने अब टूटने लगे है।।
कितने अच्छे दिन थे वो अपने।
जब मै बनता था मिट्टी के खिलौने।।
 कविः -प्रांजुल कुमार ,कक्षा -11th ,अपना घर ,कानपुर ,

कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।
 

गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

कविता:- अच्छा इन्सान

"अच्छा इन्सान"
इतना आसान नहीं होता।
एक अच्छा इंसान बनना।।
जितना एक चोर बनना। 
एक अच्छा इंसान बनान के लिए।।
देनी पड़ती है हजारों कुरबानियाँ। 
जात - पात को हटाना पड़ता है।।
भेद - भाव से दूर रहना पड़ता है। 
यहाँ तक परिवार को भी छोड़ना पड़ता है। 
एक सामान द्रष्टि से सबको देखना पड़ता है।।
एक अच्छा इन्सान बनाने के लिए।  
दूसरों का मदद करना पड़ता है।।
उदास हुए लोगो को हसाना पड़ता है। 
 अपनी ख़ुशी को एक दूसरे से बाटना पड़ता है।।
तब जाके एक अच्छा इंसान बन पता है।  
कविः- नितीश कुमार, कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 
कवि परीचय : शांत स्वभाव के नितीश कुमार बिहार के नवादा  जिले से अपना घर में पढ़ाई के लिए आये  हैं। इन्हें कविता लिखना पसंद है।
 

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

कविता:- बाजार में अब शोर कम हो गया

"बाजार में अब शोर कम हो गया"
बाजार में अब शोर कम हो गया।
दोस्तों से न मिले बिना।।
 अब मन भी बोर हो गया। 
अब बस करो कोरोना तुम्हारे आगे।।
चीन ही नही सारी दुनियाँ बेहाल हो गया।
कुछ नही बचा काम करने को।।
गाड़ियों के आवाज भी कम हो गया।
पड़ोसियों के बकवास भी बंद हो गया।।  
अब बस करो कोरोना तुम्हारे आगे।
अब दवाईयाँ  भी काम हो गया।।
मनो अब जैसे जिंदगी थक गया।
 बाजार में अब शोर भी कम हो गया।।
कविः- कामता कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर
 कवि परिचय - ये कामता कुमार जो बिहार के रहने वाले है।  बड़े होकर IAS बनना   हैं। ये बहुत अच्छी कविताएँ लिखते है।
 

मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

कविता:- यादों की गहराईयों में जिया करते हैं

 "यादों की गहराईयों में जिया करते हैं"
 यादों की गहराईयों में जिया करते हैं। 
बीते हुए दिनों का मजा लिया करते हैं।।
कुछ खुशी से भरी तो कुछ तीखी सी हैं। 
युहीं यादों की गहराईयों में जिया करते हैं।।
वक्त के आधार पर ख्याबो को बुना करते हैं। 
ख्वाबों की जाल बना कर हम जिया करते हैं।।
चंद शब्दों का पुल बनाकर। 
हम विश्वास जीत लिया करते हैं।।
युहीं नहीं हम किसी के दिलों पर राज किया करते है।
रब की हिफाजत से।।
उचाईओं को छू लिया करते है। 
 हिम्मत को काम न समझो दोस्तों।।
हम तो आसमान को भी झुका दिया करते हैं।
हमारा हिम्मत ही हमारी जागीर है।।
हमारा विश्वास ही हमारी दौलत है। 
यादें ही हमारी तस्वीर हैं।
यादों की गहराईयों में ही जिया करते हैं।
बीते हुये दिनों का भी मजा लिया करतें हैं।।
 कविः - राज कुमार ,कक्षा - 11th , अपना घर ,कानपुर ,

 
 कवि परिचय : यह हैं राज कुमार जो की कक्षा - 11th के विद्यार्थी हैं।  2013 से यहाँ रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।  वैसे तो यह हमीरपुर के निवासी है । पढ़ाई    में तो अच्छे हैं ही  और कवितायेँ भी अच्छी लिखते हैं। 

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

कविता:- गिरना जरुरी है

"गिरना जरुरी है"
लोग अक्सर जीवन में गिरन से डरते है। 
 नज़ारे छुपाते हुए दुसरों के पीछे छुपाते है।।
लोग हमेशा अपनी इज्जत का ख्याल रखते है। 
इसलिए हर काम करने से डरते है।।
पर जीवन में गिरना जरुरी है।
और जो गिरा वही अपने।।
सपने पूरे कर पते है।
गिराने से हम डरते नहीं।।
किसी चीज को करने के। 
तरीके सही मिल जाते है।।   
बातों को दिल में लगाने चाहिए।
पैरों में कटे चुभने चाहिए।।
तभी हम सम्भल कर चलेंगे।
तभी हम आगे मुश्किलों से लडेंगे।
 
कविः -देवराज कुमार, कक्षा -10th , अपना घर , कानपुर ,
 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं। और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।
 
 

गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

कविता:- चला जाऊँ छोड़ के ये जहाँ

"चला जाऊँ छोड़ के ये जहाँ"
चला जाऊँ छोड़ के ये जहाँ।
क्युकि  प्रदूषण ही है यहाँ ।।
मनुष्य भी हो गया है पागल। 
 खाने को नहीं है घर में चावल।। 
कचरा से भरा ये संसार।
लोगो की मौत हो रही भरमार ।।
तरह तरह के बीमारी ये लाते।
बच्चो को बीमार कर जाते ।।
ना बचेगा हम में से कोई। 
तब भगवन भी रोई।।
 चला जाऊँ छोड़ के ये जहाँ। 
कविः- कुलदीप कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।  कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं।  कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं।  कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं।  इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है



मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

कविता:- मै यह नहीं कह सकता कि

 "मै यह नहीं कह सकता कि"
मै यह नहीं कह सकता कि।
यह धरती एक बंजर है।।
इस देश की धरती में। 
जोश और लहू का समुन्दर है।।
वीर सिपाहियों ने यूहीं। 
सितारे हासिल न किये है।।
ये वो सितारे है जो दिन रात। 
 अपना कीमती वक्त शरहद पर दिए है।।
घर परिवार और त्यौहार छोड़कर।
देश के बॉर्डर से रिश्ता जोड़ लिया।।
दुश्मन इस जमी पर न आये। 
इन्हीं लफ्जों को सलाम देकर दम तोड़ दिया।।
 मै शरहद पर तैनात रहता हूँ। 
ताकि कोई दुश्मन आ न सके।।
मै एक रोटी ही खाता हूँ। 
ताकि मेरा देश चैन से खा सके ।।
मै तो यूही शहीद होकर।
इस जग से चला जाऊंगा।।
अगर भगवान से दुआ माँगी। 
तो इस देश की शरहद पर फिर लौट आऊंगा।।
कविः-प्रांजुल कुमार, कक्षा - 11th, अपना घर, कानपुर,
 
 
 
कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं।
 

सोमवार, 7 दिसंबर 2020

कविता:- मजदूर हैं तो हम हैं

"मजदूर हैं तो हम हैं"
मजदूर हैं तो हम हैं। 
मजदूर हैं तो आज खाने को अन हैं।।
मजदूर हैं तो सबके घर में नल है। 
मजदूर हैं तो घर है इमारत है।।
मजदूर हैं तो हम है बड़े साहब है।
मजदूर हैं तो हमरे देश की।।
सड़के और की रेल पटरियां है।
मजदूर हैं तो बड़े-बड़े फैक्ट्रियां है।।
मजदूर हैं तो देश में बड़े-बड़े नेता हैं। 
मजदूर हैं तो बड़े -बड़े अभिनेता हैं।।
मजदूर और किसान के वजह से हम जिन्दा हैं। 
ये दोनों इस देश के परिंदा हैं। 
पर हम कहीं न कहीं इन्हे भूल जाते है।।
जब ये परेशानी बताते है। 
भूल जाते है हम इन्हे देने में।।
जब ये अपना हक़ मंगाते है। 
अगर सोचो कल मजदूर ना होगें तो क्या होगा।।
तो फिर कोई इमारत न होगा। 
ना कोई अमीर होगा ना कोई गरीब होगा।।
कविः -देवराज कुमार, कक्षा -10th , अपना घर , कानपुर ,
 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं।  और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।
 
 
 

शनिवार, 5 दिसंबर 2020

कविता:- आज़ादी

 "आज़ादी"
बहुतों ने दी है इस देश के लिए जान।
तभी तो तिरंगे की बढ़ी है शान।। 
जो देश के लिए कुरबान हुए। 
वो देश के लिए महान हुए।। 
कहीं तोप चली तो कहीं गोली।
उसके बाद भी बढ़ाते चले।। 
देश भक्तों की टोली चली।
कही क्रांति थी तो कही थी शान्ती।।  
बहुत मुश्किलों बाद देश हुआ आज़ाद।
अब देश की तरक्की की होगी आगाज।। 
बहुतों ने दी है इस देश  लिए जान। 
तभी तो तिरंगे की बढ़ी है शान।। 
कविः- अखिलेश कुमार, कक्षा -10th, अपना घर, कानपुर,
 
कवि परिचय : यह कविता अखिलेश के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक "आज़ादी"  है। ये बिहार के नवादा जिले के रहने वाले है।
 
 


शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

कविता:- कोरोना भाई तुम क्या हो यार

"कोरोना भाई तुम क्या हो यार"
कोरोना भाई तुम क्या हो यार।
एक बार तो बता दो अपना आकर।।
ताकि मै सोचु इस पर विचार।
तैयार करू वैक्सीन हजार।।
रोड पर जाना मुश्किल हो गया।
क्रिकेट ग्राउण्ड भी सो गया।।
मौज मस्ती के दिन चले गए।
दोस्तों से मिले दिन हो गए।।
नो प्रॉब्लम कोरोना भाई।
लगता  है करनी पड़ेगी धुलाई।।
घर में सैनिटाइजर लगाऊंगा।
एक बार नहीं बार-बार हाथ को।।
धोकर तुझे भगाऊंगा।
कोरोना भाई तुम क्या हो यार।।
एक बार तो बता दो अपना आकर। 
कविः-प्रांजुल कुमार, कक्षा - 11th, अपना घर, कानपुर,
 
 
 
कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत
अच्छा लगता है।
 

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

कविता:- क्या हम खुलकर जी पाएंगे

"क्या हम खुलकर जी पाएंगे"
क्या हम खुली हवाओं में साँस ले पाएंगे।
क्या इन खुली वादियों में जी पाएंगे।।
या फिर ऐसे ही भटकते रहा जायेंगे।
 क्या हम खुलकर जी पाएंगे।।
 क्या हम हाल ये दिल।
किसी को सुना पाएंगे।।
 या फिर ये बाते मेरे साथ ही।
दफान हो जाएँगे।।
क्या हम परिवार को खुश कर पाएंगे।
या फिर उन्हें ऐसे ही छोड़ जायेंगे।।
क्या हम कभी कामयाब हो पाएंगे।
क्या हम खुलकर जी पाएंगे।।
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा - 6th , अपना घर, कानपुर  
कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है। जो की बिहार के रहने वाले हैं। सुल्तान कवितायेँ बहुत अच्छी लिखतेहैं। सुल्तान पढ़ाई के प्रति बहुत ही गंभीर रहते हैं।

बुधवार, 2 दिसंबर 2020