"मजदूर हैं तो हम हैं"
मजदूर हैं तो हम हैं।
मजदूर हैं तो आज खाने को अन हैं।।
मजदूर हैं तो सबके घर में नल है।
मजदूर हैं तो घर है इमारत है।।
मजदूर हैं तो हम है बड़े साहब है।
मजदूर हैं तो हमरे देश की।।
सड़के और की रेल पटरियां है।
मजदूर हैं तो बड़े-बड़े फैक्ट्रियां है।।
मजदूर हैं तो देश में बड़े-बड़े नेता हैं।
मजदूर हैं तो बड़े -बड़े अभिनेता हैं।।
मजदूर और किसान के वजह से हम जिन्दा हैं।
ये दोनों इस देश के परिंदा हैं।
पर हम कहीं न कहीं इन्हे भूल जाते है।।
जब ये परेशानी बताते है।
भूल जाते है हम इन्हे देने में।।
जब ये अपना हक़ मंगाते है।
अगर सोचो कल मजदूर ना होगें तो क्या होगा।।
तो फिर कोई इमारत न होगा।
ना कोई अमीर होगा ना कोई गरीब होगा।।
कविः -देवराज कुमार, कक्षा -10th , अपना घर , कानपुर ,
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