रविवार, 28 फ़रवरी 2021

कविता:-चिड़िया आया चिड़िया आया

"चिड़िया आया चिड़िया आया"
 चिड़िया आया चिड़िया आया। 
चिड़िया ने दो दाना लाया।।
साथ में अपने बच्चों को खिलाया।
चिड़िया गया चिड़िया गया।।
आसमान में चिड़िया गया।
चोंच हैं उनके छोटे-छोटे।।
पकड़ लाये कीड़े मोटे-मोटे।
खाया उसे कर छोटे-छोटे।।
चिड़िया आया चिड़िया आया।
साथ में अपने दाना लाया।।
कविः- गोविन्दा कुमार, कक्षा -3th, अपना घर, कानपुर

शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

कविता:-अपनी माँ की तलाश में

"अपनी माँ की तलाश में"
मै अब निकला हूँ।
अपनी माँ की तलाश में।।
कोई नजर नहीं आता आस-पास।
क्यों खो बैठा मैं उनको।।
जो रहती थी हमेशा मेरे पास।
मै बैठा अपनी माँ की आस में।।
अब भूख भी नहीं लगती माँ की आस में।
माँ को खोजने की कोशिश में।।
खो दिया सारा बचपन।
अब मै निकला हूँ।।
अपनी माँ की खोज में।
कविः-सुल्तान कुमार, कक्षा- 6th, अपना घर, कानपुर 

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

कविता:- कवि सभा के मंच पर

"कवि सभा के मंच पर"
कवि सभा के मंच पर। 
सुना रहें हैं कविता।।
पीछे से वाह-वाह किये जा रहें हैं।
सुर और ताल दिए जा रहें हैं।।
कवि सभा के मंच पर। 
सुना रहे हैं  कविता।।
तालियों की गड़गड़ाहट गूँज उठी है।
हर चेहरे पर खुशी की।।
 लहर झूम उठी है।
कवि सभा के मंच पर।।
कविता सुना रहें हैं।
कवि:- अवधेश कुमार, कक्षा- 7th, अपना घर, कानपुर, 

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

कविता:- इस सुहाने मौसम में

"इस सुहाने मौसम में"
इस सुहाने मैसम में।।
पक्षी उड़ते हैं गगन में।।
इस सुहावने मौसम में।
खूबसूरत सारा जहाँ है।।
 हर किसी को यह मौसम भाता है।
इस सुहावने मौसम में।।
गाना सुनकर होते हैं मगन। 
काम करने में आता है आनंद।।
बिना रुके ही करते है।
 हर काम करते हैं अराम से ख़त्म।।
इस सुहावने मौसम में।
पक्षी उड़ते हैं गगन में।।
कविः- कुलदीप कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।  कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं।  कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं।  कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं।  इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है।
 

बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

कविता:-आज मैं जो हूँ

 "आज मैं जो हूँ"
आज मैं जो हूँ। 
वाकय में मैं हूँ।।
खुद पे यकीन नहीं होता।
कि मै एक इंसान हूँ।।
मेरा कर्तव्य क्या है। 
मैं किसके लिए जी रहा हूँ।।
मुझे खुद ही नहीं पता।
क्या करुँ क्या न करुँ।।
किसके लिए करुँ और क्यों करुँ।
ये सवाल मन में हैं रहता।।
लेकिन जीना ही।
सबका मकसद होता है।।
कैसे जीना होता है।
उसे पता नहीं होता है।।
आज मैं जो हु।
वाकय में मैं हूँ।।
कविः- रविकिशन, कक्षा- 11th, अपना घर, कानपुर,

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

कविता:- कितना सुहावना मौसम

"कितना सुहावना मौसम"
कितना सुहावना मौसम।
आज मैंने देखा।।
लाल सूर्य सुबह की।
और बनी थी रेखा।।
चिड़िया अपने घरों को छोड़कर।
जा रही थी किसी और ओर।।
मछुआरे निकले नदी की ओर।
तालाब में फेक बंसी की डोर।।
बच्चे लेकर बस्ते।
चले स्कूल के रस्ते।।
चाय,टोस्ट और सुबह के नास्ते।
चल देते हैं स्कूल के वास्ते।।
कितना सुहावना मौसम।
आज मैंने देखा।। 
   कविः -प्रांजुल कुमार ,कक्षा -11th ,अपना घर ,कानपुर ,

कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।

सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

कविता:- वह अनजान है

"वह अनजान है"
वह अनजान है।।  
इस दुनियाँ से।।  
 उसे कुछ मत कहना।
घुम लेने दो दुनियाँ उसको।।  
पता तो चले यह कैसा है।
कैसा इसका रंग है ।।  
कैसा इसका रूप है।
देख लेने दो दुनियाँ उनको 
उसे कुछ मत कहना।
बेजान है उसके चेहरे।।  
देखो तो ये हैं कैसे।
 वो अनजान है।।  
इस दुनियाँ से।
 उसे कुछ मत कहना।।  
 
कविः -शनि कुमार ,कक्षा -9th ,अपना घर,कानपुर,
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है।  ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना पसन्द है।
 

रविवार, 21 फ़रवरी 2021

कविता:-तितली रानी तितली रानी

"तितली रानी तितली रानी"
तितली रानी तितली रानी।
कितनी सुन्दर तुम्हारी कहानी।।
फूल-फूल पर जाती हो।
 सबका रस पी जाती हो।।
फूल-फूल मुश्कुराते हैं।
सभी को पास बुलाते हैं।।
तितली रानी तितली रानी।
पीती है रस और बताती है पानी।।
तितली रानी है बड़ी श्यानी।
 कितनी सुन्दर तुम्हारी कहानी।।
  तितली रानी तितली रानी।
 कविः-गोविंदा कुमार, कक्षा - 4th, अपना घर, कानपुर, 
कवि परिचय -ये गोविन्दा कुमार हैं। जो बिहार के रहने वाले हैं। इनको कविता लिखना पसंद है।  

शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

कविता:-युहीं नहीं इन्हें किसान कहा जाता है

 "युहीं नहीं इन्हें किसान कहा जाता है"
युहीं नहीं इन्हे किसान कहा जाता है।
 कुछ खास तो बात है इनमे।।
जो हर फसल में जान डाल जाते है। 
कभी काली घटा जो किसानों को।।
खुशियाँ बाँट चले जाते है।
क्योंकि पानी को देखकर।।
 जीने की आस बढ़ जाती है। 
हर तरफ खुशियाँ और।।
खेत लहलहा उठाते हैं।
किसान अपनी खुशियों को।।
आशुओं से बयाँ कर जाते हैं।
हर त्यौहार और खुशियाँ में जब।।
नए-नए व्यंजनों से भर जाते है।
 ये वही किसान है जो ।।
जात पात न देखकर।
सभी के घरो में अन्न पंहुचा आते है।।
ये किसान ही है जो।
सभी के दुःख दर्द को समझ जाते है।।
चूल्हा जलने का कारण भी।
ये किसान ही माने है।।
युहीं नहीं इन्हें अन्नदाता कहा जाता है।
बहुत सारा मेहनत छुपा होता है।।
माँ बेटे का रिश्ता होता है जमीन से। 
युहीं नहीं इन्हें किसान कहा जाता है।।
कविः- जमुना कुमार, कक्षा -12th, अपना घर, कानपुर,
 

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

कविता:-आज मै घर से बाहर निकला हूँ

 "आज मै घर से बाहर निकला हूँ"
आज मै घर से बाहर निकला हूँ।
अपने मंजिल की तलाश में।।
ना कोई अपना है यहाँ। 
और ना ही कोई घर ठिकाना ।।
बस हम यूहीं चलते जा रहें हैं।
कब तक चलना है ये तो पता नहीं ।।
घर द्वार छोड़कर मै आया हूँ।
अपने उस मंजिल को पाने ।।
 रुक अब सकता नहीं।
और न ही मुँह मोड़ सकता हूँ ।।
बस मै आपने लक्ष्य की खोज में।
रुकना तो चाहता हूँ मगर।।
पर मै रुक नहीं सकता।
कठिन डगर की मेहनत से।।
मुख मोड़ नहीं सकता। 
 कविः- नितीश कुमार, कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 
कवि परीचय : शांत स्वभाव के नितीश कुमार बिहार के नवादा  जिले से अपना घर में पढ़ाई के लिए आये  हैं। इन्हें कविता लिखना पसंद है।
 
 

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

कविता:- छिप गया अब बादल

"छिप गया अब बादल"
छिप गया अब बादल।
जो बरसने की चाह में था।।
एक जुड़ाव जो जमीन। 
और आसमान का था ।।
बंजर जमीन को सींचकर। 
 हरा भरा बनाने के ख्याल में।।
तबदील होने चला है।
जो बरसने की चाह में था।
 नाकाम कोशिशों के बावजूद।।
चारो तरफ हरयाली भर आया है।
    कविः - विक्रम कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है।  विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है। और वह अपनी प्यारी -प्यारी कविताओं एकत्रित कर उन्हें एक किताब में प्रकाशित करवाना चाहता है।  विक्रम एक रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं।
 
 

 
 
 
 

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

कविता:- समय कितना कीमती होता है

"समय कितना कीमती होता है"
समय कितना कीमती होता है।
कब गुजर जाये पता ही नहीं चलता है।।
लोगो के पास समय होने के बावजूद। 
कहते है मेरे पास समय नहीं।।
लेकिन समय तब बताती है।
जब समय की जरुरत होती है।।
समय एक ऐसा चीज है।
जिसको न रोक सकते है।।
 न ही वापिस ला सकते है।
  बस केवल समय के अनुसार।।
हम सभी चल सकते हैं। 
कवि:- रविकिशन, कक्षा -11th, अपना घर, कानपुर,

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

कविता:- आज मौसम जो उभरा

"आज मौसम जो उभरा"
आज मौसम जो उभरा। 
सदियों से इंतजार था।।
जो शायद अब नहीं बुरा। 
मौसम तो ढ़लते उभरते रहते है।।
कल हो या परसों या हो पूरा साल। 
अगर वो मौसम चला गया।।
तो दुबारा आने लगेगा पूरा साल। 
या फिर क्या तुम्हें  पता है।।
या फिर मुझे क्या पता है।
इसका न आने का मन हो पूरा साल।।
ये मौसम जो उभरा आज।
शायद सदियों से था इंतजार।।
 
 कविः - विक्रम कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है।  विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है। और वह अपनी प्यारी -प्यारी कविताओं एकत्रित कर उन्हें एक किताब में प्रकाशित करवाना चाहता है।  विक्रम एक रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं।

बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

कविता:- आसमान की कुछ बुँदे भा गयीं

"आसमान की कुछ बुँदे भा गयीं"
 आसमान की कुछ बुँदे भा गयीं। 
जब छिटक के मेरे सर पर छा गयी।। 
शांति की गंगा बस मेरे मन में बहने लगी।
धीरे-धीरे वह बुँदे बड़ी होती गयी।। 
एक तेज बारिश में बदलती गयी। 
पता नहीं वो कहा से आयी।।
मेरे तन मन को भीगा गयी। 
हमें नहलाकर पाक कर गयी।। 
सर-सर हवा चली तो शायद। 
तो वह बर्ष का सन्देश ले आयी।।
इस तेज बारिश के अंदर खो गयी।
आसमान की बुँदे भा गयी।।
जब छिटक कर मेरे सर पर छा गयी। 
 
कविः- समीर कुमार, कक्षा - 10th, अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय:- ये समीर कुमार है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले है। इन्हे संगीत में बहुत रूचि है। ये बड़े  गायक बनाना चाहते है। ये कविता भी अच्छी लिखते है। 
 

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021

कविता:- अभी तक तू सो रहा है

 "अभी तक तू सो रहा है"
अभी तक तू सो रहा है।
सूरज सिर चढ़ा है।।
सभी अपने काम को बढ़ा है। 
सभी सपनो को अपने।।
केवल ख्वाबों में जग रहा है।
केवल विचार करने तक।।
क्या तुम्हे पाने का हक़ है।
चालो मेहनत की माला जपने।।
किन बातों में खो रहा है।
अभी तक तू सो रहा है।।
इधर उधर की बातो में उलझा।
घुट रहा है रह रह कर।।
अपने आपसे सुलह कर।
कुछ न बदलने पर तू रो रहा है।
  अभी तक तू सो रहा है।।
कविः- अखिलेश कुमार, कक्षा -10th, अपना घर, कानपुर,

शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

कविता:- माँ के आँचल में सोया रहता हूँ

"माँ के आँचल में सोया रहता हूँ"
अपने सपनों में खोया रहता हूँ। 
न जाने क्यों खुद को।।
अकेला महसूस करता हूँ।
जाने क्यों उदास बैठा रहता हूँ।।
परिवार से दूर नही रहना चाहता हूँ।
 न ख़ुशी न माँ का प्यार।।
न ही दोस्तों से मिलना जुलना। 
मै अपनी माँ की सिर्फ राह देखता हूँ।।
न जाने क्यों खुद को।
अकेला महसूस करता हूँ।।
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा - 6th , अपना घर, कानपुर  
कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है। जो की बिहार के रहने वाले हैं। सुल्तान कवितायेँ बहुत अच्छी लिखतेहैं। सुल्तान पढ़ाई के प्रति बहुत ही गंभीर रहते हैं।
 

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021

कविता:- खेल खिलौने बाजार के

 "खेल खिलौने बाजार के"
खेल खिलौने बाजार के।
 हो गए अब हजार के।।
कैसे मै अब खेलूँगा।
अब बस माँ के सामने रो लूंगा।। 
जिद एक भी ना उनसे करूँगा।
कि खेले बिना मै ना रहूँगा।।
माँ मेरे लिए आसमान से। 
चाँद तारे उतार दे।। 
उनसे अब मै खेलूंगा। 
अब जिद मै ना करूँगा।। 
कविः- नवलेश कुमार, कक्षा -6th, अपना घर, कानपुर,
 

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021

कविता:- अब खो गया है क्या कोरोना

"अब खो गया है क्या कोरोना"
अब खो गया है क्या कोरोना।
न अब मास्क है और भर गया हर कोना।।
दो गज की दूरी अब कहाँ है होती।
अब दुनियाँ नहीं है रोती।।
अब कोरोना से लोग कहाँ डर रहे हैं।
लोग अब एक दूसरे के घर घूम रहे हैं।।
क्या अब सब कुछ हो गया ठीक। 
बजने लगे हैं अब सरे जगह बीन ।।
अब खो गया है क्या कोरोना।
न अब मास्क है और भर गया हर कोना ।।
कविः- कुलदीप कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।  कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं।  कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं।  कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं।  इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है
 
 

बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

कविता:- मेरी चाह है घूमू ,खेलूं

"मेरी चाह है घूमू ,खेलूं"
मेरी चाह है घूमू ,खेलूं।
जो पसंद आये सब ले लूँ।। 
कहानियों की दुनियाँ में डूब जाऊ।
भरे समंदर में उछलकर डुबकी लगाऊं।।
बाग बगीचों में इतराऊं।
भारी परिस्थियों में भी डट जाऊं।।
औरों के साथ खुशियाँ बांटू।
अपने अरमानों में चार चाँद लगाऊं।
फूलो की खुशबू में ढल जाऊं।।
  कविः -प्रांजुल कुमार ,कक्षा -11th ,अपना घर ,कानपुर ,


कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

कविता:- बसंत की उमंग

 "बसंत की उमंग"
आया अब बसंत की उमंग। 
आँगन में फैले सुनहरे रंग।।
पत्तों को झकझोरने वाली हवाएँ।
 जो नयन से होकर।।
हृदय में बस जाये।
रात के दूधियाँ उजियारे।।
आसमान में सिमटते तारे। 
लगता है जैसे खेल रहे हो।।
एक दूसरे के संग। 
आया है बसंत की उमंग।।
पेड़ पुराने पत्ते छोड़। 
बढ़े नए पत्तों के संग।।
आया अब बसंत की उमंग।
  कविः -देवराज कुमार, कक्षा -10th , अपना घर , कानपुर ,
 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं। और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।