मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

कविता : सत्य विचार

" सत्य विचार " 

सत्य सदा मन में विचार, 
जिंदगी में जरूरी है हार | 
कहते हैं हम से वे यार, 
जीवन में रखो विचार | 
पथ पर अपने डटे चलो,
मुसीबतों से हंसकर लड़ो | 
चमको ऐसा की हो उजाला,
 ढह जाए सारा संसार| 
कहते हैं हम से वे यार | |    

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 

कवि परिचय :  यह हैं देवराज ,  यह बहुत ही रोचक भरी और प्रेरणा दायक कवितायेँ लिखते हैं जिसके द्वारा यह बताना चाहते हैं की एक बच्चा भी इतनी अच्छी कविता लिख सकता हैं | पढाई के साथ अन्य गतिविधियों में भी भागीदारी करते हैं | 

कविता : जल - जलकर जलता जाऊँ

" जल - जलकर जलता जाऊँ "

जल - जलकर जलता जाऊँ,
किसी को नुकसान न हो पहुँचाऊँ  |
मेरे जलने से जग की सोभा हो, 
न जलूँ तो सृस्टि में अँधेरा हो |  | 
हर एक ख्वाब को सजाऊँ, 
हर सपना को साकार करूँ | 
जल जलकर जलता जाऊँ | | 
उजालों का मैं ही एक जरिया हूँ, 
लाखों करोड़ो वर्ष पुराना हूँ | 
मेरी जिंदगी कब ख़त्म हो जाय, 
किसी को भी ये ही पता नहीं |  
लेकिन फिर भी मैं जलता हूँ,
जल जलकर जलता जाऊँ | | 
   
                                                                                                 नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर




कवि परिचय : नितीश कुमार वैसे तो बिहार के रहने वाले हैं फिर भी कानपुर में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | इनके परिजन कानपुर में रहकर ईंट भट्ठों में काम करते हैं | पढाई में बहुत मेहनत  करते हैं और टेक्नोलॉजी में बहुत माहिर हैं | 

कविता : काश मैं एक रौशनी होता

" काश मैं एक रौशनी होता "

काश मैं एक रौशनी होता , 
संसार को रौशनी दे पाता | 
ताकि हर व्यक्ति देख पाता,
चाहे हो काना चाहे आनर | 
सबको मंजिल मैं दिखाता,
खुद उसके साथ मैं जाता | 
वो अपना रास्ता तय कर पाता,
मैं उसका साथ निभा पाता | 
 काश मैं एक वो  रौशनी, 
संसार को रौशनी दे पाता |

नाम : समीर कुमार , कक्षा 7th , अपनाघर


कवि परिचय : ह हैं समीर कुमार जो की इलाहाबाद से अपनाघर पढ़ने के लिए आये हुए हैं | माता पिता ईंट भट्ठों में निकासी गिरी का काम करते हैं | पढ़ाई में अपना बहुत अफर्ट देते हैं | कवितायेँ लिखने के साथ - साथ संगीत भी बहुत अच्छा  | बहुत ही नेक और चंचल बालक हैं समीर कुमार |  

रविवार, 25 फ़रवरी 2018

कविता " फूलों की तरह खिला हूँ "

  " फूलों की तरह खिला हूँ "

फूलों की तरह खिला हूँ,
नए रास्ता के साथ चला हूँ | 
बढ़ते जा रहे हैं मेरे कदम,
एक नए दिशा की ओर | 
होंगे सही गलत के रास्ते,
चुनना है इनमें से एक |  
नहीं भरोसा किसी  पर,  
भरोसा करूंगा खुद पर | 
चलूँगा मैं सही रास्ते पर  
जो हो मेरे दिल में आसान, 
अपनाकर बनूँगा महान | 

नाम : नितीश कुमार , कक्षा : ७थ , अपनाघर


कवि परिचय : यह हैं नितीश जो की बिहार के नावदा जिले से कानपूर जिले में पढ़ने के लिए आये हुआ हैं | कक्षा 7 में ही कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया हैं हो सकता हैं भविष्य में फिलॉसफर बन जाए | 

कविता : " काश कोई समझ पाता "

" काश कोई समझ पाता "

काश मुझे कोई समझ पाता,
आकाश को भी मैं छू पाता |  
सबसे ऊँचा मैं कहलाता ,
अपने ख्वाइशों को आजमाता|  
माँ का दुलार और प्यार पाता ,
 सपनों को स्वीकार कर पाता | 
सारा संसार में छा जाता,
तब मैं तेरे पास आता,
बदल बनकर बरस जाता || 

नाम : संतोष , कक्षा : 4th , अपनाघर 

गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

कविता :अजनबी दुनियाँ

"अजनबी दुनियाँ "

ये अजनबी दुनियाँ क्या है,
क्या बुराऔर क्या भला है | 
कोई मतभेद इसमें नहीं जरा, 
जिंदगी खुशियों  से है भरा |
नहीं दबाव है किसी पर,
हँसी ख़ुशी रहते यहाँ पर |
न हो किसी से बैर और,
न हो किसी से दुश्मनी | 
हम सब मिलकर रहे,
क्योंकि यही है जिंदगी | 

नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार बहुत ही शांत और शुशील इंसान हैं हर काम को सिरियस से लेते हैं | कवितायेँ लिखने के साथ - साथ टेक्नोलॉजी में भी बहुत माहिर हैं | 

बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

कविता : बस्ता

" बस्ता "

मेरा बस्ता है सबसे सस्ता, 
धुलने पर सूंदर है दिखता | 
स्कूल से लेकर घर तक जाता,
हर पल हर दिन साथ निभाता |  
अच्छी खातिर करता हूँ, 
स्कूल में इसी के साथ पढ़ता हूँ | 
दो बद्धी , चार है चेन, 
न हो तो हो जाऊँ बेचैन | 
हल्का रखता बोझ न देता, 
जितना हो उतना ही भरता | 

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर 

मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

कविता : हिमालय

" हिमालय "

देखो इस हिमालय को,
कुछ हमसे वह कहता है | 
तूफानों से लड़ता वह है,
फिर भी खड़ा रहता वह है | 
इंसानों को वह सिखाता है,
 अपने घमंड नहीं दिखाता है | 
नदियों का पहाड़ उठाता है,
फिर भी कुछ न कहता है | 
अपने इस व्यव्हार से वह,
 हमको भी कुछ सिखाता है | 

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहाबाद से कानपूर के अपनाघर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | कविताओं के साथ साथ एक अच्छे संगीतकार हैं | खेल को भी बड़े मन लगाकर खेलते हैं | 

रविवार, 4 फ़रवरी 2018

कविता : फूल

" फूल "

मौसम फूलों पर तो इन दिनों, 
बहार है ही सामेल कचनार जैसी | 
बड़े मेड़ भी फूलों से लद गए हैं,
ये सभी गहने से लद  गए हैं |  
इस प्यारे संसार में लोगों ने, 
अपनी - अपनी किस्मत बनाई | 
ये छोटे से पृथ्वी में लद गए,
खुशबुओं से इसको महका गए |  
खेतो में खिले सरसों अरहर जैसे, 
पीले -पीले रंगों में है जैसे | | 

नाम : राजकुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह राज हैं जो की हमीरपुर के रहने वाले हैं कविताये बहुत अच्छी लिखते हैं | पढ़लिखकर एक डॉक्टर बनना चाहते हैं | हमेशा अपने पढ़ाई के प्रति कोशिश करते रहते हैं | 

शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

कविता : " कल सोच "

 " कल  सोच "

कल का क्या सोचना, 
वो तो यूँ ही गुजर गया | 
तैयार रहना है हमें,   
जो आने वाला कल है |
कल शायद जिंदगी बदल जाए, 
और किसी की मिट जाए | 
किसने सोचा होगा उस कल का, 
क्या होगा उस दिन | 

नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं नितीश जो बिहार से हैं | कविताओं के साथ साथ टेक्नोलॉजी में बहुत मन लगता हैं | इनके कविताओं से बहुत प्रेरणा मिलती हैं | 

कविता : " जीना छोड़ दे "

"जीना छोड़ दे "

जिंदगी में दुःख है तो, 
हम सोचते हैं जीना छोड़ दे | 
जब  सभी दरवाज़े बंद हो, 
तब एक उम्मीद के सहारे जीते हैं | 
हम करते हैं इंतज़ार उस किरण का, 
जो हमारे लिए हुआ बना हो | 
काश हमारी जिंदगी भांग न हो, 
समाज में थोड़ा सम्मान हो | 
फूलों में से थोड़ी खुशियां, 
मेरे परिवार में भी हो | | 

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं देवराज कुमार हैं जो की बिहार के नवादा जिले से कानपूर जिले में पढ़ने के लिए आये हैं | कवितायेँ बहुत अच्छी लिखा करते हैं | इसके साथ - साथ नृत्य भी बहुत अच्छा कर लेते हैं | 

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

कविता : मैं वो बहता हवा नहीं

" मैं वो बहता  हवा नहीं जो "

मैं वो बहता  हवा नहीं जो, 
मैं वो बहता  हवा नहीं जो, 
हिमालय से टकराकर मुड़ जाता हूँ |  
मैं वो ठण्डा मौसम नहीं, 
पल भर में बदल जाता हूँ |  
मैं तो वो बंदा हूँ जो, 
जिंदगी की राह में | 
लाखों सपने सजाता हूँ, 
क्या करू वो सपनों को | 
जिसको  मैंने सजाया है,
उन सपनों के वजह से ही | 
यहाँ तक मेहनत से आया हूँ,
निगाहें मेरी उन राहों पर | 
जो मेरी जिंदगी को सरल बनाया, 
आने वाले कल के दिन | 
खूब रौनक लायगा | |

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : ७थ, अपनाघर