"हे दुनियाँ वालों जरा इन पेड़ों को तो बचालो "
हे दुनियाँ वालों |
जरा इन पेड़ों को तो बचालो ,
जिसने कि तेरी जीवन से पहले खातिरदारी |
पर बन गए तुम लोग अत्याचारी ,
काट -काट कर बनाया अपना आशियाना |
अब पड़ रहा है हर एक सांस के लिए पछताना ,
प्रदूषित कर डाला पूरा हर तरफ |
अब आ गया हमारा संकट ,
पेड़ थे हमारे जीवन दाता |
पर हमने तोडा इनसे अपना नाता ,
हे दुनियाँ वालों |
जरा इस पेड़ों को तो बचालो ,
कवि : कुल्दीप कुमार , कक्षा : 11th
अपना घर