बुधवार, 23 जनवरी 2019

कविता : देश के दृश्य

" देश के दृश्य "

देखो लोग इस देश के,
घूमने जाते विदेश में |
पहले जाते एरोप्लेन से,
फिर चढ़ जाते ट्रेन में |
घूमने जब लगते विदेश में,
घूमते मंदिर और बाग़ में |
जब देखते हैं वो आम,
तब याद आती है देश की शान |
भागते चले आते है देश में
जहाँ खो जाते है इसके दृश्य में |
जब छूटा बुखार विदेश का,
याद आई गाँधी का उपदेश |
खाने लगे वह आम बहुत,
नहीं बताते दाम बहुत |
आम खाने को जब मिले मुफ्त में,
तब मज़ा आया इस देश में बहुत |


कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं समीर जिन्होंने यह कविता लिखी है | समीर ने अपने सोचने के अंदाज से यह कविता लिखी है की लोग विदेश क्यों जाते है क्यों न अपने ही देश में रहे | समीर इसके आलावा अच्छा गीत भी गए लेते हैं | समीर बड़े होकर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |


मंगलवार, 22 जनवरी 2019

Poem : your imagination

" Your imagination "

I want to drench in colorful fountain,
which come over through the mountain.
I want to do adventure,
which are so danger.
let's you too do something different
It's ok let's try few and
move to your mind development.
Think unbelievable and intangible
stop to living life in the shape of triangular.
melt deeply towards your aim brother,
that should be different as compared to other.
you can change your life and life action,
with help your imagination ....

Name : Devraj kumar , Class : 8th , Apna Ghar



Introduction : This poen is written by Devraj with his imagination. Devraj always put some message and inspirational things which people can understand and apply in their regular life . according to him we had live much life but now it's time to expand our thoughts .He loves to dance and write poems.

कविता : परिवार का प्यार

" परिवार का प्यार "

परिवार का प्यार अनमोल होता है,
जिसको नहीं मिला वह रह -रहकर रोता है |
जब - जब यादें आती हैं,
आँसुओं की नदियाँ बह जाती हैं |
प्यार जिसको मिला,
वो कितना खुश नसीब है |
जिसको कभी प्यार नहीं मिला,
वह आँसुओं के करीब है |
मिली नहीं ये चीजें कोई बात नहीं,
जो दिया है खुशियाँ और प्यार
ये दे सकता कोई और नहीं |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह कविता देवराज ने लिखी है जिसका शीर्षक परिवार का प्यार है | वास्तव में परिवार जैसा प्यार कोई और नहीं दे सकता उन सभी लोगों को खुश होना चाहिए जिनके पास परिवार है | लड़ाई और प्यार ये दो रूप होते है प्यार के | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |

सोमवार, 21 जनवरी 2019

कविता : भगवान मेरा कसूर क्या है

" भगवान मेरा कसूर क्या है "

हे भगवान मेरा कसूर क्या है,
मैंने ऐसा किया ही क्या है |
हे भगवान् मेरा कसूर क्या है,
छोटी से ही सड़क पर पला हूँ |
रो - रोकर सुखाया अपनी गला है,
बड़े नसीब से पिने का पानी मिला है |
गर्मियों में एक बूँद ठंडे पानी के खातिर,
घर घर भटकती फिरती हूँ |
कहीं अगर जूठी बोतल मिले,
झट से पानी पि जाती हूँ |
श्रुति ऋतुओं का भी क्या,
हे भगवान मेरा कसूर क्या है |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं देवराज जिन्होंने यह कविता लिखी है | देवराज को हमेशा कुछ सिखने की ललक रहती है | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और लगभग इन्होने बहुत सी कविताये लिख चुके हैं | देवराज डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं |




शनिवार, 19 जनवरी 2019

कविता : लोग सो रहे

" लोग सो रहे "

इस मुल्क के लोग सो रहे हैं,
इस मुल्क के लोग सो रहे हैं |
और जो कुछ नहीं कर रहे हैं
वो इस मुल्क में हँस रहे हैं |
जहन के जज्बात खो गए,
जहन की आवाज़ गूंज रही है |
और जिसका जहन नहीं है,
वो जहन नहीं ज़हर रह गए |
हँसी तो दूर की बात है,
लोग तो हँसते भी नहीं |
अरे !खो गया है वो नगमा,
जो लोगों के जहन में बस्ता था |
अरे ! बह गया है वो आँसू,
जो कभी मोती बनता था |
यह मैं नहीं कह रहा हूँ मेरे यार,
यह तो उन लोगो की आँखों में हैं |
जो कभी गले लगाकर ईद,
की बधाइयाँ दिया करते हैं |
और कभी दीवाली की रात को मिलकर,
साथ में दिया जलाया करते थे |

कवि : विशाल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवी परिचय : यह कविता विशाल के द्वारा लिखी गई है | विशाल अपने काम को हमेशा समय से पूरा करते हैं और उसको खूब अच्छे से निभाते हैं | विशाल पढ़लिखकर एक रेलवे इंजीनियर बनना चाहते हैं |

मंगलवार, 15 जनवरी 2019

कविता : हे प्रभु

" हे प्रभु "

हे प्रभु तू सुन मेरी पुकार,
फिर से बना दे ख़ूबसूरत संसार |
इंसानों के अंदर भर दे प्यार,
ताकि हर इंसान बन जाए यार |
फूलों की खुशबू को बढ़ा दे,
चाहे तो उसमें चार चाँद लगा दे |
तोड़ने पर न पहुंचे दुःख,
काँटों पर खिलकर भी रहे खुश |
इस संसार को ऐसा बना दे,
सोंचू तो दिल बहला दे |

                                                                                                                कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर





कवि परिचय : यह है प्रांजुल जिन्होंने यह कविता लिखी है | प्रांजुल छत्तीसगढ़ के निवासी है और कानपूर में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | प्रांजुल पढ़लिखकर एक अच्छे इंजीनियर बनना चाहते हैं |

बुधवार, 9 जनवरी 2019

कविता : बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल

" बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल "
 "बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल "

 "बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल "

बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल,
खेल ने दिया उन्हें पढ़ेल |
कर दिया उनको मोटा - मोटा,
जिनका सहारा बन गया अब लंगोटा |
करने को पेट का साइज़ छोटा,
परन्तु अब यह उनसे नहीं होता |
पहले जो थे हट्टे - कट्टे,
अब दीखते हैं मोटे - मोटे |
इसका पड़ा स्कूली बच्चों पर असर,
खेल ने निकाली पूरी कसर |
बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल,
खेल ने दिया उन्हें पढ़ेल |

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है और समीर इलाहबाद के रहने वाले हैं | समीर को क्रिकेट से बहुत प्रेम है और उन्हें क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है | समीर को क्रिकेट के आलावा कवितायेँ लिखना भी बहुत पसंद है | समीर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |





बुधवार, 2 जनवरी 2019

कविता : मम्मी की मार बेकार न था

" मम्मी की मार बेकार न था "

मम्मी की मार बेकार न था,
दादी का प्यार बेकार न था |
बचपन में खिलौनों का खो जाना ,
वो कोई चिंता का बात न था |
घर लाई गई मिठाई में कम मिलना
पर रूठना रूठना था ही नहीं |
हमें तो अब समझ में आया,
नरिजग का मतलब सही |
हर गलत बात पर  सभी चिढ़ाते है,
चिढ तब होती है जब कोई दोस्त,
हमें छोड़कर आगे निकल जाता है |
निकल जाए और पीछे रह जाए,
नाराजगी तो तब  होती है जब,
मंजिल सामने और हम बगल में होते हैं |
नाराजगी तो तब होती है जब,
आपकी रात दिन की मेहनत,
ज़ीरो में तब्दील हो जाती है |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर





कवि परिचय : यह हैं देवराज जिन्होनें यह कविता लिखी है | देवराज को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और लगभग ये एक शाट कवितायें लिख चुके हैं | देवराज बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | देवराज को इसके आलावा डांस करना और विज्ञानं से जुड़े प्रयोग करना बहुत पसंद हैं |

कविता : नया साल आएगा

" नया साल आएगा "

शायद गुमशुदा चिड़िया भी जाएगी,
शायद मुरझाए हुए पेड़ भी लहलहाएंगे |
शायद हर चेहरे पर खुशियाँ छाएँगे ,
जब नए उम्मीद के साथ नया साल आएगा |
शायद हर बहन की डोली ख़ुशी से उठेगी,
शायद हर माँ की झोली उम्मीद से भरेगी |
शायद हर घरों में खुशियाँ छाएगी,
जब नए उम्मीद के साथ नया साल आएगा |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर





कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा नए साल के पर्व पर लिखी है | सभी को आजकल नया साल का बहुत इंतज़ार है सोचते होंगें की २०१९ मंगलहो | प्रांजुल इस कविता के माध्यम से सभी भाई /बहन को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं देता है |

कविता : दिल की पुकार

" दिल की पुकार "

जब मैं उदास बैठा था उस पार,
तब मुझे याद आई तेरी यार |
तब मैंने सुनी अपने दिल की पुकार,
मुझे भी बनाना है एक अपना संसार |
जिसमें सिर्फ हो प्यार ही प्यार ,
उसमें एक तू भी हो मेरे यार |
जहाँ हम बाँट सके अपना प्यार,
तू है मेरा इस जहाँ का यार |
जब मैं उदास बैठा था उस पार,
तब मुझे याद आई तेरी यार |

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं समीर जिन्होंने यह कविता लिखी है | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और लगभग अब तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके होंगें | समीर इसके अलावा गीत गाना , क्रिकेट खेलना बच्चों के साथ हंसी मज़ाक और उनको पढ़ाना बहुत पसंद हैं |

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

कविता : छोटी सी खुशियाँ

" छोटी सी खुशियाँ "

ये छोटी सी खुशियाँ ,
मेरी जिंदगी में रंग लाएगी |
ये छोटी सी मंजिल ,
मेरी जिंदगी को बनाएगी |
ये छोटी सी महक ,
पूरे संसार में खुशबू फैलाएगी |
ये छोटी सी रौशनी,
मेरी जिंदगी में राह दिखाएगी |
ये छोटी सी कोशिश,
हर किसी की जिंदगी बनाएगी |
यह कठिनाई का रास्ता,
राही को चलना सिखाएगी|
ये छोटी सी खुशियाँ ,
मेरी जिंदगी में रंग लाएगी |


नाम : सार्थक कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता अपना घर के छात्र सार्थक के द्वारा लिखी गई है | सार्थक कक्षा 8 का विद्यार्थी है  | सार्थक को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है और लोगो से बातचीत करना भी बहुत पसंद है | सार्थक पढ़ने में बहुत होशियार और कक्षा में दोस्तों के साथ साथ अच्छा बर्ताव है | सार्थक के माता - पिता ईंट भट्ठों में ईंटे पाथने का काम करते हैं |