रविवार, 31 मार्च 2019

कविता : वीरों को याद करो

" वीरों को याद करो "

गर्मी के मौसम में,
धरती के आँचल में |
गर्म हवाएँ चल रही हैं,
गर्मी से भू दहक रही है |
लू लपाटा चले फर्राटा,
कर न पाए कहीं सैर सपाटा |
पेड़ पत्ते जल रहे हैं,
बिन हवा के मचल रहे हैं |
दिन लम्बा तो हो ही गया है,
ठण्ड मानों सो ही गया है |
आलस कर देता है मन में,
सोना बस रहता है दिन में |

कवि : प्रांजुल कुमार , : कक्षा : 10th , अपना घर



कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ लिखते हैं | प्रांजुल पढ़लिखकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल को छोटे बच्चों को पढ़ाने में बहुत मज़ा आता है |



कविता : वीरों को याद करो

" वीरों को याद करो "

उन वीरों को याद करो,
जो देश के खातिर प्राण दिए |
अपने लहू का एक एक कटरा,
अपने देश के लिए त्याग दिया |
जिस माँ ने लाल को जन्म दिया,
देश को आज़ाद करने का वचन दिया |
उस माँ के बेटे ने न की जान की चिंता,
हँसते हँसते चूमा था उसने मौत का फंदा |
उन हजारों इंसानों को याद करो,
जिन्होंने देश के लिए प्राण दिए |

कवि : संजय कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता संजय के द्वारा लिखी गई है जो की झारखण्ड के निवासी हैं | संजय बहुत सी कविताएँ लिखते हैं | संजय को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है और अपनी तेज गेंद की तेज़ गति से सबको चौका देते हैं | संजय पढ़लिखकर आर्मी में जाना चाहते हैं |


शनिवार, 30 मार्च 2019

कविता : आसमां के परिंदे

" आसमां के परिंदे "

आसमां के परिंदे,
हमेशा उड़ना चाहते हैं |
कुछ कर पाने के लिए,
इंतज़ार करते रहते हैं |

आसमां के छाए बादल,
मौसम बदलना चाहते हैं |
बारिश की बूंदें गिरते है,
पर हमसे कुछ कह जाते हैं |

ये टपकते बारिश की बूंदें,
हर लम्हें को दर्शाते हैं |
नए जीवन जीने के लिए,
मौसम बदलना चाहते हैं |

आसमां के परिंदे,
हमेशा उड़ना चाहते हैं |
कुछ कर पाने के लिए,
इंतज़ार करते रहते हैं |

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सनी कुमार के द्वारा लिखी गई है जो की कक्षा ८ के विद्यार्थी है | सनी बिहार राज्य के निवासी है | सनी को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है और वह क्रिकेट बहुत अच्छा खेलते हैं |

कविता : काश मेरा सपना ऐसा होता

" काश मेरा सपना ऐसा होता "

काश मेरा सपना ऐसा होता,
पक्षी की तरह मैं होता |
आसमां में उड़ पाते,
संसार को अलग से देख पाते |
काश वह ऐसा होता,
मेरे भी कुछ सपने होते |
मैं कुछ कर पाता,
काश मेरा सपने ऐसा होता |
संसार की बड़ी इमारतों को देख पाता,
काश पक्षी के तरह मैं होता |
आसमां में उड़ पाता | |

                                                                                                        कवि : अमित कुमार, कक्षा : 5th , अपना घर

 कवि परिचय : यह कविता अमित के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के गया जिले के निवासी है | अमित को पढ़ना लिखना बहुत पसंद है  और पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | अमित को कवितायेँ लिखना भी बहुत पसंद है |

कविता : भगत सिंह बनना हम है चाहते

" भगत सिंह बनना हम है चाहते "

वीरों के वीर थे,
तीनों बड़े शेर थे |
क्रान्तिकारी ये कहलाते थे,
अंग्रेजों से ये न घबराते थे |
बेम फेंक सबको चौकाया,
बिना डरे इन्होने कर दिखाया |
नाम इनके थे बड़े प्यारे,
राजगुरु,सुखदेव और भगत सिंह
बस गए देश के न्यारे |
२३ मार्च को संकट सा आया,
चुपके से इन्हे फाँसी पर लटकाया |
हो गए ये वीर गति को प्राप्त,
फिर भी न गई इनकी याद |
शहीद दिवस हम है मनाते,
भगत सिंह बनना हम है चाहते |

                                                                                                       कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा :8th ,अपनाघर

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है | इस कविता में इन्होने शहीद दिवस को दर्शाया है | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कुलदीप पढ़कर नेवी में जाना चाहते हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने के आलावा डांस करना भी आता है |


कविता : दोस्ती तेरी याद में

" दोस्ती तेरी याद में "

दोस्ती तेरी याद में,
दिल धड़क रहा है |
तुमसे मिलने के लिए,
आंखें तरस रही है |
याद आते हैं वो गाने,
तेरे मेरे गुनगुनाने के,
चाहत है तेरे संग रह जाने की|
दूर है तो क्या,
जैसे आसमां और जमीं |
कोई बात इस दोस्ती में,
क्या रह गई कमीं |

कवि परिचय : यह कविता संतोष के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं और वर्तमान समय में अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | संतोष को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह हर हफ्ते कविता लिखते हैं | इस कविता में उन्होंने प्रेम रस की व्याख्या की है |

मंगलवार, 26 मार्च 2019

कविता : भगत सिंह

" भगत सिंह "

वह लहू जो देश के काम आया,
बढ़ते हुए जुल्म से मुल्क के लोग राहत पाया |
सोते हुए भी नींद की अपेक्षा न रख पाया,
असेम्ब्ली में बम फेकते हुए सबको सूचना दे आया |
हर कदम वह रहता तत्पर तैयार,
वह था भगत सिंह मशाल |
जज्बाज जो उन्हें रोक सका,
उसके खिलाफ कोई कह न सका |
देश के लिए मरकर भी न लम्हा
बनकर सबके आत्मा में बस गया |

                                                                                                        कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं विक्रम जिन्होंने एक देश भक्त भगत सिंह पर कविता लिखी है के नवादा जिले के निवासी है | विक्रम को देश भक्तों पर कवितायेँ लिखने में बहुत मज़ा आता है | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक वह बहुत सी कवितायेँ लिख चूका है | विक्रम एक अच्छे इंजीनियर बनना चाहते हैं |



कविता : मेरा गाँधी ऐसा था

" मेरा गाँधी ऐसा था "

मेरा गाँधी ऐसा था,
भारत देश का बापू था |
कहीं मिट जाए इनका सम्मान
कहीं न हो जाए इनका अपमान |
इसने हमको अंग्रेजों से बचाया,
हम इनको दुनियाँ से बचाएँगे |
इनका अपमान अब नहीं सह पाएँगे,
गाँधी गाँधी इनका नैरा लगाएँगे |
नए नए नोटों में हम इसको लगाएँगे,
एक बार फिर से सब गाँधी चिल्लाएँगे |
हम दिलाएँगे गाँधी को इंसाफ,
कर देंगे सरकार का पर्दाफास |  

                                                                                                         कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है, जो की प्रयागराज के निवासी हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | समीर हर हफ्ते एक न एक कविता जरूर लिखते है | समीर इसके आलावा गीत भी बहुत अच्छा गए लेते हैं | समीर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |

रविवार, 24 मार्च 2019

कविता : फाल्गुन का महीना आया

" फाल्गुन का महीना आया "

फाल्गुन का महीना आया,
रंग बिरंगी पिचकारी लाया |
गालों पर गुलाल लगाएंगे,
गुझिया और मिठाइयाँ खाएँगे |
धूम - धाम से होली मनाएँगे,
सबके चेहरे पर रंग लगाएँगे |
खुशियों का यह त्योहार है,
बस रंगों का बहार है |
सारी मर्यादाओं को भूलकर,
ख़ुशी में एक साथ झूमकर |
दोस्तों पर रंग चढ़ाएँगे,
ख़ुशी से होली मनाएँगे |

                                                                                                             कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जिन्होंने यह कविता लिखी है | प्रांजुल वैसे तो मूल रूप से छत्तीसगढ़ के निवासी है परन्तु वह अपना घर संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | प्रांजुल ने यह कविता त्योहार पर लिखी है जिसका शीर्षक फाल्गुन का महीना आया | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |  

मंगलवार, 19 मार्च 2019

कविता : फाल्गुन का महीना

" फाल्गुन का महीना "

फाल्गुन का महीना आया,
बच्चों ने रंग खेलने की तैयारी की |
भरे पिचकारी फेके पडे हैं,
लाल , हरे ,पिले रंग झेले पड़े हैं |
खूब मौज -मस्ती से खेले पड़े है,
फाल्गुन के महीने में झूम उठे है |
होली में सब जाग चुके हैं,
फाल्गुन में उमंग से फूल चुके हैं |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है | विक्रम गया जिला का रहने वाला है | विक्रम को रोचक भरी कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | विक्रम अपने आप में एक चीज ढूँढना चाहता है | विक्रम के अंदर बहुत ही क्षमता है कुछ करने की | विक्रम पढ़लिखकर गरीब लोंगो की मदद करना चाहता है |

कविता : होली आई

" होली आई "

होली आई होली आई,
पीला , लाल और हरा रंग लाई |
मन को मोह लेता है भाई,
होली आई होली आई |

होली का त्यौहार आया,
दोस्तों को लाल रंग लगाया |
रंग भरे पिचकारी से उसे मारा,
इस खेल में कोई नहीं हारा |

मन को मोह लेता है भाई,
इसीलिए होली है आई |
सब लोगों की टोली आई,
एक दूसरे के लिए प्यार जगाई |

                                                                                                            कवि : अजय कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह है अजय जिन्होंने यह कविता लिखी है , अजय कक्षा 5th के विद्यार्थी है और बिहार के नवादा जिला के निवासी है | अजय को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है | अजय एक हसमुख छात्र है हमेशा ख़ुशी उसकी चेहरे पर नज़र आती है |

कविता : कुछ ऐसा करूँ

" कुछ ऐसा करूँ "

मन करता है कुछ ऐसा करूँ,
हर  मुसीबतों को पार कर सकूँ |  
देश की गन्दगी को साफ कर सकूँ,
जो भी भूल हो उसे माँफ कर सकूँ |
बस इतनी ही चाहत है रब से,
यह दरख्वास्त है मेरा सबसे |
हर राह से गुजर कर कुछ बन सकूँ,
बनने के बाद देश के लिए कुछ कर सकूँ |
मन करता है कुछ ऐसा करूँ,
हर  मुसीबतों को पार कर सकूँ |  

                                                                                                       कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की मूल रूप से प्रयागराज के निवासी है और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और यह बहुत सी कवितायेँ लिखते है | समीर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |

रविवार, 17 मार्च 2019

कविता : मच्छर

" मच्छर "

छोटा सा एक मच्छर,
बड़ा धमाल करता है |
गन्दगी में रहना इसकी आदत,
जमे हुए पानी में ही यह इबादद |
ये होता है छोटा सा,
दिखता है बिल्कुल अजीब सा |
बिना पूछे काट लेता है,
पूरी रात परेशान कर देता है |
इसकी आदत ख़राब सी है,
बिना कुछ कहे ही काट लेता है |
जितना भी भगाओ नहीं भागता,
भगाने पर अपने दोस्तों को बुलाता है |

कवि : धरम कुमार , कक्षा : 2nd , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता धरम के द्वारा लिखी गई है जो की कक्षा 2 के छात्र है | धरम बिहार के रहने वाले हैं यह उनकी पहली कविता है |धरम बहुत ही चंचल बच्चा है और पढ़ाई बहुत मन से करता है |



शनिवार, 16 मार्च 2019

कविता : होली

" होली "

इस महीना लग रहा है कुछा खास,
आने वाला है दस दिन के बाद |
उस दिन का है इंतजार,
रंगों की होगी बरसात |
उस में सभी रंग होंगे,
न कोई भेदभाव सब खेलेंगे |
सब दुश्मन होंगे एक साथ,
क्योंकि लग रहा है कुछ खास |
रंग भरी पिचकारी चलेगी,
रंग , मिष्ठान और गुलाल उड़ेंगे |
हर कोई रंग खेलेगा,
कोई बुरा भला नहीं बोलेगा |
         

कवि : रवि किशन , कक्षा : 10th , अपना घर



कवि परिचय : यह कविता रविकिशन के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के निवासी हैं | रविकिशन ने यह कविता आने वाले त्यौहार होली पर लिखी है | जिस प्रकार सभी होली में रंग जाते हैं उसी प्रकार रविकिशन भी रंग जाना चाहता है | रविकिशन को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |

शुक्रवार, 15 मार्च 2019

कविता : मुझे भी संग ले चलो

" मुझे भी संग ले चलो "

ऐ जाने वालों मुझे भी संग ले चलो,
गले मिलते चलो ,सबको रिझाते चलो |
ऐ मेरे दोस्तों मुझे भी लेकर चलो,
मैं भी देखना चाहता हूँ सारा जहाँ,
मेरे भी कुछ सपने हैं यहाँ |
मेरे भी यार मेरे यार मेरे यार,
जैसे अपनी ही माँ से मिली है माँ मेरी,
हर कदम पर तेरी रतना करूँ मैं तेरी |
तेरी रचना से ही मेरी माँ की ये रचना,
ये उम्मीद मेरी जुडी माँ से मेरी |

कवि : कामता कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता अपना घर के छात्र कामता कुमार के द्वारा लिखी गई है जो की मूल रूप से बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | कामता कविता पुलवामा हमला के उपलक्ष  में लिखा है |

कविता : हम चलेंगे

" हम चलेंगे "

हम चलेंगें , हम चलेंगे,
छाया घोर अँधेरा था |
तूफानों का डेरा था ,
मंजिल की ओर जाना था |
फिर भी आगे जाना था,
घर घर में दीप जलाना था |
पथ में जो भी आएगा,
ठोकर से वह उड़ जाएगा |
हम चलेंगें , हम चलेंगे,
छाया घोर अँधेरा था |

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं सार्थक जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | सार्थक को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ भी लिखते हैं | सार्थक पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | सार्थक को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है |  

कविता : पत्ता जब गिरता है

" पत्ता जब गिरता है "

पेड़ से एक पत्ता जब वो गिरता है,
न जाने कितना दर्द उसको होता है |
कौन जाने उसकी कस्ट और दर्द ,
वो किसे अपनी दर्द बताए |
इतनी कड़े धुप में रहते हैं,
चाहे तूफान हो या फिर आँधी |
पेड़ जो सबको समान समझे
पर मुसीबत में वो मुड़कर न देखे |
हमें आज सुधरना होगा,
एक नहीं सौ पेड़ लगाना होगा |
प्रकृति से ही इसकी रौनक है,
उसके दर्द को समझना होगा |
पेड़ से एक पत्ता जब वो गिरता है,
न जाने कितना दर्द उसको होता है |

                                                                                                         कवि : निरंजन कुमार , कक्षा : 2nd , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं निरंजन कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के निवासी है | निरंजन को पेंटिंग बनाने का बहुत शौक है और कभी कभी बड़े कला प्रतियोगिता में भी हिस्सा लेते है और उपहार भी जीतते हैं | निरंजन बहुत ही नेक बच्चा है जो सबकी बायत मानता है |

गुरुवार, 14 मार्च 2019

Poem : exam stress

Exam stress

Exam increase children's stress,
and not have time to little rest . 
we always thing to score good marks,
and not give our best .
it always deprive us,
and burdun of syllabus over right us . 
there is no any ways,
to reduce our stress . 
we can now give our best,
sometime we always use to play . 
which is only thing,
which keeps our mind on right way .

                                                                         Poet : Devraj kumar , Class : 9th, Apna Ghar


 Poet introduction : This poem is written by Apna Ghar' student Devraj Kumar . Devraj loves to write poems and then compose it . His traditional birth place is Bihar but his parent migrate to Kanpur in search of work as well as his child's future they work in brickfield . Devraj at beginning also work in that field but now he enrolled himself in education and he is the first one who is studying from his home.

कविता : जब गई ये ठंडी

" जब गई ये ठंडी "

धीरे से जब गई ये ठंडी,
तेज़ी से तब आई ये गर्मी |
जमीन हुए बर्फ़ में भी
पहुँचा गई नमीं |
मच्छरों ने किया हमला,
परेशां हुए हम सभी |
इनसे बचना मुश्किल है,
रजाई में भी घुस जाए ये |
तब धड़कते ये दिल है | |  
कानों में भी भन -भन करते,
सभी के दिल थम थम जाते | 
जानें ली इन्होने कई,
धीरे से जब गई ये ठंडी,
तेज़ी से तब आई ये गर्मी |

                                                                                                     कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के निवासी हैं और वर्तमान समय में अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक समीर ने बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | समीर को इसके अलावा गीत गाने का बहुत शौक है |  

कविता : हवाएँ कुछ कह रहीं हैं

" हवाएँ कुछ कह रहीं हैं "

ठंडी हवाएँ कुछ कह रहीं हैं,
मानों प्रकृति में मंद से बह रही हैं |
प्रकृति का सौंदर्य देता है साहस,
गर्मी मौसम में भी पहुंचता है राहत |
वक्त भी साथ रहता है,
पर यह कुछ नहीं कहता है |
हवाएँ कुछ हमें कह जाती है,
एक बार आती फिर चली जाती हैं |
हवा एक समंदर की तरह होता है,
एक डूब जाए वह वहीँ रह जाता है |

                                                                                               कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह है हैं प्रांजुल जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की मूल रूप से छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | प्रांजुल पढ़लिखकर एक अच्छे इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल को इसके अलावा पेंटिंग करना बहुत पसंद है | लोगों से बात करना और कोई मदद हो तो वो भी करना बहुत अच्छा लगता है | बड़ों से मिलकर बात करना और भविष्य के लिए बात करने का बहुत शौक है |


मंगलवार, 12 मार्च 2019

कविता : काले - काले बादल छा रहे हैं

" काले - काले बादल छा रहे हैं "

काले - काले बादल छा रहे हैं,
खिली कलियाँ भी मुरझा रहे हैं |
पत्तों से पानी यूँ टपक रहा है,
बादलों से पानी लगातार बरस रहा है |
पत्तों - घासों में हरियाली आ गई
मानों जीवन की खुशियाँ
बहार बनकर छ गई |
भरी महफ़िल की गर्मी
इन बूंदों में समां गई |
हरों पत्तों को खुशियां दे गई
कुछ ऐसा ही बारिश कर गई |


                                                                                                  कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह है अखिलेश जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | अखिलेश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अपनी कविता का शीर्षक हमेशा प्रकति से ही मिलती होती है | अखिलेश को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है |  

कविता : भुला न पाउँगा

" भुला न पाउँगा "

आँखों में तेरे आँसू न देख पाउँगा,
चाहत मैं तेरी भुला न पाउँगा |
दिल में मेरे दर्द है ऐसा,
तुमसे न छिपा पाउँगा |
तेरी इस तनहाई में
रातों की परछाई में |
तुम्हें याद करता हूँ,
कुछ गलत न हो यह फ़रियाद करता हूँ |
हवाएँ भी कुछ कहने लगी हैं,
तुम बिन सुना रहने लगी हैं |
आँखों में तेरे आँसू न देख पाउँगा,
चाहत मैं तेरी भुला न पाउँगा |

                                                                                                      कवि : विशाल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता विशाल कुमार के द्वारा लिखी गई है जो की मुख्या रूप से हरदोई जिले के निवासी है परन्तु अभी वह अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे है | विशाल को खाना बनाने का बहुत शौक है और वह फॉरेन डिश भी बना लेते हैं | विशाल को गीत लिखने जका बहुत शौक है |  

सोमवार, 11 मार्च 2019

कविता : एक तारा था

" एक तारा था "

जीवन में एक तारा था,
वर्षों से वो बहुत पुराना था |
मानों वह बेहद प्यारा था,
दुनियाँ में हंसी - ख़ुशी का तारा था |
वो छूट गया तो टूट गया गया,
कितने प्यारे उसके छूट गए |
टूटे तारे पर क्या शोक मनाता है,
जीवन की हंसी - ख़ुशी तारा समझाता है |
जीवन में एक तारा था,
वर्षों से वो बहुत पुराना था |

                                                                                                           कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के निवासी हैं | नितीश को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और अभी तक वह बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | नितीश को क्रिकेट खेलने का भी बहुत शौक है | नितीश को टेक्नोलॉजी में बहुत रूचि है और उसके लिए वह बहुत मेहनत करता है |

कविता : बन जाऊँ खिलाड़ी एक

" बन जाऊँ खिलाड़ी एक "

ख्वाइश थी मेरी एक,
कि बन जाऊँ खिलाड़ी एक |
पर मैं  न बन सका,
कोशिश करते करते थक चुका |
रोज़ सुबह जल्दी उठना,
फिर दो तीन किलोमीटर दौड़ना |
शरीर को न मिलता आराम,
हो गया था मैं बेकाम |
एक दिन ऐसा आया,
खिलाडी बनने का सपना भूल गया |
मैंने न सोची इसके बारे में,
जल सेना में जाना समझा ठीक |
ख्वाइश थी मेरी एक,
कि बन जाऊँ खिलाड़ी एक |



                                                                                                          कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता अपना घर के छात्र कुलदीप कुमार के द्वारा लिखी गई है जो की मूल रूप से छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | कुलदीप पढ़लिखकर जल सेना में भर्ती होना चाहते हैं | कवितायेँ लिखने के साथ ही साथ नृत्य करना भी बहुत पसंद है |

शनिवार, 9 मार्च 2019

कविता : बन गया मैं सुपरस्टार

" बन गया मैं सुपरस्टार "

जब मैंने गाया एक गाना सड़ा सा,
क्योंकि उस वक्त मैं लग रहा था मरा सा |
मेरी आवाज़ भी हो गई थी मुझसे खफा,
मेरी किस्मत ने भी दे दिया था मुझे धोखा |
पर मेरी आत्मा ने मुझे दिया हौशला,
पर वक्त ने भी मुझे बहुत ही कोसा |
पर मैंने नहीं मानी हार,
मैं जनता था मेरी मेहनत नहीं जाएगी बेकार |
आखिरकार मेरा सपना हो ही गया साकार,
बदल गया अब मेरा अकार |
क्योंकि बन गया मैं सुपरस्टार |

                                                                                                   कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह कविता समीर कुमार द्वारा लिखी गई है | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक वह अब तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके है | यह कविता उसने अपने आप पर लिखी है क्योंकि उसको गीत गाने का बहुत शौक है | समीर एक संगीतकार बनना चाहते है |

कविता : युवा है हम नहीं

" युवा है हम नहीं "

युवा है हम नहीं,
संघर्ष करने चले |
युवा को खुद ही पता नहीं,
और हम युवा बनने चले |
मेरे अंदर करने का जूनून है,
इस युवा में जो खौलता हुआ खून है |
मेरी जीत है आगे और
हम पीछे खड़े हैं |
वह राह है खून बौछारों वाली,
 मेरे अंदर आगे बढ़ने की क्षमता नही,
पर खून बहाने से डरता नहीं |
वह जीत थी मेरे देश के लिए,
मैं मरने गया देशवासियों के लिए |
खून की नदियाँ बाह रही थी अनंत,
वह थे स्वामी विवेकानद |
युवा है हम नहीं,
संघर्ष करने चले |

                                                                                                     कवि : रविकिशन , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता रविकिशन के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिला के रहने वाले हैं | रविकिशन अपनी पढ़ाई अपना घर संस्था में रहकर पूरी कर रहे हैं | रविकिशन को खेलना बहुत पसंद है | रविकिशन ज्यादा कवितायेँ नहीं लिखते परन्तु जब लिखते है तो बहुत ही रोचक कविता लिखते हैं |

शुक्रवार, 8 मार्च 2019

कविता : हिंदी भाषा

" हिंदी भाषा "

हिंदुस्तान में पली बड़ी है हिंदी,
देश के हर गली में है हिंदी |
जिह्वा के हर कण में है हिंदी,
मातृ भाषा के हर शब्दों में है हिंदी |
देश की शान बढ़ाता है हिंदी,
जन -जन की पहचान बनाता है हिंदी |
मातृ रूपी भाषा है हिंदी,
शब्दों को जानने की अभिलाषा है हिंदी |
यह हिंदी भाषा का बहार है,
इस भाषा में शब्दों का भण्डार है |
हिंदी की लालिमा को जानो,
हिंदी के अक्षरों को पहचानो |
हिंदी में बिंदी लगाए रखना,
हिंदीं की शान बढ़ाए रखना |
                                                                                                                 कवि : प्रांजुल , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जिन्होंने यह कविता लिखी है | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | प्रांजुल एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल को छोटे बच्चों को पढ़ाने में बहुत मजा आता हैं | पढ़लिखकर परिवार वालों की मदद करना चाहतें हैं |

कविता : आया महीना परीक्षा का

" आया महीना परीक्षा का "

आया महीना परीक्षा का,
समय है पढ़ने और लिखने का |
सभी तैयारी कर रहें हैं,
दिन और रात एक कर रहे हैं |
सबको है घर जाने की चिंता,
पढ़कर बन गया मैं रठा |
एक दिन अवकाश है मिलता,
न कर पाते उसमें हम चर्चा |
सुबह हम करते हैं याद,
शाम को करते है काम |
आया महीना परीक्षा का,
समय है पढ़ने और लिखने का |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी है | कुलदीप के माता - पिता गृह निर्माण का कार्य करते हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कुलदीप क्रिकेट भी बहुत अच्छा खेल लेते हैं

सोमवार, 4 मार्च 2019

कविता : कविता कितना खुछ कह जाती है

" कविता कितना खुछ कह जाती है "

ये कविता कितना खुछ कह जाती है,
हर वीर में हौशला भर जाती है |
एक भटकते इंसान को नेक राह पर ले जाती है,
ये कविता भी कितना कुछ कह जाती है |
हर एक वीर को लड़ने के प्रति जूनून देती है,
हर ममता को अपने बेटे से प्यार होता है |
जैसे किसान को अपने फसल पर नाज़ होता है,
हर एक रोते बच्चे को जितना
कुछ हँसी के भाव प्रकट कर जाती है,
ये कविता भी कितना कुछ कह जाती है | |

कवि : संजय कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं संजय जो की झारखण्ड के निवासी है | संजय कानपुर में आशा ट्रस्ट नाम के संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | संजय को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | संजय क्रिकेट भी बहुत अच्छा खेल लेते हैं |

कविता : आंसुओं को रोक नहीं सकते

" आंसुओं को रोक नहीं सकते "

आंसुओं को वो गम दे जाते हैं,
पर आंसुओं को रोक नहीं सकते |
दर्द जो दिल का होता है
वो आंसुओं में बह जाते हैं |
दर्द तो आँखों में होता है,
जो हसरत से भी ज़्यादा भरी है |
गम तो आंसुओं में है,
जो हसरत में बह जाती है |
आँखों में तो नमीं है,
जो बदल सकती हैं रहे |
हसरत की भी आँसूं है,
उसे रोक नहीं सकते |

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं सनी जिन्होंने यह कविता लिखी है सनी बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | सनी को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है और वह कानपुर की टीम से भी खेल चुके हैं | सनी बहुत अच्छे हैं पढ़ाई में |


रविवार, 3 मार्च 2019

कविता : अलविदा कह चले

" अलविदा कह चले "

लड़ते लड़ते जो मर गए,
अपने परिवार की परवाह न करके |  
संसार को जो अलविदा कह चले,
अपने जिंदगी की न थी परवाह |  
जिन्होंने दे दिया देश के लिए बलिदान,
वह थे भारत सेनानी के नवजवान |
जिन्होंने न अपनेआप और देश के लिए बगावत,
हँसते हँसते मर गए इस देश के लिए |  
वह थे भारत अमर जवान के देशवाशी | |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह है विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के निवासी है | विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और अभी तक इन्होने बहुत सोइ कवितायेँ लिख चुके हैं | विक्रम को पढ़ना भी बहुत अच्छा लगता है और वह पढ़लिखकर रेलवे इंजीनियर बनना चाहते हैं |

शुक्रवार, 1 मार्च 2019

कविता : सबक सिखाना है

" सबक सिखाना है "

जान हथेली पर लेकर,
चले जा रहे थे कश्मीर |
जैसे पहुंचे पुलवामा गांव पर
हुआ धमाका वहाँ पर |
बचने की न थी कोई ख्वाइश,
चल बसे दुनिया से ये शाहिर |
अपने को मार कर,
खुद हो गया शहीद  |
इसका बदला हमें चुकाना है,
आतंकवादी को सबक सिखाना है |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर