शनिवार, 9 मार्च 2019

कविता : युवा है हम नहीं

" युवा है हम नहीं "

युवा है हम नहीं,
संघर्ष करने चले |
युवा को खुद ही पता नहीं,
और हम युवा बनने चले |
मेरे अंदर करने का जूनून है,
इस युवा में जो खौलता हुआ खून है |
मेरी जीत है आगे और
हम पीछे खड़े हैं |
वह राह है खून बौछारों वाली,
 मेरे अंदर आगे बढ़ने की क्षमता नही,
पर खून बहाने से डरता नहीं |
वह जीत थी मेरे देश के लिए,
मैं मरने गया देशवासियों के लिए |
खून की नदियाँ बाह रही थी अनंत,
वह थे स्वामी विवेकानद |
युवा है हम नहीं,
संघर्ष करने चले |

                                                                                                     कवि : रविकिशन , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता रविकिशन के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिला के रहने वाले हैं | रविकिशन अपनी पढ़ाई अपना घर संस्था में रहकर पूरी कर रहे हैं | रविकिशन को खेलना बहुत पसंद है | रविकिशन ज्यादा कवितायेँ नहीं लिखते परन्तु जब लिखते है तो बहुत ही रोचक कविता लिखते हैं |

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