रविवार, 3 मार्च 2019

कविता : अलविदा कह चले

" अलविदा कह चले "

लड़ते लड़ते जो मर गए,
अपने परिवार की परवाह न करके |  
संसार को जो अलविदा कह चले,
अपने जिंदगी की न थी परवाह |  
जिन्होंने दे दिया देश के लिए बलिदान,
वह थे भारत सेनानी के नवजवान |
जिन्होंने न अपनेआप और देश के लिए बगावत,
हँसते हँसते मर गए इस देश के लिए |  
वह थे भारत अमर जवान के देशवाशी | |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह है विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के निवासी है | विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और अभी तक इन्होने बहुत सोइ कवितायेँ लिख चुके हैं | विक्रम को पढ़ना भी बहुत अच्छा लगता है और वह पढ़लिखकर रेलवे इंजीनियर बनना चाहते हैं |

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