शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

कविता : पल भर की है अपनी जिन्दगी

" पल भर की है अपनी जिन्दगी "

पल भर की है अपनी जिन्दगी,  
कल का वेट मेट कर अभी | 
क्या पता ये होगा या नहीं,  
खुल कर जिओ तुम सभी | 
हर मिनट का इंतज़ार करता हूँ,  
क्या होगा ये अनुमान करता हूँ | 
बस पुराणी यादों से सहमा रहता हूँ,  
उसी को देखकर जिन्दा रहता हूँ | 

कवि : प्रांजुल ,  कक्षा : 9th ,   अपना घर 

                                                                                 


कवि परिचय : यह है प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल कविताएं बहुत ही अच्छी लिखते हैं और अपनी कविता से लोगो को को प्रेरणा देते हैं | प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल को बच्चो को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है | 

बुधवार, 22 अगस्त 2018

कविता : ये तूने क्या किया

" ये तूने क्या किया "

ये तूने क्या कर दिया, 
अपने दोस्त को मार दिया | 
माँ कहती है जाओ स्कूल, 
स्कूल जाना जाते हो भूल | 
स्कूल में पढ़ना तुम जी के, 
पर तू देखता है पी के | 
माँ को धमकी दिया, 
ये तूने क्या किया | 
शराब पीकर आता है तू, 
सबको गाली देता है तू  |  

कवि : महेश कुमार,  कक्षा : 4th ,  अपना घर 

कवि परिचय : यह है महेश जो की मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं | यह महेश की पहली कविता है जिसको इन्होंने लिखा है | अभी इस कविता में वैसी बात नहीं जो होनी चाहिए लेकिन महेश की शुरुआत यहीं से हुई है हमें आशा है की महेश आगे चलकर एक महान कविकर बनेंगे |  

शनिवार, 18 अगस्त 2018

कविता : ये जिंदगी फिर क्या जिंदगी है

" ये जिंदगी फिर क्या जिंदगी है "

मैंने एक देश में देखा ऐसा, 
जहाँ कानून को कर रहे थे 
लोग ऐसे को तैसा | 
हर कानून को तोड़ रहे थे , 
झूठ को सच साबित कर रहे थे | 
जात - पात के नाम पर लड़ रहे थे,  
एक दूसरे को कम नहीं समझते थे | 
हर जुल्म -अत्याचार कर रहे थे, 
अपने देख को ही बर्बाद, 
 करने पर तुले रहते है |  
अपने जिंदगी को जीने का,  
कोई लक्ष्य नहीं होता है |  
बस अपने आप को न समझ के,  
बराबर जिंदगी जिए जा रहे थे | 
ये जिंदगी फिर क्या जिंदगी है,  
जो बेमतलब की जिंदगी है | 

कवि : विक्रम कुमार ,  कक्षा : 8th ,  अपना घर 

                                                                                   

कवि परिचय : यह हैं विक्रम जो की बहुत ही अच्छे कविकार हैं और कविताएं भी बहुत ही अच्छे लिखते हैं | विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं और अपना घर  में रहकर  अपनी पढ़ाई कर  हैं | विक्रम को पढ़ाई करना बहुत अच्छा लगता है | 

गुरुवार, 16 अगस्त 2018

कविता : गुरु का ज्ञान

" गुरु का ज्ञान "

अँधेरे में हर व्यक्ति घबराते हैं, 
गुरु की ज्ञान पाने वाला व्यक्ति | 
जीवन में अवश्य सफलता पाता है, 
गुरु की ज्ञान से उजाला हो जाता है | 
जीवन के हर मुसीबत में, 
गुरु का ज्ञान ही काम आता है | 
अँधेरे में छिपी हुई एक मोमबत्ती, 
जलने के लिए बेताब रहती है | 
किसी गरीब व्यक्ति की मदद के लिए, 
जिंदगी में  रोशनी डालने की जरूरत होती है  | 

कवि : ओमप्रकाश ,  कक्षा : 7th ,  अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं ओमप्रकाश जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | ओमप्रकाश को डांस करना बहुत अच्छा लगता है और मशीन को ठीक करना भी सीखा है | ओमप्रकाश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | 

बुधवार, 15 अगस्त 2018

कविता : मिलकर एक दुनियाँ बनाएँ

" मिलकर एक दुनियाँ बनाएँ "

आओ मिलकर एक ऐसी दुनियाँ  बनाएँ ,
जिसमें कोई भेद - भाव नहीं हो | 
हर कोई हंसी और ख़ुशी से जीते हो ,
कोई हिन्दू - मुश्लिम न कहलाते हो  | 
आओ मिलकर एक ऐसी दुनियाँ बनाएँ, 
जिसमें कोई गरीब अमीर नहीं होता | 
हर कोई एक दूसरे के साथ रहता,  
कोई भी जाति  धर्म नहीं  होता | 
हर एक त्यौहार को मिलकर मनाते, 
आओ मिलकर एक ऐसी दुनियाँ बनाएँ |  

कवि : रविकिशन ,  कक्षा : 9th ,  अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं रविकिशन जो की बिहार के रहने वाले हैं और बहुत ही हसमुख चेहरे के हैं | रविकिशन बड़े होकर एक राष्ट्रपति बनना चाहते हैं | रविकिशन को राजनितिक में बहुत ही रूचि हैं | रविकिशन पढाई में बहुत अच्छे हैं | रविकिशन की कवितायेँ बहुत ही अच्छी होती हैं | 

मंगलवार, 14 अगस्त 2018

कविता : छोटी सी जिंदगी हमारी

" छोटी सी जिंदगी हमारी"

छोटी सी जिंदगी हमारी,
कुछ कर जाने की चाह हमारी | 
जमीं आसमां एक कर जाएंगे,
दुनिया को हम कर दिखलायेंगें | 
कोशिश हम हमेशा करते रहेंगे,
अपने लक्ष्य को छूते  रहेंगें  | 
ये तो सपना है हमारा,
घूमेंगें हम ये दुनिया सारा | 
छोटी सी जिंदगी हमारी | | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 
                                                                                

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को डांस करने का बहुत शौक है और क्रिकेट खेलना का भी शौक है |  कुलदीप को कविताएं  का बहुत शौक है और अभी तक इन्होंने बहुत सारी कविताएं लिख चुके हैं | कुलदीप बड़े होकर एक नेवी पुलिस ऑफिसर बनना चाहते हैं | 

सोमवार, 13 अगस्त 2018

कविता : ख्वाबों में एक चाह है

" ख्वाबों में एक चाह है "

ख्वाबों में एक चाह है, 
जिसको पूरा करना है | 
ख्वाबों की हर  एक बात ,
उसे सच कर दिखाना है | 
मुश्किलों से नहीं डरना है,
                                                               आगे ही आगे चलना है | 
                                                               रुकना नहीं है यहाँ मुझे,
                                                            जब तक मंजिल न मिले मुझे | 
                                                           नाकामियों से नहीं घबराऊँगा, 
                                                           अपनी मंजिल पाकर ही रहूँगा | 

कवि : नितीश कुमार ,  कक्षा : 8th ,  अपना घर 

                                                                               

कवि परिचय : यह हैं नितीश जो की बिहार के रहने वाले हैं | नितीश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | नितीश को मशीनो से बहुत लगाव है और उनको मकेनिकल का काम करना बहुत अच्छा लगता है | 

कविता : बालगोपाला

" बालगोपाला "

लल्लन के लाल,  बालगोपाल,
यशोदा का नटखट नन्दलाल |
 पूरे मथुरा में बजाता है मुरली,
बन्सी से निकलती आवाज़ सुरीली |
मन को मोह लेने वाला,
मथुरा का बालगोपाल |
सुदामा संग चुराता माखन,
अद्भुद प्यारा था वो बचपन |
गौ चराता  मुरली बजाता,
राधा संग प्रेम के नैन लड़ाता |
गोपाल तो था बहुत काला,
फिर भी था एक सच्चा दिलवाला | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

                                                                             

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल पढ़ लिखकर एक अच्छे इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल कवितायेँ बहुत अच्छी लिखते हैं | पढ़ने में बहुत अच्छे होने के साथ ही छोटे बच्चों को भी पढ़ाते हैं | 
 

बुधवार, 8 अगस्त 2018

कविता : पूर्व दिशा से मानसून है आई

" पूर्व दिशा से मानसून है आई "

पूर्व दिशा से मानसून है आई,
साथ में अपनी बारिश है लाई |
बारिश तब बरस रहा था,
इंसान जब तरस रहा था |
एक्सिस अमाउंट में बरसा पानी,
कानपुर ने की है मनमानी |
जगह जगह सब भर डाला,
फिर भी मौसम है काला |
सुबह से लेकर शाम तक बरसा,
बहार जाने के लिए  इंसान तरसा |
फिर भी इंसान को जानी है,
साथ में बारिश लानी है | 

कवि : प्रांजुल कुमार, कक्षा : 9th , अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर कक्षा 9 में पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | बड़े होकर एक अच्छे इंसान के साथ इंजीनियर बनना चाहते है | छोटों बच्चों की मदद करना बहुत अच्छा लगता है | 

रविवार, 5 अगस्त 2018

कविता : काश बारिश हो

" काश बारिश हो "

आशा है मुझे , बारिश होगी,
आशा है मुझे , कुछ नया होगा |
देखने में लगता है कुछ खास,
ये बादल रुक जाए काश |
जहाँ भी जाऊँ बादल हो साथ,
मेरे चारों तरफ हो जाए बरसात |
बारिश की बूंदों को मैं देखूँ,
बारिश  को मैं महसूस करूँ |
उछल कूदकर खूब नहाऊँ,
इतना पानी हो की मैं डूब जाऊँ |
काश बारिश यहीं पर हो,
खुदा से यही दुआ मनाऊँ | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं नितीश जो की बिहार के रहने वाले हैं | नितीश को टेक्नोलॉजी  में बहुत रूचि है | नितीश कवितायेँ लिखने में माहिर है | नितीश बड़े होकर अपने समाज और घर वालों की मदद करना चाहते हैं | 

शनिवार, 4 अगस्त 2018

कविता : सपथ ली है

" सपथ  ली है " 

भारत को देखो यह देश है कैसा ,
 इसमें नीति है यह देश है ऐसा | 
जब तक गाँधी जी की साँस थी ,
तब तक भारत को आज़ाद कराया | 
भारत में जब अंग्रेज़ थे ,
तो यह भारत बंधी था | 
जब गाँधी जी भारत में आए ,
तो भारत को आज़ाद कराया | 
लोग आज़ादी का सपना देखते थे ,
नए सपने सजाने की कोशिश करते थे | 
देश के वीर जवानों ने क़ुरबानी दी है , 
हमने देश को स्वच्छ बनना की सपथ ली है | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th  , अपना घर 

                                                                                       

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कक्षा 4 से कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया था | बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल छोटे बच्चों की बहुत मदद करते हैं | 

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

कविता : डरपोक का डर

" डरपोक का डर "


डरपोक का एक सपना,

सपने में हुई एक घटना |
घटना थी काफी खास ,
बिस्तर में पड़ी थी एक लाश |
लाश से वह डर रहा था ,
बिस्तर से दूर हट रहा था |
जब बिस्तर का आया किनारा,
तब उसको न मिला कोई सहारा | 
जब बिस्तर गिरा धड़ाम,
डरपोक के मुँह से निकला है हाय  राम | 
न उसके बिस्तर में कोई लाश था, 
ये तो केवल डरपोक का सपना था | 

नाम : ज्ञान कुमार , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं ज्ञान जो कि अपनाघर के पूर्व छात्र हैं | ज्ञान अपनाघर के सबसे पुराने छात्र है जो सन 2015 में इन्होने अपना कक्षा 12 की परीक्षा में अच्छे अंक से पास किया | 

कविता : ऐसा दिन है हमारा

" ऐसा दिन है हमारा "

यह ऐसा दिन है हमारा, 
हर साल आता है यह दिन दोबारा | 
कैसे कहें हम उनकी बात, 
सोच में पड़ जाओगे सारी रात | 
इस दिन तीन देश भगतों, 
की चली गई थी जान | 
ज़रा भी अंग्रेजों ने उन लोगों, 
पर किया नहीं दयावान | 
यह ऐसा दिन है हमारा, 
हर साल आता है यह दिन दोबारा  | 

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं देवराज जो कि बिहार के रहने वाले हैं | देवराज को डांस करना बेहद पसंद है कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं और बड़े होकर एक रासायनिक के शिक्षक बनना चाहते हैं | 

गुरुवार, 2 अगस्त 2018

कविता : मदारी

" मदारी "

मदारी है, यह मदारी है,
बड़ा ही चालक मदारी है | 
साथ में बंदर भालू लाता,
उसको खूब नचाता है | 
नाच देखकर जनता वश 
में हो जाता है, 
फिर मदारी उनसे पैसा 
और आटा मँगवाता है | 
देखो इस मदारी को, 
संग में जानवर लाया है | 
जानवर को नचाकर पैसा लेता है, 
और जानवरों को कुछ नहीं देता है | 
मदारी है ,यह मदारी है, 
बड़ा ही चालक मदारी है | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th ,अपना घर


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल कुमार जो  कि छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | इनकी कवितायेँ बहुत रोमांचकारी होती है | छोटों बच्चों की मदद करना बहुत अच्छ लगता है 

बुधवार, 1 अगस्त 2018

कविता : छुट्टियों के दिन

" छुट्टियों के दिन "

छुट्टी का दिन आया है, 
मस्ती लेकर आया है | 
दिन में करेंगें खूब मस्ती ,
                                                              घूमेंगे अपने गांव की बस्ती | 
स्कूल की छुट्टियाँ अब हो गया, 
मुन्ना राजा कब सो गया | 
गर्मी भी तो जाती है, 
छुट्टी को साथ ले जाती है  | 
तब स्कूल भी खुल जाएंगें,
और हम पढ़ाई में बंध जाएंगें | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th ,  अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर कक्षा 9 की पढाई कर रहे हैं | प्रांजुल जब कक्षा 4 में थे तभी से कवितायेँ लिखनी शुरू कर दी थी और आज वह एक अच्छे कविकार  बन गए हैं | प्रांजुल एक इंजीनियर बनना चाहते हैं |