" नव वर्ष के पावन अवसर पर युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक कविता "
एक था आर .टी .ओ . का दलाल ।
शराबी भी था और शौक़ीन भी ।।
दलाली का पैसा कमाना जिसका था शगल ।
जिसे न परिवार की चिंता थी न समाज की ।।
बस रहता था नशे में मस्त ।
पर एक दिन की घटना ने जिसकी बदल दी अक्ल ।।
फिर आर .टी .ओ . की दलाली से निकला एक आर .टी .ओ . कार्य करता ।।
नशे की लत छूटी और शौकीनों ने समाज सेवा का रूप ले लिया ।।
जूनून ऐसा की हाथ आर .टी . आई . आवेदन लिखते - लिखते थकते नहीं और मुंह से आर .टी . आई . के लिए आवाज बंद होती नहीं ।
स्वास्थ विभाग हो या फिर राशन विभाग शंकर सिंह का आर .टी . आई . का आवेदन आपको जरूर मिलेगा ।।
डी . एम . हाउस से लेकर पीएम हाउस तक शंकर सिंह के नाम की चर्चा है ।
कहते है किसी भी विभाग से सूचना दिलाने का ताकत रखता है ये बंदा ।।
पर जिंदगी का भी खेल देखिये साथियों ।
समाज के लिए लड़ने वाले के घर में रोटी -दाने का इंतजाम करने वाला कोई नहीं ।।
बीमार बच्चे के इलाज की भी कोई व्यवस्था नहीं ।
एक समय ऐसा भी आर्थिक कंगाली से जूझ रहे परिवार के भरण पोषण का भी कोई इंतजाम नहीं ।।
ऐसे में जिंदगी ने दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया जहाँ,
एक तरफ फिर से वही आर .टी .ओ .की काली कमाई और दलाली का स्वर्ग थ।।
तो दूसरी तरफ मेहनत और ईमानदारी की आलू की ठिलिया का गर्व था।
साथियों एक आम आदमी की नैतिकता और इंसानियत की अनूठी मिसाल देखिये ,
घोर विपत्ती के समय में भी इस आठवी पास व्यक्ति ने ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ा।।
और आर .टी .ओ .की दलाली का रास्ता ठुकराकरए आलू की ठिलिया से नाता जोड़ा।
जीवन के इस कठिन मोड़ पर भी शंकर सिंह ने आर .टी .आई .से मुंह न मोड़ा।।
और अपनी आलू की ठेलिया से आर .टी .आई .की मुहीम को फिर छेड़ा।
दिन में आलू बेचना तो रात रात भर जागकर आर .टी .आई . आवेदन लिखना।।
यहाँ तक कि हर आलू खरीदने वाले को आर .टी .आई .का इस्तेमाल करना भी सिखाना।
इसे शंकर सिंह का जूनून ही कहेंगे जिसने उन्हें आलू की ठिलिया से "जनता सूचना केंद्र " तक पहुँचाया।।
आज वे एक बार फिर अपने इस "जनता सूचना केंद्र" के माध्यम से कमजॊर और असहाय लोगो के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहें हैं।
शायद किसी ने सच कहा है -
"कुछ करने का जूनून रखने वाले अपनी मंजिल खुद -बा -खुद बना लेते हैं।"
शंकर सिंह के इस जज्बे और जूनून को कोटि कोटि सलाम ......................
शंकर सिंह के इस जज्बे और जूनून को कोटि कोटि सलाम ......................
(साथियों यह कविता प्रसिद्ध आर .टी .ओ .कार्यकर्ता शंकर सिंह के जीवन से प्रेरित है।)
के .एम .भाई
मोबाइल नंबर -8756011826
विथ शंकर सिंह .