शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

कविता : अच्छे काम करना सीखो

 अच्छे काम करना सीखो 

अच्छे काम करना तुम सीखो ,
दुश्मन को दोस्त बनाना तुम सीखो.....
काटों में चलना तुम सीखो,
न किसी से बैर करना सीखो..... 
साथ में रहना तुम सीखो,
किसी से लड़ना मत सीखो.....


लेखक : चन्दन कुमार 
कक्षा : ६
अपना घर 

रविवार, 25 दिसंबर 2011

अधूरी कविता

कविता -अधूरी कविता 
 कविता अब बन नहीं रही हैं,
 शब्द कोई मिल नहीं रहे .....
 जब बैठता हूँ मैं कविता लिखने,
 तो मन मचल उठता हैं कही और.....
 सोचा मैंने देख लूँ कुछ पुरानी कविताये,
सीख लूँ कुछ उनसे जान लूँ कुछ उनसे ....
 नहीं आया समझ में कुछ ,
 तो लिख  डाला ......
 कुछ टूटे फूटे शब्दों से,
 फिर एक अधूरी कविता......
लेखक - ज्ञान कुमार 
 कक्षा - ८ अपना घर ,कानपुर

शनिवार, 24 दिसंबर 2011

स्त्री

कविता - स्त्री 
 स्त्री को समाज में क्यों बुरी नजर से देखा जाता हैं ,
 क्यों उन्हें घरो में मारा पीता जाता हैं ......
 क्या यही हमारी सभ्यता हैं ,
 क्यों लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता हैं......
क्या मरना ही हमारा विकल्प हैं ,
 लेकिन स्त्री प्रत्येक कामो में आगे हैं..... 
 क्यों न वो खेल हो या शिक्षा ,
 उनका प्रत्येक कार्यो में दबदबा हैं......
 इस समाज को अपनी सोच बदलनी चाहिए,
 स्त्री को माँ की तरह समझाना चाहिए .....
 लेखक - मुकेश कुमार 
 कक्षा - १० अपना घर ,कानपुर

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

कविता - गलती

कविता - गलती 
 गलती  करते हैं सभी   ,
 इस संसार में ....
 गलती से आगे बढते हैं सभी,
 इस संसार में ......
 जो करता हैं गलती,
 इससे कुछ सीखता हैं हर व्यकित.......
 जो न सीखे कर के गलती  ,
 वो भोगे खाकर दुलत्ती .......
 हर प्रकार की गलती अच्छी नहीं होती हैं,
 हर गलती सजा लायक नहीं होती ......
 हर गलती पर माफ़ नहीं किया जा सकता ,
 हर गलती को समझकर साफ किया  .....
 नहीं जा सकता .....
 लेखक - सोनू कुमार 
 कक्षा - १० अपना घर ,कानपुर

गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

कविता : शोर

 शोर 

देखो शोर सुन लो शोर !
सुबह-सुबह चिड़ियों का शोर !!
सुन लो घर में बच्चों का शोर !
हर तरफ शोर ही शोर !!
स्कूल जाते समय वाहनों का शोर !
कक्षा में हैं बच्चों का शोर !!
टीचर डांटें तो उसका शोर !
चारो ओर शोर ही शोर !!

लेखक : हंसराज कुमार 
कक्षा : 8 
अपना घर  

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

कविता : अधूरी कविता

 अधूरी कविता 

कविता अब बन नहीं रही !
शब्द अब कोई मिल नहीं रहे !!
जब बैठता हूँ मैं कविता लिखने !
तो मन मचल उठता है कहीं और !!
सोचा मैने देख लूँ कुछ पुरानी कवितायेँ !
सीख लूँ कुछ उनसे जान लूँ कुछ उनसे !!
नहीं आया समझ में कुछ !
तो लिख डाला !!
कुछ टूटे-फूटे शब्दों से !
फिर एक अधूरी कविता !!

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 
 

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

कविता - जीवन

कविता - जीवन 
 जीवन का मार्ग मिला हैं,
जिन्दगी के लिए निकल पढ़े ....
जीवन की डोर पकड़ कर समुद्र की गहराई में गया ,
 वहां देखा तो सब नया नया सा था ....
यह  सब देखकर परेशान तो नहीं हैरान था ,
 फिर भी साहस के साथ आगे बड़ा ....
हीरे मोतियों का  ढेर लगा ,
जीवन के मार्ग मिला हैं....
 जिन्दगी के लिए निकल पढ़े ,
 तुफानो के झोंके से गिर कर उठ गए  ....
यूँ बना  ध्रुव नाम का एक तारा,
 जो लगता है  सबको प्यारा  ....
 जीवन का मार्ग मिला हैं ,
 जिंदगी के लिए निकल पढ़े  ....
नाम :अताउल्लाह 
कक्षा :10 
प्रयास आई० आई० टी०,कानपुर 

शनिवार, 10 दिसंबर 2011

कविता - शोर

कविता - शोर 
 शोर -शोर में ,
सब हो गए बोर.....
 कहने लगे बंद करो ये शोर,
 बंद हुआ जब मुख का शोर .....
 शुरू  हो गया मोबाइल का शोर ,
 शोर -शोर में .....
 सब हो गए बोर ,
बनाना पड़ेगा कोई ऐसा फोन.....
 जिससे हो न कही शोर ,
 लोग भी न हो बोर.....
करे हम सब ऐसा विचार,
जिससे बन जाये ऐसा टेलीफोन........
लेखक - अशोक कुमार 
 कक्षा -९ अपना घर ,कानपुर

कविता : सर्दी

 सर्दी 
पड़ने लगी है अब सर्दी ,
सर्दी ने तो है हद कर दी.....
पड़ने लगा कोहरा अचानक,
दूसरे दिन से शुरु सर्दी भयानक ....
अब तो बस सबको भाई ,
 भाती है बस रजाई......
निकाल लिए हैं कपडें गरम,
कोई है गरम तो कोई नरम.......
ठंडे-ठंडे इस पाने से,
लगता है अब सबको डर....
लेकिन इसका उपयोग तो ,
होता है घर-घर  ......


लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9 
अपना घर 
 

कविता - बात

कविता - बात 
 एक बार की बात हैं  ,
 यह बात कुछ खास हैं....
 जब भी आती हैं ठण्डी ,
 तो कपड़ो की लग जाती हैं मंदी ....
अगर ठण्डी से सबको बचना ,
 तो मोटे कपड़ो से तन हैं ढकना.....
 एक बार की बात हैं ,
 यह बात कुछ खास हैं......
 लेखक - ज्ञान कुमार 
 कक्षा - ८ अपना घर ,कानपुर

कविता : हमारा ब्रह्माण्ड

 हमारा ब्रह्माण्ड 
क्या-क्या है इस ब्रह्माण्ड में,
सोंच कर होता है आश्चर्य......
क्या होगा इस ब्रह्माण्ड के बाहर,
इन बातों को सोचकर होता आश्चर्य.....
क्या कहीं और भी है दुनियाँ,
कैसे होगें लोग वहां के.....
कैसा होगा उनका जीवन,
आश्चर्य होता ये बातें जानकार.....
क्या है ये अपना ब्रह्माण्ड ,
बड़ी आजीब है इसकी कहानी.......
क्या-क्या है इस ब्रह्माण्ड में ,
यह बात हमनें कब जानी .....
 लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर    

तारे और सितारे


कविता -तारे और सितारे 
 रात में तारे ,
 दिन में सितारे.....  
 कहाँ से आते हैं ,
कौन हैं इनको लाते.....
 यदि पता चले हमको ,
 तारे सितारे तोड़ के बांटू  सबको.......
 चाहे दिन हो या हो रात  ,
 न करने देगे चंदा सूरज से बात......
 जब मन करेगा तब उनको निकालेगे,
 जहाँ अँधेरा होगा वहां उजाला कर देगे......
 लेखक - आशीष कुमार 
कक्षा - ९ अपना घर, कानपुर 

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

कविता : मन

मन
मन क्यों मचलता है,
जाने किधर चलता है .....
हर समय ये मन,
कुछ न कुछ करता है .......
जहाँ कहीं कुछ होता ख़ास ,
मन करता जाने को पास .....
जहाँ पुराना कुछ भी देखें ,
मन न जाने क्यों होता उदास ......
मन हमेशा कहता है ,
सबसे अलग कुछ करने को .......
मगर ये आलस कहता है,
बस करो अब रहने दो ......
मन क्यों मचलता है ,
जाने किधर चलता है ......
हर समय ये मन ,
कुछ न कुछ करता है  ......

लेखक : सोनू कुमार 
कक्षा : 10 
अपना घर