शुक्रवार, 31 मई 2019

कविता : छुट्टी

" छुट्टी "

जब छुट्टी हुई स्कूल से,
खूब खेल रहे थे धूल से |
हो गई बड़ी भूल हम से,
मम्मी ने मना किया था खेलना धूल से |
जब छुट्टी हुई स्कूल से | |
पढ़ाई का कोई नाम नहीं,
करने को कोई काम नहीं |
बस खेलते रहते दोपहर से शाम,
यही था छुट्टी का इनाम |
नाम : सनी कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सनी के द्वारा लिखी गई है बिहार के निवासी हैं | सनी कक्षा 5th का छात्र है जिसके अंदर कवितायेँ लिखने की रूचि है | सनी   बहुत ही हसमुख बालक है | सनी को लोगों को हँसाने बहुत मज़ा आती है |

गुरुवार, 30 मई 2019

कविता : गर्मी

गर्मी

गर्मी आई ,गर्मी आई,
संग में कड़ाके की धूप लाई |
गर्मी में धूप से पसीना आई,
गर्मी आई ,गर्मी आई |
गर्मी में फल भी आई,
गर्मी से ठण्डी भी भागी |
गर्मी में पैंट पहन लो भाई,
गर्मी से बचकर रहो मेरे भाई |
बर्फ ,कुल्फी और तरबूज खाओ,
इस कड़ाके की गर्मी का लुफ्त उठाओ |
नाम : नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता नवलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | नवलेश बहुत ही हसमुख है और कवितायेँ लिखने में बहुत रूचि रखता है | नवलेश को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है और कविता लिखना भी  बहुत पसंद है |  नवलेश के माता - पिता ईंट भठ्ठों में ईंट पथाई का काम करते हैं |

बुधवार, 29 मई 2019

कविता : चन्दा मामा की बात

" चन्दा मामा की बात "

सो रहे थे जब छत पे हम,
गिन रहे थे तारे को |
तभी कुछ देर बाद आ गए,
चन्दा मां सुलाने को |
तारे बोले अभी तुम न सोना,
अभी करना है कुछ काम |
फैलो जग में इतना,
ताकि हो तुम्हारा नाम |

ये सब सुनकर गुस्से से बोला चन्दा मामा,
सो जा बालक |
नहीं तो भइया कराएंगे तुम से ड्रामा,
यह सुनकर हम ने बोला चुप हो जा मामा |
आज नहीं यह बात हमको कल बताना | |  

तारों की बात मान कर जगे रहे साडी रात,
और चंदा मामा से कभी नहीं करते बात |  
क्यों कहते थे,
सो जा बालक सारि रात |

नाम : कामता कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कामता के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के नवासी हैं | कामता को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कविता लिखते हैं | कामता को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है | पढ़लिखकर एक नेवी ऑफिसर बनना चाहतें हैं |

रविवार, 26 मई 2019

कविता : जाति -धर्म

" जाति -धर्म "

जाति - धर्म मैं क्या जानूँ,
सभी को मैं भाई - बहन मानूँ |
अल्लाह - ईश्वर है एक,
फिर भी बैर रखते हैं लोग अनेक |
रगों में रंग है ताली का,
फिर भी बैर है गोरी और काली का |
अल्लाह ईश्वर एक सामान,
वही खून वही भगवान |

नाम : नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

गुरुवार, 23 मई 2019

कविता : एक बात

" एक बात "

बैठा था जब मैं खिड़की के पास,
सोच रहा था बैठ एक बात |
जब आया वह खेल याद,
खेल रहा था मैं दिन - रात |
हार गया तो क्या हुआ,
लेकिन जीतूँगा मैं भी एक बार |
चोट लगी तो क्या हुआ,
मेहनत करना है एक साथ |
चला गया मैं पृथ्वी से पार, 
बैठा था जब मैं खिड़की के पास |

नाम : सुल्तान कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की कक्षा 5 के विद्यार्थी है | सुल्तान मूल रूप से बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं और वर्तमान समय में अपना घर नामक संस्था में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | सुल्तान को खेलना बहुत अच्छा लगता है |

शनिवार, 18 मई 2019

कविता : हँसी तो सभी को आती है

" हँसी तो सभी को आती है "

हँसी तो सभी को आती है,
लेकिन वह हँस नहीं पाता है |
दर्द तो सभी को होता है,
लेकिन वह सह नहीं पाता है |
जिंदगी जीना है सभी को,
लेकिन जी नहीं  पाता |
पढ़ना उसे पड़ता है जो रह नहीं पाता,
दर्द उसे होता है जो सह नहीं पाता |
हँसी तो सभी को आती है
लेकिन वह हंस नहीं पाता |

                                                                                                                नाम : सुल्तान कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : बड़े ख़ुशी के साथ इस कविता को लिखने वाले सुल्तान कुमार बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं और वर्तमान में अपना घर संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | सुल्तान को कवितायेँ लिखना , चित्र बनाना और अन्य गतिविधियां करने में बहुत मजा आता है | मुझे उम्मीद है की आप लोगों के समर्थन से मैं और भी कवितायेँ लिखूँगा |

शुक्रवार, 17 मई 2019

कविता : चिड़िया

" चिड़िया "

छोटी सी चिड़िया उड़ रही है,
आसमान में बादल के नीचे |
उड़ रही है वह छोटी सी चिड़िया,
फुदक फुदक कर उड़ रही है चिड़िया |
आकाश में उड़ रही है चिड़िया,
लोंगो से कुछ कह रही है चिड़िया |
मन ही मन में मचल रही है चिड़िया,
फिर भी गीत गति है चिड़िया |  

नाम : शिवा कुमार , कक्षा : 3rd , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता शिवा के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के निवासी हैं | शिवा की यह पहली कविता उम्मीद है जो कि आपको यह कविता पसंद आएगी | शिवा को कविता लिखना बहुत अच्छा लगता है और बड़े लोंगो से प्रेरणा लेकर और भी कविताएँ लिखता है |

कविता : आज मैंने ये जाना है

" आज मैंने ये जाना है "

आज मैंने ये जाना है,
ये तो सिर्फ एक बहाना है |
सबको पैसा ही बस खाना है,
मुझे बताओ कहाँ अब जाना है |
ये पैसा ही सिर्फ बहाना है,
बस सबको बड़ा ही बनना है |
मुझे तुमसे बस इतना ही कहना है,
ये जवाना ही बस बहाना है |
बस पैसा ही इनको खाना है | |

                                                                                              नाम : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के निवासी हैं और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ लिखते भी हैं | इसके अलावा क्रिकेट खेलना भी बहुत पसन्द है |

बुधवार, 15 मई 2019

कविता : माँ

" माँ " 

माँ तू कितनी प्यारी है,
दुनियाँ में सबसे न्यारी है |
तेरे बिना सारा जीवन अधूरा है,
माँ तू कितनी प्यारी है |
रोते को हँसना सिखाती है,
गिरते को चलना बताती है |
नई नई बात बताती,
अपनी अंचल में सुलाती |
दुःख से लड़ना सिखाती,
उँगली पकड़ राह दिखती |
माँ तू कितनी प्यारी है,
दुनियाँ में सबसे न्यारी है |

नाम : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के निवासी हैं | सार्थक को कहीं भी घूमना और लोगों से बात करना बहुत अच्छा लगता है | सार्थक आर्मी में जाना चाहते हैं | खेलने के आलावा कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |

कविता : मैं चाहकर भी न रोक सका

" मैं चाहकर भी न रोक सका "

मैं चाहकर भी न रोक सका,
उस मधुर से गीत को |
वह क्या सुर और ताल था,
जिसमें सुरीली आवाज़ थी |
मन मस्त मगन हो जाता है,
जो उस गाना को सुनता है |
उस संगीतकार का क्या तारीफ करूँ,
जिसने उसे रचाया है |
नींद मुझे आ जाती है,
उस संगीत की झंकार से |
मैं चाह भी न रोक सका,|
उस मधुर संगीत को |

नाम : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ लिखते भी हैं | कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | कुलदीप को खेलना बहुत पसंद है |  

रविवार, 12 मई 2019

कविता : जनता की बारी

" जनता की बारी "

आई अब जनता की बारी,
सही नेता चुनने की तयारी |
वोट जनता का हथियार है,
संभलना नेता बहुत होशियार है |  
करेंगे चिकनी चुपड़ी बातें,
इनके चक्कर जनता है आतें |
पाँच सालों में कुछ किया नहीं,
जनता सही से जिया ही नहीं |
किसी का हल्का किसी का पलड़ा भारी,
आई अब जनता की बारी |
सही नेता चुनने की तैयारी | |

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता अखिलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | अखिलेश कानपुर के आशा ट्रस्ट नामक संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | अखिलेश को फुटबॉल खेलना बहुत पसंद है और कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |

शनिवार, 11 मई 2019

कविता : आम का महीना आया

"आम का महीना आया "

आम का महीना आया,
 बच्चों के मुँह में पानी आया |
मुँह से लार टपकता टप टप कर,
आमों में रस भरा रहता है ठस ठस कर |
धूप से गिरता टप टप,
बच्चे खाए खूब चूसकर |
रंग रसीला आम लाया,
बच्चों के मन में खुशियाँ लाया |
आम का महीना आया,
 बच्चों के मुँह में पानी आया |

नाम : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | सार्थक को मौसम और चीजों के बारे में कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | सार्थक एक इंडियन आर्मी बनना चाहते हैं | सार्थक को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है |

शुक्रवार, 10 मई 2019

कविता : माँ

" माँ "

तेरा कसूर कुछ नहीं,
जो तेरा कर्म तूने किया,
मुझे पता है तूने ही मुझे जन्म दिया |

सहा है बहुत सी मुसीबतों को,
बिना किए अपनी परवाह |
तेरी ममता मेरी जान से प्यारी,
तू ही है दुनियाँ की सबसे न्यारी |

अब यह क्या तेरे चेहरे पर झुर्रियॉ,
आँखों में आँसू |
मुँह में आह की आवाज़,
वह ठोकरों से भरी राह |

फिर भी सह कर है मुस्कराती,
तू मेरी अनमोल रत्न |
मेरी जान से भी प्यारी,
तू ही तो है मेरी सर्वोपरी |
मेरी जान से प्यारी मेरी माँ |

नाम : राज कुमार,  कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता राज के द्वारा लिखी गई जो की  हमीरपुर के निवासी हैं और अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पड़े कर रहे हैं | राज को कवितायेँ लिखने का बहित शौक है | राज एक होनहार छात्र हैं |
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गुरुवार, 9 मई 2019

कविता : पीड़ा

" पीड़ा "

जब मैं बैठा था एक खाली रोड पर,
पीड़ा होने लगी कसके मेरे दिमाग पर |
मैं सोच रहा था अपने इतिहास पर,
जो नहीं दिखा कुछ खास |
मैंने सोचा अपने आने वाले कल पर,
मैं बदल सकता था अगले साल पर |
अब मैं जीना चाहता हूँ एक नई जिंदगी,
जिसमें मिले मुझे ढेर ख़ुशी |
मैं बदल दूँगा उस दुःख समय को ,
जिससे मेरे जिंदगी में बस ख़ुशी हो |


कवि : सुल्तान , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | सुल्तान को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | सुल्तान को खेल खेलना बहुत अच्छा लगता है | सुल्तान बहुत ही अच्छा बच्चा है |

मंगलवार, 7 मई 2019

कविता : मजदूरों का अवकाश था

" मजदूरों का अवकाश था "

वह दिन कुछ खाश था,
मजदूरों का अवकाश था |
1 मई का दिन था,
मजदूर दिवस का वह दिन था |
यह पल था प्रेम और खुशियों का,
यहाँ जन्मदिन था हम सबका |
कुछ लोगों ने सजाया था,
रात में जन्मदिन मनाया था |
कुछ मेहमान आए थे,
खाना बड़े मजे से खाए थे |
रात में नाच गाना था,
वह दिन सबसे मस्ताना था |


कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घ
कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह लिखते भी हैं | कुलदीप पढ़लिखकर एक नेवई ऑफिसर बनना चाहते हैं |

सोमवार, 6 मई 2019

कविता : सागर बन जाऊँ

" सागर बन जाऊँ "

मन करता है सागर बन जाऊँ,
नदियों के संग मैं मिल जाऊँ |
कभी बिहार तो कभी कश्मीर,
पूरी दुनियाँ की सैर कर आऊँ |
चले मेरे ऊपर से ठंडी समीर,
गाए बस मेरे बारे में कबीर |
चाहे हो वो अमीर या हो गरीब,
अच्छा हो जाए सभी का नसीब |

कवि : समीर कुमार  कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचाय : यह कविता समीर के द्वार लिखी गई है जो की प्रयागराज के निवासी है और अपनी शिक्षा को ग्रहण करने के लिए अपना घर संस्था से जुड़े हुए है | समीर को कवितायेँ लखने के आलावा गीत भी गाना बहुत पसंद है | समीर को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है |

रविवार, 5 मई 2019

कविता : तपती हुई धूप

" तपती हुई धूप "

इस तपती  हुई धुप ने,
पसीना से लथपथ किया |
गर्म हवा में शरीर है जलता,
यही लू से बीमार है करता |
बाहर निकलने का हिम्मत न करता,
पेड़ों को ये दर्द पहुँचाता |
धूपों से लोग तड़प रहे हैं ,
पेड़ की छाँव के लिए झूझ रहे हैं |
ये तपती हुई धूप ने,
पसीना से लतपत किया |
पानी के लिए तरस रहे हैं,
बिना पानी के मर रहे हैं | 

नाम : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | सार्थक को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ लिखते हैं | सार्थक आर्मी में भर्ती होना चाहता है | सार्थक बहुत अच्छा लड़का है और सबकी मदद करता है |

शुक्रवार, 3 मई 2019

कविता : जाऊँ मैं कहाँ और क्या चुनूँ

" जाऊँ मैं कहाँ और क्या चुनूँ "

जाऊँ मैं कहाँ और क्या चुनूँ,
क्या मैं करूँ और क्या सुनूँ |
मुझे नहीं समझ में आता,
पता नहीं मेरा दिल क्या कह जाता |
ये मेरे दिल का सुरूर,
मैं कहाँ से करूँ शुरू |
पर मुझे नहीं पता,
क्या और कब है होता |
पर मुझे अपने लक्ष्य लिए,
चुनना पड़ेगा एक अच्छा गुरु |
जाऊँ मैं कहाँ और क्या चुनूँ,
क्या मैं करूँ और क्या सुनूँ |

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | नितीश को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और बहुत सी कवितायेँ लिखते हैं | नितीश को टेक्नोलॉजी में बहुत रूचि है | नितीश एक इंजीनियर बनना चाहते हैं |

बुधवार, 1 मई 2019

कविता : एक जहाज है कुछ ऐसा

" एक जहाज है कुछ ऐसा "

एक जहाज है कुछ ऐसा,
जिसपे सब कोई है बसा |
पेड़ - पौधे , झील - नदियाँ,
सब थे इसके सवारी |
जब इस पर मनुष्य सवार हुए,
बदल गया चल - चलन |
संभाला फिर भी न संभला,
अब कौन बचाएगा हमें बला |
न जाने अब कहाँ रुकेगी,
अब न बचा कोई चालक इसका |
नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : नितीश जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बैहर के नवादा जिले के निवासी हैं | नितीश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | नितीश को टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी रखना और कैसे काम करना इसपर नितीश को बहुत ज्ञान हैं | नितीश अपने माता - पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं |