मंगलवार, 31 अगस्त 2021

कविता :"यह मौसम है बहुत बेगाना "

"यह मौसम है बहुत बेगाना "

यह मौसम है बहुत बेगाना | 

जब चाहिए तब हो  जाता अनजाना ,

गर्मी में हाल है बेकार | 

सर्दी में लोग करते है आराम ,

बरसात का मौसम है प्यारा | 

यही होता है एक मात्र सहारा ,

मौसम है बहुत बेगाना | 

जब चाहिए तब  हो  जाता अनजाना ,

कवि : कुलदीप कुमार 

अपना घर

 

सोमवार, 30 अगस्त 2021

कविता : "वह बचपन की बातें "

"वह बचपन की बातें "

वह बचपन की बातें | 

अब मुझे बहुत कुछ कहते है ,

वह खेत खलिहान में गुजरे हुए पल |

दोस्तों के संग खूब किया मौज मस्ती ,

आज उन सबकी याद आते है | 

माँ की हाथो से खाना खाते ,

नींद लगे तो गोद में सो जाते | 

वह बचपन की बातें ,

अब मुझे बहुत कुछ कहते है | 

नदी हो या तालाब में खूब नहाया करते ,

पिता जी के हाथो से मार खाते | 

वह बचपन की  बातें , 

कवि : सार्थक कुमार 

अपना घर

सोमवार, 9 अगस्त 2021

कविता : "मन नहीं लग रहा "

"मन नहीं लग रहा "

मन नहीं लग रहा | 

कुछ करने को ,

मन को कैसे मनाओ | 

कुछ उपाय सोचने के लिए मन नहीं लग रहा ,

कैसे मनाओ मन को | 

खेल कर या सो कर ,

किसी में मन नहीं लग रहा | 

दिन भर सोचता रहता हो ,

मन के बिना कुछ नहीं हो रहा काम | 

सिर्फ मन चाहता है आराम ,

कवि : राहुल कुमार  , कक्षा : 8th 

अपना घर

गुरुवार, 5 अगस्त 2021

कविता : " मंद -मंद बहती हवाएँ "

" मंद -मंद बहती हवाएँ "

मंद -मंद बहती हवाएँ | 

बारिस की ये बूँदे ,

और बादलो की साए | 

धम -धम कर बरस रहे है ,

फुव्वारे की  तरह ये बूँदे | 

हर जहाँ खुशनुमा हो गया है ,

खेतो में   धान बो गया है | 

जगह -जगह बर गया पानी ,

उसमे तैरती मेढ़क रानी | 

हरा -भरा महौल हो गया ,

कवि : कुल्दीप कुमार , कक्षा : 10th 

अपना घर

 

बुधवार, 4 अगस्त 2021

कविता : " यह काले -काले बादलो ने कर दिया अंधेरा "

" यह काले -काले बादलो ने कर दिया अंधेरा "

यह काले -काले बादलो ने कर दिया अंधेरा | 

सुबह से शाम बरसा रहा है पानी का फव्वारा ,

कभी टीपीर -टीपीर और कभी -कभी जोर से | 

कभी अचानक उजेला होता है ,

सूरज काले बादलो में ढक जाता है | 

कभी बहुत गर्मी  होता है ,

कभी अचानक मौसम बदल जाता है | 

यह काले -काले बादलो ने कर दिया अंधेरा ,

कवि : अमित कुमार , कक्षा : 7th 

अपना घर


मंगलवार, 3 अगस्त 2021

कविता : " सावन का महीना है "

" सावन का महीना है "

सावन का महीना है | 

कभी धूप तो कभी बारिश ,

काले बादल को पूछो ना | 

कब बारिश करा दे ,

बिजली कड़कने के आवाज़ को सुन कर | 

हर तरफ मोर के आवाजें गूँजती है ,

ऐ सावन का महीना है | 

इस महीने में बारिश ही बारिश होता है ,

कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 8th 

अपना घर

देखो तो हर तरफ पानी ही पानी होता है

सोमवार, 2 अगस्त 2021

कविता : "मौसम"

"मौसम"

मौसम का क्या कहना | 

जो हसी खुशी का महौल बना दे ,

सूख रहे पेड़ -पौधे | 

अब तो कुछ बूँद  गिरा दे ,

मौसम का क्या करना | 

जो दूर -दूर तक बादल से घिरा दे ,

लोंगो के चेहरें पर है मुस्कान |

अब तो कुछ बूँद  गिरा दे ,

मौसम का क्या कहना | 

जो चारों तरफ हरा भरा बना दे ,

सूख गए सारे झील तालाब | 

कुछ बूँद से इसे सुन्दर बना दे ,

कवि : रविकिशन  कुमार , कक्षा : 12th