"यह मौसम है बहुत बेगाना "
यह मौसम है बहुत बेगाना |
जब चाहिए तब हो जाता अनजाना ,
गर्मी में हाल है बेकार |
सर्दी में लोग करते है आराम ,
बरसात का मौसम है प्यारा |
यही होता है एक मात्र सहारा ,
मौसम है बहुत बेगाना |
जब चाहिए तब हो जाता अनजाना ,
कवि : कुलदीप कुमार
अपना घर