" यह काले -काले बादलो ने कर दिया अंधेरा "
यह काले -काले बादलो ने कर दिया अंधेरा |
सुबह से शाम बरसा रहा है पानी का फव्वारा ,
कभी टीपीर -टीपीर और कभी -कभी जोर से |
कभी अचानक उजेला होता है ,
सूरज काले बादलो में ढक जाता है |
कभी बहुत गर्मी होता है ,
कभी अचानक मौसम बदल जाता है |
यह काले -काले बादलो ने कर दिया अंधेरा ,
कवि : अमित कुमार , कक्षा : 7th
अपना घर
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