शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

कविता : "माँ तुम्हारी याद आती है "

 "माँ तुम्हारी याद आती है "
माँ मुझे तुम्हारी याद आती है। 
थोड़ा ही सही पर बहुत सताती है। 
माँ मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है। 
  
कभी पढ़ते  समय मन में आती है। 
तो कभी खेलते समय मन में मुस्कुराती है। 
कभी - कभी सोते समय भी मुझे सुल्लती है। 
 माँ मुझे तुम्हारी याद आती है। 
 
इस जिंदगी के दौड़ में। 
जब परेशानी से हार  जाता हूँ ।  
तो बस तू ही मुझे समझती है। 
जब मै रोउ तो तू ही चुप करती है। 
माँ मुझे तुम्हारी याद आती है। 
कवि : गोविंदा कुमार, कक्षा : 9th,
अपना घर। 

मंगलवार, 8 जुलाई 2025

कविता : " गाँव की कुछ यादे "

" गाँव की कुछ यादे "
 सुबह की  वह रोशनी। 
मेरे घर के दरवाजे पर आती थी। 
रोशनी आकर मुझे कुछ कहती थी। 
साथ में मखमली सी हवा ,
मेरे मन को मोह लेती थी। 
परित खेत सुनहरे चमकीली 
लगती थी। 
जब सूरज की रोशनी उस पर पड़ती थी। 
टैक्टर का चलना और गाय का चिल्लाना ,
भेद - बकरियों का चरना। 
जैसे एक साथ रहना ,
यह  सब गाँव को दरसाती थी। 
कवि :  सुल्तान कुमार, कक्षा : 11th  
अपना घर। 

बुधवार, 2 जुलाई 2025

Poem: " Enjoy the now "

 " Enjoy the now " 
just smile guys 
it's a colorful sky today 
not it's very not today 
sweet air is blouring everyday 
cloudy weather is everywhere 
big drops of rain too,
coming approach to raining here 
it's a cheerful time we have here.
it's a fair and lovely the day is now 
let's come to love and like it 
neither be an Idle 
nor be lazy 
won't looks tidy like this 
what an oasam day is now!
let's come or play anyhow 
it's a rainbow in the sky 
let's come to enjoy the now.
Poet: Pintu Kumar, class: 10th, 
Apna Ghar