मंगलवार, 8 जुलाई 2025

कविता : " गाँव की कुछ यादे "

" गाँव की कुछ यादे "
 सुबह की  वह रोशनी। 
मेरे घर के दरवाजे पर आती थी। 
रोशनी आकर मुझे कुछ कहती थी। 
साथ में मखमली सी हवा ,
मेरे मन को मोह लेती थी। 
परित खेत सुनहरे चमकीली 
लगती थी। 
जब सूरज की रोशनी उस पर पड़ती थी। 
टैक्टर का चलना और गाय का चिल्लाना ,
भेद - बकरियों का चरना। 
जैसे एक साथ रहना ,
यह  सब गाँव को दरसाती थी। 
कवि :  सुल्तान कुमार, कक्षा : 11th  
अपना घर। 

बुधवार, 2 जुलाई 2025

Poem: " Enjoy the now "

 " Enjoy the now " 
just smile guys 
it's a colorful sky today 
not it's very not today 
sweet air is blouring everyday 
cloudy weather is everywhere 
big drops of rain too,
coming approach to raining here 
it's a cheerful time we have here.
it's a fair and lovely the day is now 
let's come to love and like it 
neither be an Idle 
nor be lazy 
won't looks tidy like this 
what an oasam day is now!
let's come or play anyhow 
it's a rainbow in the sky 
let's come to enjoy the now.
Poet: Pintu Kumar, class: 10th, 
Apna Ghar 

गुरुवार, 5 जून 2025

कविता : " आँधी "

" आँधी "
 आँधी  आई जोर - जोर से ,
डाले टूटी है झुकोर से ,
उड़ा घोसला , अंडे फूटे ,
किस्से दुःख कहेगी , 
अब यह चिडिंया कहा रहेगी , 
आँधी  आई जोर - जोर से ,
गिरे पत्ते , टूटे अंडे ,
रह गए घोसला खाली। 
कवि : गया कुमार, कक्षा : 5th,
अपना घर।  

बुधवार, 4 जून 2025

कविता : " मेरी एक इच्छा थी "

" मेरी एक इच्छा थी " 
बचपन में बहुत इच्छा थी ,
पर बढ़ती उम्र में घटती चली गई। 
डॉक्टर, पुलिस, इंजीनियर में जाना था। 
पर जिंदगी कुछ  चीजों में अटकी रह गई 
सपनो के बारे में ख्याल ही आना बंद हो गया 
मंजिल से भटकर दिल ने मुस्कुराना भी छोड़ दिया 
बीच में आवाज आई थी की ,
चलो एक बार और कोशिश कर एक और बार 
पर उस समय दिल के साथ - साथ 
मन और तन ने भी मुँह मोड़ लिया। 
बचपन में बहुत इच्छा थी ,
पर बढ़ती उम्र में घटती चली गई। 
कवि : गोविंदा कुमार, कक्षा : 9th, 
अपना घर. 

सोमवार, 2 जून 2025

कविता : " युद्धभूमि के राजा "

 " युद्धभूमि के राजा " 
वीरो का वीर है, तू  ,
युद्धभूमि का राजा है , तू 
धरती - आसमान में तेरा ही नाम ,
जब - जब युद्ध में जिसने तुझे ललकारा 
तब - तब उसको अपनी शक्ति से हराया। 
वीरो का वीर है , तू। 
हर वक्त प्रजा के साथ रहता।,
हर मुशीबतों का समाधान निकल ले जाता। 
तीरो जैसी रफ़्तार है , तेरी ,
कर्ण जैसी अवतार है , तेरी। 
तेरी एक आवाज से।,
आशमा भी प्रसन्न हो उठता है 
हर दिशा में तेरी ही जय जय कर होता 
वीरो का वीर है तू 
युद्धभूमि का राजा है , तू। 
कवि : अमित कुमार, कक्षा : 11th, 
अपना घर। 

मंगलवार, 20 मई 2025

कविता : " गर्मी का आतंक "

" गर्मी का आतंक " 
 दम घुट रहा है ,
पसीना भी छूट रहा है,
उमस है चारो ओर ,
गर्मी से तप रहे है लोग ,
हवा का नमो निसान नहीं ,
पंखा का भी काम नहीं ,
सुख गए सब पेड़ - पौधे ,
अब पानी का नाम नहीं ,
हो गया  तापमान 42 डिग्री, 
घूमना भी हो गया नाकाम ,
तप रहे है सड़क और मकान। 
इस गर्मी से हो रहा सब काम नाकाम ,
दम घुट रहा है ,
पसीना भी छूट रहा है। 
कवि : सुलतान कुमार, कक्षा : 11th,
अपना घर।  

सोमवार, 19 मई 2025

कविता : " परेशान परिंदा था "

" परेशान परिंदा था " 
 उल्झा - उल्झा, बुझा - बुझा सा था। 
खामोशियाँ साथ में भरा हुआ था। 
गुमसुम शांत बैठा था।  
देख जब तो पाया यह तो परेशान परिंदा  था। 
जूझ रहा अपनी कठिनायों भरी डगर से।  
लड़ रहा था अपने हार मानने वाले से , इरादों से। 
जीत रहा था अपनी परेशानियों से। 
टकरा रहा था तर्क भरे तीरो से। 
आखिर हिम्मत ने साथ दिया था। 
जब देख , तो पाया परेशान परिंदा था। 
कवि : साहिल कुमार, कक्षा : 9th,
अपना घर। 

रविवार, 18 मई 2025

कविता : " ऑपरेशन सिंदूर "

 " ऑपरेशन सिंदूर "  
बड़ी मेहनत से मिली पाक को आज़ादी ,
करना चाहते है खुद की ही बर्बादी। 
न सुनकर , न कुछ बोलकर ,
वो चाहते है अपनी बर्बादी बम फोड़कर। 
इंडिया ने किया है अपनी आर्मी को यैयार  ,
पाक है एक भारत का पड़ोसी देश 
बनकर बेकार है तैयार। 
भारत माता के सिर पर होगी सिंदूर ,
पाक के खिलाफ चलेगी अब ऑपरेशन सिंदूर। 
पाक मँगवा रहा है तरह - तरह के हथियार ,
लेकिन सब हो रहा है बेकार। 
पाक ये गलती कुछ ऐसे करेगी ,
खुद को ही बर्बाद करेगी।
ऑपरेशन सिंदूर हुआ है चालू ,
देखते है किस्मे है इतना दम है ,
जो बचा ले  इंडिया से बनकर दयालु। 
हुआ है ऑपरेशन सिंदूर चालू  ...... । 
हुआ है ऑपरेशन सिंदूर चालू। .........। 
कवि : निरु कुमार, कक्षा : 9th,
अपना घर 

सोमवार, 12 मई 2025

कविता : " माँ "

 " माँ " 
माँ तू कितनी प्यारी है ,
जहाँ भी हो तू बस हमारी है। 
सबसे लगती दुलारी तू ,
दुनिया भर में प्यारी तू। 
बच्चो का एक हो प्यारी तू , 
माँ में सबका प्यार छुपा है।  
सभी के ममताओँ के प्यार और दुलार ,
हर एक प्यारा बेटा करता मोठेर्स डे का  इंतजार। 
सबसे प्यारी सबसे दुलारी ,
मिलाने आती हाली - हाली।
जब कोई पकवान बनता खाने को देती भर थाली। 
सभी माँ को मेरे तरफ से मोठेर्स डे की हार्दिक सुभकामनाए ।। 
कवि : अजय कुमार, कक्षा : 6th,
अपना घर। 

शनिवार, 10 मई 2025

कविता : " चोरी "


 " चोरी "
खतम करो चोरी - चमारी 
ऐसा क्यों करते हो जो लगता है महामारी।
कभी तो शर्म कर लिया करो,
चोरी कर के भी नकारते हो ,
हमें पता है मेहनत का फल मीठा नहीं होता ,
लेकिन दुसरो का तो लाज रखो।
बस खा लिया पेट भरकर ऊपर तक,
आवाज नहीं किया कही दूर - दूर तक।
बस सुलसा न हो जाए कही ,
इसलिए छिपा के रखे हो तुम सब ,
कभी मिल बाट कर खा लिया करो ,
चोरी कर लिया कोई बात नहीं ,
पर एक बार बता दिया करो ,
खत्म करो चोरी - चमारी। 
कवि : सुल्तान कुमार ; कक्षा : 11th 
अपना घर। 

बुधवार, 7 मई 2025

कविता :" अनजान हो रही गलियां "

" अनजान हो रही गलियां "
अब गुमसुम हो रही अनजान गलियां ,
अब पराए हो रहे अपने लोग। 
अब कठिनाई की मेधा चली आई मंडाते हुआ। 
अंधेरी रातो की चंदिनि भी छीन ली गए। 
अब बस  उम्मीद की दीपक जल रहा मुझमे।।
सोचकर भी नहीं मिल सकता वह पल , 
जो कभी सबसे कीमती हुआ करती थी। 
यह जमी भी मुझसे रूठ  चूकी है। 
यह मुस्कान भी मुझसे छीन चूकी है। 
यह लोग क्या समझते , सब वक्त इंतजार करते है।  
मुश्किल घड़ी में अपने भी पराए बन जाते है। 
वही सच्चा मित्र भी मुँह मोड़ लीता है। 
अब गुमसुम हो रही अनजान गलियां ,
अब पराए हो रहे अपने लोग। 
कवि : अमित कुमार, कक्षा : 11th,
अपना घर।