"घर की राह है थोड़ा "
घर की राह है थोड़ा
गर्मी है मुँह मोड़ा |
पाँच दिन की बात है
और घर जाने की बात है |
जाने को बेतहाशा हो रहा हूँ
धीरे धीरे तैयारी भी कर रहा हूँ |
घर की राह है थोड़ा
गर्मी है मुँह मोड़ा |
अकेले काटना होगा ये
पॉँच दिन बिना किसी के बिन |
पाँच दिन की बात है
घर जाने की इंतजार है |
कवि : पंकज,कक्षा :9th
अपना घर
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