बुधवार, 29 जून 2022

कविता : "मेरा चाह"

"मेरा चाह"

 मेरा चाह है कि मैं जेई क्लियर करू | 

पर समझ न आए इसके लिए क्या करू ,

चक्कर खा जाता है इतना बड़ा सिलेबस देखकर | 

सोच में पड़ जाता हूँ उन सब को फेककर ,

टाइम मैनेज करना हो जाता है मुश्किल | 

सोच में पड़ जाता है क्या कर पाऊंगा लक्ष्य हाशिल ,

घण्टों विताना पड़ता है पढ़ने में | 

खूब दिमाग लगाना पड़ता है कुछ करने में ,

कविता : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12th 

अपना घर 



मंगलवार, 28 जून 2022

कविता : " चाह है दूर जाने की "

" चाह है दूर  जाने की  "

चाह है दूर  जाने की  | 

पास से टिमटिमाते तारे को देखने की ,

महकते फूलो की बगिया में बह जाने की | 

लहराते झरनों की लहर में बह जाने की ,

चाह है दूर जाने की | 

अपनी अभिलाषा को पूरा करने की ,

कदमो -कदमो से मिलाकर |

सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने की ,

महकते फूलो की बगिया में खो जाने की | 

चाह है दूर जाने की  ,

कविता : अमित कुमार , कक्षा :8th 

अपना घर