" चाह है दूर जाने की "
चाह है दूर जाने की |
पास से टिमटिमाते तारे को देखने की ,
महकते फूलो की बगिया में बह जाने की |
लहराते झरनों की लहर में बह जाने की ,
चाह है दूर जाने की |
अपनी अभिलाषा को पूरा करने की ,
कदमो -कदमो से मिलाकर |
सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने की ,
महकते फूलो की बगिया में खो जाने की |
चाह है दूर जाने की ,
कविता : अमित कुमार , कक्षा :8th
अपना घर
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