"एक चाह"
ठुकरा दिए सारे नाते इस जंहा से ,
छोड़ दिए हर ख्वाब को राह में |
मुछत से थी जो चाह इस दिल में ,
वो भी छूट गई कंही अँधेरी राह में |
अब डर क्या और खौफ क्या ,
सब छुप गए गहराई के समुन्दर में |
बस रोना ही था इस जिंदगी में ,
वो भी छूट गए कंही अँधेरी राह में |
आंसूओ ने भी छोड़ दिया साथ उसका ,
जीने की भी न रही आस उसकी |
कोई मौका सफल न रहे ,
बस बर्बाद रहा समय उसका |
कवि :साहिल कुमार ,कक्षा 8th
अपना घर
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