"मज़दूर "
मजदूर है हम ,कोई चोर नहीं |
मेहनत करते है ,पसीना भाते है |
एक वक्त का पेट भरने के लिए ,
पहाड़ो से टकराते है हम |
मजदूर है हम ,
किसी का छीनकर नहीं खाते |
खेती करते है फसल उगाते है ,
जरूरत पड़ने पर हम ही बताते है |
हर अमीरों तक अनाज पहुँचते है हम,
महदूर है हम |
कवि :सुल्तान ,कक्षा :10th
अपना घर
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