"सोच "
काश कोई मेरे बारे में सोचता ,
तो आज यंहा नहीं होता |
काश कोई मेरे लिए काम करता ,
तो आज यंहा नहीं होता |
काश कोई मेरे लिए रोता ,
तो गंगा से भी एक और नदी बहता |
धूप से तपती आग में ,
मेरे लिए काम करती है |
काश कोई मेरी भी दुनियां होता ,
फूलों से सजा होता |
कवि :नीरू कुमार ,कक्षा :8th
अपना घर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें