"दिखावे "
सब तो दिखावे है ,
असलियत तो कुछ और ही है |
ये भाईचारा ,ये दोस्ताना ,ये प्यार ,
भरी बाते सब तो दिखावे है |
असलियत कुछ और ही है,
कहते है सब अपने है |
भीगी मुस्कान देकर ,
सब को पिघला देते है |
सब दिखावे है ,
असलियत तो कुछ और ही है |
बाते भी संभल कर करते है ,
ताकि कोई उसका उधार न मांग ले |
प्यार ऐसे जताते है जैसे कुछ हुआ ही न हो ,
सब दिखावे है असलियत कुछ और है |
कवि :अप्तार हुसैन ,कक्षा :7th
अपना घर
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