"मैंने सीखा "
छोटी -छोटी गलतियों से ,
मैंने आगे बढ़ना सीखा है |
दूसरो को देख -देखकर ,
मैंने पढ़ना सीखा है |
जब बचपन में पापा ने ,
मेरे उंगलिंया छोड़ी तो |
मैंने अकेला ही चलना सीखा है ,
मैंने इन हाथों से लिखना सीखा है |
छोटी -छोटी गलितयों से ,
मैंने आगे बढ़ना सीखा है |
कवि :रमेश कुमार ,कक्षा :4th
अपना घर
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