"अलग और बीरान "
कुछ चाहिए जो अनजाना है ,
सबसे अलग और बीरान है |
अकेला रहा करता था हमेशा वह ,
दुःख का बाधा न बना करता किसी का |
हर वक्त चाहता कुछ अनोखा ,
पर मुशीबत न करने देता ऐसा |
समुद्र की लहरों की तरह ,
बार -बार मुशीबतों से जूझता |
और उम्मीद की चिंगारी हमेशा जगाए रहता ,
उसे उम्मीदों की माले की तरह |
वक्त मिलने पर गुथा करता ,
यह सब सुनकर मर जाना क़ुबूल करता वह |
कुछ चाहिए जो अनजाना है,
सबसे अलग और बीरान है |
कवि :पिंटू कुमार ,कक्षा :9th
अपना घर
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