सोमवार, 20 मई 2024

कविता:"अलग और बीरान "

"अलग और बीरान  "
कुछ चाहिए जो अनजाना है ,
सबसे अलग और बीरान  है | 
अकेला रहा करता था हमेशा वह ,
दुःख का बाधा न बना करता किसी का |  
हर वक्त चाहता कुछ अनोखा ,
पर मुशीबत न करने देता ऐसा | 
समुद्र की लहरों की तरह ,
बार -बार मुशीबतों से जूझता | 
और उम्मीद की चिंगारी हमेशा जगाए रहता ,
उसे उम्मीदों की माले की तरह | 
वक्त मिलने पर  गुथा करता , 
यह सब सुनकर मर जाना क़ुबूल करता वह | 
कुछ चाहिए जो अनजाना है,
सबसे अलग और बीरान है | 
कवि :पिंटू कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

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