सोमवार, 13 मई 2024

कविता :"नया करे "

"नया करे "
चल आज कुछ नया करते है ,
हाथ में हाथ मिलाकर 
एक विश्वाश बनाते है| 
अपने सोच विचार को बदलते हुए ,
एक नए विश्वाश के साथ 
उम्मीद की आस जगाते है | 
चल आज कुछ नया करते है ,
हाथ में हाथ मिलाकर 
एक दूसरे को साथ देते है 
चल आज कुछ नया करते है| 
हाथ में हाथ मिलाकर 
अपने विचार को बदलते है | 
कवि :गोपाल कुमार ,कक्षा :7th 
अपना घर 

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