गुरुवार, 5 अगस्त 2021

कविता : " मंद -मंद बहती हवाएँ "

" मंद -मंद बहती हवाएँ "

मंद -मंद बहती हवाएँ | 

बारिस की ये बूँदे ,

और बादलो की साए | 

धम -धम कर बरस रहे है ,

फुव्वारे की  तरह ये बूँदे | 

हर जहाँ खुशनुमा हो गया है ,

खेतो में   धान बो गया है | 

जगह -जगह बर गया पानी ,

उसमे तैरती मेढ़क रानी | 

हरा -भरा महौल हो गया ,

कवि : कुल्दीप कुमार , कक्षा : 10th 

अपना घर

 

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