" मंद -मंद बहती हवाएँ "
मंद -मंद बहती हवाएँ |
बारिस की ये बूँदे ,
और बादलो की साए |
धम -धम कर बरस रहे है ,
फुव्वारे की तरह ये बूँदे |
हर जहाँ खुशनुमा हो गया है ,
खेतो में धान बो गया है |
जगह -जगह बर गया पानी ,
उसमे तैरती मेढ़क रानी |
हरा -भरा महौल हो गया ,
कवि : कुल्दीप कुमार , कक्षा : 10th
अपना घर
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