" धूप खिली चारों ओर "
धूप खिली चारों ओर |
सुबह -सुबह हुई है भोर ,
हर तरफ है बादल घनघोर |
बादल देख के नाचे मोर ,
है घर गली में शोर |
धूप खिली है चारों ओर ,
कर देते मन को झकझोर |
बादल गरजते आकाश ओर ,
कब पानी लेके बरसे जोर से |
धूप खिली है चारों ओर से ,
कविता : विक्रम कुमार , कक्षा : 12th
अपना घर
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